नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहकर शिक्षा पर करें ध्यान युवा एलआर बिश्नोई

युवाओं को नशे की लत से दूर रहकर शिक्षा, खेलकूद और अन्य गतिविधियों पर ध्यान लगाना चाहिए।
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2025-03-27 20:41:47

युवाओं को नशे की लत से दूर रहकर शिक्षा, खेलकूद और अन्य गतिविधियों पर ध्यान लगाना चाहिए। इससे विद्यार्थियों का शारिरिक व मानसिक विकास होगा और वे अपने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति कर सकेंगे। किसी भी व्यक्ति, समाज व देश के विकास में नशे का सेवन बहुत बड़ा अवरोध है। इस समस्या को जड़ से समाप्त करना बहुत जरूरी है। यह बात मेघालय के पुर्व डीजीपी एलआर बिश्नोई ने कही। वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एकता शिविर के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो बी.आर. काम्बोज ने की जबकि विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सेवा योजना नई दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक श्रवण राम रहे। एलआर बिश्नोई ने कहा कि मोबाइल फोन व इंटरनेट से साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहें हैं। इसलिए मोबाइल फोन और इंटरनेट पर अधिक समय ना बिताएं बल्कि अपने कैरियर पर ध्यान दें। नशा कोरोना महामारी से भी खतरनाक है। यह पंजाब और हरियाणा में बिजली की गति से फैल रहा है। युवाओं को मादक पदार्थों के सेवन, गलत संगत और नकारात्मक विचारों से बचना होगा। ज्ञान की खोज सबसे बड़ी शक्ति है। रवींद्रनाथ टैगोर का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि ज्ञान हवा में फैला हुआ है उसे प्राप्त करने के लिए जिज्ञासा और उत्सुकता जरूरी है, तभी आपको कुछ नया सिखने को मिलेगा। बड़ों के अनुभव से सीखने के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज एवं राष्ट्र की प्रगति में युवाओं का अह्म योगदान होता है। एल. आर. बिश्नोई ने कहा कि हमारी संस्कृति बहुत ही विविधता पूर्ण है लेकिन यह संस्कृति हम सभी के लिए है। प्रत्येक राज्य की अपनी परमपराएं, रीति रिवाज, खानपान, पहनावा और त्यौहार अलग-अलग हैं। सबसे पहले संस्कृति का सम्मान करना, उसे संरक्षित रखना और उसका प्रचार प्रसार करना हमारा मौलिक कर्तव्य है। उन्होंने देश के असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मेघालय सहित अन्य राज्यों की सांस्कृतिक विरासत के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें कहा कि स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय एकता को बढावा देने में विशेष योगदान रहा है। संस्कृति, जीवन मूल्यों एवं राष्ट्रीय एकता के प्रचार में स्वयंसेवकों की विशेष भूमिका: प्रो. काम्बोज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बी आर काम्बोज ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारी संस्कृति,जीवन मूल्यों, विविधता और संस्कारों का प्रचार-प्रसार जन-जन तक पहुंचना चाहिए। समाज से समस्याओं और कुरीतियों को समाप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा। इस दिशा में हमारे स्वयंसेवक लोगों को जागरूक करने में अह्म भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय एकता शिविर के दौरान स्वयंसेवकों ने लोगों को स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, नशीले पदार्थो का सेवन न करने के साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्देश्यों के बारे में जागरूक करने में अहम भूमिका निभाई। छात्र कल्याण निदेशक डॉ. मदन खीचड़ ने सभी का स्वागत करते हुए एनएसएस शिविर के दौरान की गई विभिन्न गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ एस.के.पाहुजा व एनएसएस नई दिल्ली के क्षेत्रिय निदेशक श्रवण राम ने भी शिविर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रीय सेवा योजना अवार्डी डॉ. भगत सिंह ने सभी का धन्यवाद किया। छात्रा अन्नू ने मंच का संचालन किया। स्वयंसेवकों ने चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से वर्तमान समस्याओं को दर्शाया देश के विभिन्न 13 राज्यों से आए 200 स्वयंसेवकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी पारंपरिक वेशभूषा और संस्कृति का प्रदर्शन करके दर्शकों का मन मोह लिया। कृषि महाविद्यालय परिसर में स्वयंसेवकों ने पोस्टर मेंकिंग प्रदर्शनी में अपनी कलाकृतियों के माध्यम से वर्तमान समस्याओं का बड़े सहज अंदाजा में सटीक चित्रण किया। इनमें युवाओं को मादक पदार्थों के सेवन से दूर रहने, पर्यावरण संरक्षण, रक्तदान के लिए प्रेरित करने, विकसित भारत में युवाओं की भूमिका जैसे विभिन्न विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर कुलसचिव सहित विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, शिक्षकगण, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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