2025-01-22 16:08:14
गोंदिया : दुनियाँ का हर देश हैरत भरी नजरों से देख रहा है कि जिस तरह शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले ही संबोधन में दनादन फ़ैसलों की की घोषणा कर पदभार ग्रहण कर उनपर हस्ताक्षर भी कर दिए गए,जिसमें बाईडेन प्रशासन के 78 फ़ैसलों को तुरंत भंग कर दिया, टिकटाक पर फिलहाल बैन पर रोक लगा, कनाडा मैक्सिको पर 25 पेर्सेंट टैरिफ लगा दी, विश्व स्वास्थ्य संगठन व पेरिस जलवायु संगठन से बाहर होने की घोषणा की, जिसमें अमेरिका एक बहुत बड़ा सहयोगी था जिससे उनकी वैश्विक योजनाओं पर असर पड़ने की संभावना है। इन सबसे महत्वपूर्ण अब अवैध प्रवासियों की एंट्री बंद करने के अलावा अब जन्मजात नागरिकता याने बर्थ राइट सिटीजनशिप कानून को समाप्त करने को लेकर भी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी कर दिए गए हैं, जिससे भारत सहित अनेक देशों पर फर्क पढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, हम नीचे पैरा में जिसकी चर्चा करेंगे। चूँकि अमेरिका में शपथ लेते ही ट्रंप का दे दनादन, पहले ही दिन 100 से अधिक महत्वपूर्ण फैसले, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, ट्रंप के फ़ैसलों से दुनियाँ दंग, बाईडेन प्रशासन के 78 फैसले भंग, क्या रुकेगी रूस यूक्रेन जंग? जन्मजात नागरिकता कानून भंग! साथियों बात अगर हम ट्रंप द्वारा बर्थ राइट सिटीजनशिप एक्ट को निरस्त करने की करें तो, अमेरिका में 150 साल से जन्मजात नागरिकता कानून अमेरिकी संविधान का 14 वां संशोधन बच्चों को जन्मजात नागरिकता की गारंटी देता है। अमेरिका में यह कानून 150 साल से लागू है। ट्रम्प ने जन्मजात नागरिकता को खत्म करने का फैसला किया है। ट्रम्प ने उन माता-पिता के बच्चों को जन्मजात नागरिकता देने से इनकार करने का आदेश दिया है जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं या फिर अस्थायी वीजा लेकर रह रहे हैं। ट्रम्प ने इस आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन का समय दिया है।प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 16 लाख भारतीय बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने की वजह से नागरिकता मिली है।हालांकि ट्रम्प के आदेश में कहा गया है कि यह केवल उन लोगों पर लागू होगा जो इस आदेश की तारीख से 30 दिनों के बाद अमेरिका में जन्मे हैंइसका मतलब है कि अमेरिका में भारतीयों की आने वाली पीढ़ी इसके दायरे में होगी। इसका मतलब ये है कि अब जिन लोगों के पास अमेरिकी नागरिकता के वैध डॉक्यूमेंट नहीं हैं और इस दौरान अगर वे अमेरिका में अपने बच्चे को जन्म देते हैं तो उन बच्चों को स्वतः अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी। डोनाल्ड ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश का नागरिकता संबंधी फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगा।प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका 48 लाख भारतीय मूल के निवासी बसे हुए हैं, इनमें से 16 लाख को जन्म के आधार पर ही नागरिकता मिली है। साथियों बात अगर हम बर्थराइट सिटीजनशिप एक्ट को समाप्त करने की चुनौतियों की करें तो,ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसकी वैधता सवालों के घेरे में है।14 वां संशोधन अमेरिकी संविधान का हिस्सा है, और इसके प्रावधानों को बदलने के लिए आम तौर पर एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होती है। एक ऐसी प्रक्रिया जो लंबी और कठिन होती है। आज तक किसी भी राष्ट्रपति ने कार्यकारी आदेश का उपयोग करके एकतरफा रूप से जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त नहीं किया है। कानूनी विशेषज्ञ पहले से ही संघीय न्यायालयों में आदेश के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों की भविष्यवाणी कर रहे हैं। यूएस सुप्रीम कोर्ट ने जन्मसिद्ध नागरिकता को बरकरार रखा है, जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स बनाम वोंग किम आर्क (1898) का ऐतिहासिक मामला भी शामिल है। इस मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि गैर- नागरिक माता-पिता से यूएस में पैदा हुआ बच्चा अभी भी यूएस का नागरिक है। ट्रंप के कार्यकारी आदेश के खिलाफ तर्क यह है कि यह संशोधन प्रक्रिया का पालन किए बिना संवैधानिक गारंटी को रद्द नहीं कर सकता है, जिसके लिए कांग्रेस में बहुमत और राज्यों में दो-तिहाई वोट की आवश्यकता होगी। फिर भी इस आदेश से कानूनी लड़ाई भड़कने की संभावना है