विश्व क्षय रोग दिवस 2025 टीबी से निपटने के वैश्विक प्रयासों ने साल 2000 से अब तक अनुमानित 7.9 करोड़ लोगों की बचाई जान

विश्व क्षय रोग दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है
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2025-03-24 14:31:36

विश्व क्षय रोग दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। इस साल की थीम है, “हाँ, हम क्षय रोग को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध, निवेश और परिणाम। टीबी को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों से 2000 से अब तक 7.9 करोड़ लोगों की जान बचाई गई है। विश्व टीबी दिवस, दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी-तपेदिक को खत्म करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है। आज सोमवार, विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) विभिन्न क्षेत्रों और देशों में जरूरतमंद लोगों के लिए क्षय रोग (टीबी) देखभाल और सहायता सेवाओं की सुरक्षा और रखरखाव के लिए संसाधनों के तत्काल निवेश का आह्वान कर रहा है। दरअसल, टीबी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी बनी हुई है, जिससे हर साल 1 करोड़ से ज़्यादा लोग पीड़ित होते हैं और परिवारों और समुदायों पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। पिछले 10 वर्षों में भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों में 21.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी वहीं अगर भारत के संदर्भ में देखें तो तपेदिक (टीबी) उन्मूलन की दिशा में भारत की समर्पित यात्रा को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है, जिसमें 2015 से 2023 तक टीबी की घटनाओं में 17.7% की उल्लेखनीय गिरावट आई है, यह दर 8.3% की वैश्विक औसत गिरावट से दोगुनी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024 के अनुसार यह दर वैश्विक औसत गिरावट 8.3 प्रतिशत से दोगुनी है। इसके अलावा पिछले 10 वर्षों में भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों में भी 21.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है। भारत में क्षय रोग (टीबी) को समाप्त करने की रणनीतियाँ और लक्ष्य भारत में वर्ष 1962 से, टीबी के खिलाफ कई अभियान चलाए गए लेकिन 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतत विकास लक्ष्यों की 2030 की समय सीमा से बहुत पहले टीबी को समाप्त करने का विज़न रखा। “2025 तक टीबी उन्मूलन” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता आपको बता दें, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों पर हस्ताक्षर करने वाले देश के रूप में भारत ने 2030 की एसडीजी समयसीमा से पांच साल पहले 2025 तक “टीबी उन्मूलन” लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में आयोजित “टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन” के दौरान “2025 तक टीबी उन्मूलन” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पहली बार व्यक्त किया था और विश्व टीबी दिवस 2023 पर वाराणसी में “वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन” में इसकी पुष्टि की गई थी। इस शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने टीबी के लिए निर्णायक और पुनर्जीवित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, भारत गांधीनगर घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है, (स्वास्थ्य मंत्रियों और डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा संयुक्त घोषणा) जिस पर अगस्त 2023 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 2030 तक टीबी उन्मूलन के लिए “स्थायी, त्वरित और नवाचार” पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में हस्ताक्षर किए गए थे। वहीं, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (यूएन-एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत ने एसडीजी की समय सीमा 2030 से पांच वर्ष पहले ही 2025 तक “टीबी को समाप्त” करने के लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य के अंतर्गत टीबी के संकेतक इस प्रकार हैं- 2015 के स्तर की तुलना में टीबी की घटना दर (प्रति लाख जनसंख्या पर नए मामले) में 80% की कमी। 2015 के स्तर की तुलना में टीबी मृत्यु दर में 90% की कमी। टीबी रोग के कारण विनाशकारी व्यय का सामना करने वाले शून्य टीबी प्रभावित परिवार। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा दिखाई गई मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता के अनुरूप, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) को लागू कर रहा है। एनएसपी 2017-2025 ने लक्ष्यों और उपलब्धियों के बीच के अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है और भारत बोझ अनुमान के लिए गणितीय मॉडल विकसित करने वाले पहले देशों में से एक है। सहायक सेवाओं के माध्यम से रोगी देखभाल को मजबूत बनाना निक्षय पोषण योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) लगभग 1 करोड़ लाभार्थियों को लगभग 2,781 करोड़ रुपये वितरित करके टीबी रोगियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। उपचार समर्थकों और आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं, टीबी विजेता (टीबी चैंपियन) और निक्षय साथी (परिवार देखभालकर्ता मॉडल) को प्रोत्साहित करने सहित नई पहलों का उद्देश्य रोगी सहायता प्रणालियों को और बेहतर बनाना है। एक सौ दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान गौरतलब हो, भारत के टीबी उन्मूलन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने 7 दिसंबर, 2024 को हरियाणा के पंचकूला में एक सौ दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया। भारत के 347 जिलों में लागू अभियान देश भर के 347 जिलों में लागू किए जाने वाले इस अभियान का लक्ष्य टीबी के छूटे हुए मामलों, खासकर उच्च जोखिम वाले समूहों में, का पता लगाना और उनका इलाज करना तथा टीबी से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम करना है। निजी चिकित्सकों के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया है कि वे किसी भी नए टीबी रोगी को सूचित करें वहीं, सरकार ने अब निजी चिकित्सकों के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया है कि वे किसी भी नए टीबी रोगी को सूचित करें, ताकि उनका उपचार फौरन शुरू किया जा सके। आपको बता दें, सरकार टीबी को खत्म करने के लिए “4टी” पर काम कर रही है, जो परीक्षण, ट्रैक, इलाज और प्रोद्योगिकी हैं। पिछले 10 वर्षों में गहन परीक्षण से नए टीबी मामलों का पता लगाया गया है, जिनका मुफ्त इलाज किया जा रहा है। टीबी उन्मूलन की ओर बढ़ना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, टीबी उन्मूलन की दिशा में लड़ाई की गति को बनाए रखने के लिए, विभिन्न प्रकार के हस्तक्षेप लागू किए जा रहे हैं और आने वाले वर्षों के लिए विकास के चरण में हैं, जिनमें शामिल हैं: वयस्क बीसीजी टीकाकरण पर अध्ययन आयोजित करना क्षय रोग निवारक चिकित्सा (टीपीटी) का विस्तार और तेजी से विस्तार, जिसमें नई और छोटी उपचार पद्धतियां शामिल हैं टीबी से पीड़ित होने की आशंका वाले सभी व्यक्तियों के लिए आणविक नैदानिक ​​परीक्षण तक पहुंच बढ़ाना, साथ ही व्यापक रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग तंत्र बनाना “आयुष्मान आरोग्य मंदिरों” को टीबी सेवा वितरण का विकेंद्रीकरण पीएमटीबीएमबीए पहल के माध्यम से समुदाय-आधारित रोगी सहायता प्रणालियों को बढ़ाना विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संदेश में कहा वहीं, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा है,“विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर, मैं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा जन भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियान की सराहना करती हूँ।” उन्होंने आगे कहा, “इस वर्ष के विश्व क्षय रोग दिवस का विषय है – “हाँ, हम क्षय रोग को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध, निवेश और परिणाम” । यह इस समझ को दर्शाता है कि क्षय रोग को समाप्त करने के लिए एकजुट और ठोस वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है। क्षय रोग का उन्मूलन राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा इस संक्रामक रोग ने दुनिया भर में लाखों लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। क्षय रोग को समाप्त करने के हमारे एकजुट प्रयासों और राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जागरूकता अभियानों के परिणामस्वरूप पिछले एक दशक में देश में क्षय रोग के मामलों में भारी कमी आई है। मैं राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की इस उल्लेखनीय उपलब्धि की सराहना करती हूँ।” उल्लेखनीय है, भारत का व्यापक टीबी उन्मूलन दृष्टिकोण सकारात्मक परिणाम दिखा रहा है, जिसमें घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट और एक मजबूत स्वास्थ्य प्रतिक्रिया ढांचा शामिल है।

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