2025-03-18 21:04:56
नई दिल्ली। HIIMS (हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, उन कैंसर मरीजों ने अपनी असाधारण रिकवरी कहानियां साझा कीं जिन्हें प्रमुख अस्पतालों द्वारा लाइलाज घोषित कर दिया गया था। इन मरीजों को कीमोथेरेपी और रेडिएशन की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने HIIMS में फीवर थेरेपी, DIP डाइट, ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी, पंचकर्म थेरेपी, टाइम ऐज़ मेडिसिन, आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी प्राकृतिक चिकित्सा अपनाई और बिना पारंपरिक इलाज के पूरी तरह स्वस्थ हो गए। कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी और आचार्य मनीष ने किया, जिन्होंने HIIMS की समग्र चिकित्सा पद्धतियों पर प्रकाश डाला, जिससे मरीजों को बिना साइड इफेक्ट्स के ठीक होने में मदद मिली। इस मौके पर बोलते हुए, आचार्य मनीष ने पारंपरिक कैंसर उपचारों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, पारंपरिक चिकित्सा केवल लक्षणों को दबाने पर केंद्रित होती है, जबकि हमारा लक्ष्य शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है ताकि कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज जड़ से हो सके, बिना किसी हानिकारक प्रभाव के। डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने इस दौरान अपनी पुस्तक रैबिट-टॉर्टोइज़ मॉडल फॉर कैंसर क्योर का विमोचन किया। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार कीमोथेरेपी और रेडिएशन अक्सर कैंसर को ठीक करने के बजाय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा, मेडिकल इंडस्ट्री ने लोगों को यह विश्वास दिला दिया है कि कैंसर एक मौत की सजा है, जब तक कि इसे जहरीली दवाओं से नहीं सुधारा जाए। लेकिन हमारे शोध और मरीजों के वास्तविक अनुभव यह साबित करते हैं कि कैंसर को प्राकृतिक रूप से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। उनकी प्रेरणादायक कहानियां, जिन्होंने कैंसर को हराया प्रेस कॉन्फ्रेंस की सबसे खास बात वे पांच मरीज थे जिन्होंने HIIMS के प्राकृतिक इलाज से कैंसर को मात दी: निशामणि बेहरा (ओडिशा) – इन्हें तीसरे स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर का पता चला था और डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी व सर्जरी की सलाह दी थी। लेकिन इन्होंने HIIMS के DIP डाइट, फीवर थेरेपी, और ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी को अपनाया। कुछ ही महीनों में उनका ट्यूमर सिकुड़ गया और बिना किसी कीमोथेरेपी के वे पूरी तरह स्वस्थ हो गईं। प्रतिभा सामल (दुबई) – इन्हें ओवरी कैंसर का गंभीर रूप से निदान हुआ था और डॉक्टरों ने नकारात्मक भविष्यवाणी की थी। लेकिन इन्होंने HIIMS के डिटॉक्स रेजीम, पंचकर्म और आयुर्वेदिक दवाओं को अपनाया। आज वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और कैंसर का कोई निशान नहीं बचा है। चंदरवती (हरियाणा) – इन्हें फेफड़ों का कैंसर था और डॉक्टरों ने केवल कुछ महीने की जिंदगी बताई थी। लेकिन HIIMS की ब्रीदिंग एक्सरसाइज़, हर्बल थेरेपी और इम्यूनिटी बूस्टिंग डाइट से उन्होंने चमत्कारी रूप से रिकवरी कर ली। अंबिका पुरी (चंडीगढ़) – वे ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित थीं और डॉक्टरों ने उनके बचने की संभावना को नकार दिया था। लेकिन HIIMS की हर्बल डिटॉक्स और प्लांट-बेस्ड डाइट की मदद से उनके ब्लड टेस्ट नॉर्मल आ गए और वे पूरी तरह ठीक हो गईं। HIIMS का दृष्टिकोण – प्राकृतिक तरीकों से कैंसर का इलाज HIIMS की चिकित्सा पद्धति शरीर को विषमुक्त करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और सेलुलर हेल्थ को पुनर्स्थापित करने पर केंद्रित है। इसमें पंचकर्म, DIP डाइट, ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी, योग और सनलाइट थेरेपी जैसी तकनीकें शामिल हैं। इस अवसर पर, HIIMS ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम की तुलना अपनी चिकित्सा क्रांति से की, यह कहते हुए कि जैसे नेताजी ने विदेशी शासकों से आज़ादी के लिए संघर्ष किया, वैसे ही HIIMS पारंपरिक जहरीले उपचारों के प्रभुत्व के खिलाफ लड़ रहा है। कार्यक्रम का समापन इस सशक्त संदेश के साथ हुआ कि कैंसर कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक मेटाबोलिक विकार है, जिसे प्राकृतिक चिकित्सा से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।