सुशासन प्रथाओं पर राष्ट्रीय कार्यशाला का केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह आज करेंगे उद्घाटन

डॉ. जितेंद्र सिंह सोमवार को स्वच्छता को संस्थागत बनाने और सरकार में लंबित मामलों को कम करने के लिए विशेष अभियान 4.0 की मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करेंगे।
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2024-12-23 13:18:01

नई दिल्ली :केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह आज (सोमवार) नई दिल्ली में आयोजित होने वाली सुशासन प्रथाओं पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान वह मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा स्वच्छता अभियान 4.0 की सर्वोत्तम प्रथाओं पर आयोजित प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करेंगे। विशेष अभियान 4.0 के दौरान सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार के लिए कार्यशाला में मंत्रालयों व विभागों के 750 अधिकारी भाग ले रहें हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चौथे सुशासन सप्ताह की सफलता के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, “सुशासन ही राष्ट्र की तरक्की की कुंजी है। एक पारदर्शी, कुशल और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करना एक अहम पहलू है, जो लोगों के समग्र कल्याण और बेहतरी के लिए काम करता है। आधिकारिक बयान के अनुसार डॉ. जितेंद्र सिंह सोमवार को स्वच्छता को संस्थागत बनाने और सरकार में लंबित मामलों को कम करने के लिए विशेष अभियान 4.0 की मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करेंगे। केंद्रीय मंत्री विशेष अभियान 4.0 के दौरान मंत्रालयों और विभागों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। डीएआरपीजी द्वारा 2021-2024 तक सुशासन प्रथाओं पर आयोजित यह चौथी राष्ट्रीय कार्यशाला है। यह हर साल 19 दिसंबर से 25 दिसंबर तक मनाए जाने वाले सुशासन सप्ताह (सुशासन सप्ताह) कार्यक्रमों का एक अभिन्न अंग बन गया है। आपको बता दें कि स्वच्छता को संस्थागत बनाने और सरकारी कार्यालयों में लंबित मामलों को कम करने के लिए 2 से 31 अक्टूबर2024 तक विशेष अभियान 4.0,5.97 लाख कार्यालयों में चलाया गया, जिसमें 25.19 लाख फाइलों को हटाया गया। इस दौरान स्क्रैप निपटान से 650.10 करोड़ रूपए का राजस्व अर्जित हुआ और 190 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई। संचयी रूप से 4 विशेष अभियानों ने 2021-2024 की अवधि में स्क्रैप के निपटारे से 2364 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री ने 10 नवंबर 2024 को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि कुशल प्रबंधन और सक्रिय कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने से इस प्रयास के अच्छे परिणाम मिले हैं। यह दिखाता है कि कैसे सामूहिक प्रयासों से स्वच्छता और आर्थिक विवेकशीलता, दोनों को बढ़ावा देकर स्थायी परिणाम मिल सकते हैं।

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