2023-09-15 12:45:21
बिलासपुर । स्वच्छता अभियान की सफलता में अधिकारी ही रोड़ा बन रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश का हर गांव गंदगी से मुक्त हो लेकिन सफाई कर्मियों के अटैचमेंट के खेल ने गांवों की सफाई व्यवस्था का बेड़ागर्क कर रखा है। 150 से अधिक ऐसे सफाई कर्मी हैं जिनकी तैनाती तो गांवों में सफाई करने के लिए कागजों में है लेकिन ये कर्मचारी ड्यूटी तो बड़े अधिकारियों के आवासों और कैंप कार्यालयों में बजा रहे हैं। इस तरह कैसे गांवों को स्वच्छ बना सकते हैं, इसको लेकर बड़ा संशय बना है।
वह अफसरों के चालक, कंप्यूटर आपरेटर, अर्दली, रसोइए आदि के काम करने लगे, जबकि नौकरी पाने के लिए वह खुद गंदे नालों में सफाई के लिए कूद गए थे। तमाम ग्राम पंचायतों में तो कुछ सफाई कर्मियों ने अपने स्थान पर दिहाड़ी में अन्य सफाई कर्मचारियों को लगा दिया है और खुद मौज कर रहे हैं।
पोल खुलने के डर से नहीं देते आंकड़ा
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक विभागीय कर्मी ने बताया कि पोल खुलने के डर से अफसर आंकड़ा देने से बचते हैं। क्योंकि अटैचमेंट कागजों में नहीं सिर्फ मौखिक तौर पर चल रहा है। इसको लेकर कोई शासनादेश नहीं है। अधिकारियों की मांग पर ब्लाक व मुख्यालय पर कर्मचारियों को तैनाती दी जाती है। जबकि अभिलेखों में इनकी तैनाती उसी गांव में दर्शाई जाती है जहां मूल तैनाती है। ऐसे में यदि इनको अभिलखों में दर्शाया गया तो अफसरों को फजीहत झेलनी पड़ सकती है।
यह स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक
चंदेला,नवाबगंज, रास डांडिया, सीहोर, बोसेना, तैमरा समेत कई गांवों में सफाई कर्मचारियों के नहीं पहुंचने से गंदगी फैली है। इन गांवों को निरीक्षण किया जाए तो गांवों में व्याप्त गंदगी इन सफाई कर्मियों की पोल खोलने के लिए काफी है। सूत्र बताते हैं कि यह लंबे समय से सफाईकर्मी नहीं गए। कई ने तो अपनी जगह अन्य स्थानीय युवाओं का लगा रखा है।
अपर मुख्य सचिव भी जता चुके हैं नाराजगी
पिछले साल हाईकोर्ट ने अटैच सफाई कर्मियों को उनकी मूल स्थान पर तैनाती के निर्देश दिए। जिसके अनुपालन में अपर मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी। इसके बाद निदेशक पंचायती राज किंजल सिंह और विशेष सचिव राकेश कुमार ने भी इस संबंध में निर्देश दिए थे। लेकिन अटैचमेंट खेल अब तक खत्म नहीं हो सका।
कुछ सफाई कर्मचारी लिखित में अटैच हैं।
कोविड काल में में जरूर कुछ सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी। अगर कहीं से लिखित में मांग की जाती है तो सफाई कर्मी भेज दिए जाते हैं। इसके बाद भी अगर तैनाती वाली ग्राम पंचायतों में सफाई कर्मी काम पर नहीं जा रहे हैं तो उनकी सूची तैयार कर मूल तैनाती पर भेजा जाएगा। -डीपीआरओ