2025-02-22 19:22:10
अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश वार काउंसिल अनुशासन समिति के पूर्व सदस्य पूर्व सहायक शासकीय अधिवक्ता गवेंद् सिंह एडवोकेट व अधिवक्ता चेतना मंच के संस्थापक ठाकुर नरेन्द्र सिंह एडवोकेट ने केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन विधेयक 2025 का मसौदा जारी किया गया है उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा इस विधेयक के कई क्लाज संविधान विरोधी और अधिवक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने की एक सुनोयोजित साजिश है यह संशोधन विधायक अधिवक्ताओं की फ्रीडम ऑफ स्पीच को खत्म करने का प्रयास है नए बिल की धारा 35 ए जो जोड़ी है जो किसी वकील या वकीलों के संगठन को कोर्ट के बहिष्कार का आव्हान करने या हड़ताल करने से रुकती है इसका उल्लंघन करने पर वकालत के व्यवसाय का मिसकंडक्ट माना जाएगा इसके लिए अनुशासन द्वारा करवाई की जाएगी जो कि उनके संवैधानिक अधिकार अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है लोकतंत्र में अपनी जायज मांगों और समस्याओं के लिए शांतिपूर्वक तरीके से हड़ताल वह बहिष्कार करने का एक लोकतांत्रिक अधिकार है इस विधेयक द्वारा अधिवक्ताओं से इस अधिकार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है तथा इस विधेयक में अधिवक्ताओं पर जुर्माना का भी प्रावधान किया गया है जो अधिवक्ताओं का शोषण और नाजायज दबाब बनाने का काम करेगा तथा बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया को भी तुरंत निलंबित करने का अधिकार दिया जा रहा है जो कि अधिवक्ताओं के प्रति अन्याय पूर्ण होगा इतना ही नहीं वार काउंसिल आफ इंडिया में सरकार अपने तीन प्रतिनिधियों को नामित करने का अधिकार लेना चाहती है जिससे सरकार का दबदबा बार काउंसिल पर बना रहे जबकि बार काउंसिल आफ इंडिया अधिवक्ताओं की एक स्वतंत्र संस्था है और सरकार इस पर भी अपना नि यंत्रण रखना चाहती है यह विधेयक 2025 पूरी तरह से अधिवक्ताओं के विरुद्ध है और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है सरकार को इसको वापस लेना चाहिए