स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है मलेरिया और डेंगू से बचाव हेतु जनजागरूकता अभियान

मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों के प्रकोप को रोकने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत की है
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2025-04-03 19:52:15

मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों के प्रकोप को रोकने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। अभियान का उद्देश्य नागरिकों को इन बीमारियों के कारण, लक्षण, बचाव और रोकथाम के उपायों के प्रति सचेत करना है । यह जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. सपना गहलावत ने बताया कि इस अभियान के तहत रैपिड फीवर मास सर्वे किया जा रहा हैं, जिससे बुखार से पीड़ित लोगों की शीघ्र पहचान कर उनकी जांच और उपचार किया जा सके, प्रत्येक सोमवार को प्रवासी मजदूरों पर विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे। इसके पूर्व के मलेरिया और डेंगू मामलों का फॉलोअप किया जा रहा है और बुखार के लक्षण पाए जाने पर उनके ब्लड की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है। डॉ. सपना गहलावत ने बताया कि इस वर्ष ब्लड स्लाइड टारगेट जुलाई से अक्टूबर के सीजन में 0.75 और ऑफ-सीजन में 0.5 निर्धारित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। प्रत्येक सोमवार को भ_ों, स्लम एरिया, चिनाई लेबर जैसे प्रवासी मजदूरों की बस्तियों में गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सीएचसी को इस वर्ष फिश हैचरी स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे वे स्वयं गैम्बूसिया मछली का उपयोग कर अपने क्षेत्र के जल स्रोतों में मच्छरों के लार्वा को नियंत्रित कर सकें। सोर्स रिडक्शन गतिविधियों को प्राथमिकता दी जा रही हैं तथा डेली रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई है। उप सिविल सर्जन एवं जिला मलेरिया नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष खतरेजा ने कहा कि बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या बढ़ जाती है, जिससे मच्छरों के पनपने की अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। यही कारण है कि इस मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए नागरिकों को सतर्क रहना आवश्यक है। डॉ. खतरेजा ने बताया कि डेंगू और मलेरिया दोनों ही खतरनाक बीमारियाँ हैं और इनके लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर परिणाम दे सकता है। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार में मरीज को तेज बुखार के साथ सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, उल्टी और कमजोरी महसूस होती है। कुछ मामलों में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटने लगती है, जिससे मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है। वहीं मलेरिया के लक्षणों में ठंड लगकर बुखार आना, अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी, सिर दर्द और उल्टी शामिल हैं। कुछ मामलों में यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है, खासकर यदि समय पर उपचार न मिले। उन्होंने बताया कि डेंगू और मलेरिया से बचने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए हमें घर और उसके आसपास सफाई बनाए रखनी चाहिए। कूलर, टंकी, गमले, टायर और अन्य जगहों पर पानी जमा होने से बचें। सप्ताह में कम से कम एक बार कूलर का पानी खाली करें और उसे सुखाएं। अगर संभव हो तो उसमें थोड़ा सा तेल डालें जिससे मच्छरों का लार्वा पनप न सके। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और मच्छरों से बचने के लिए मॉस्किटो रिपेलेंट का उपयोग करें। शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने से मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई जा रही जागरूकता गतिविधियों में भाग लेकर समाज में इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाएं। डॉ. खतरेजा ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो और उसे डेंगू या मलेरिया होने का संदेह हो, तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मलेरिया और डेंगू की निशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में फॉगिंग और एंटी-लार्वा गतिविधियां लगातार चलाई जा रही हैं ताकि मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सके। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीमों द्वारा नियमित सर्वेक्षण किया जा रहा है, जिसमें डेंगू और मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। डॉ. खतरेजा ने आम जनता से अपील की हैं कि वे अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों में पानी जमा न होने दें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी क्षेत्र में मच्छरों की अधिकता देखी जाए, तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। डॉ. खतरेजा ने कहा कि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों को रोकने के लिए सरकार, प्रशासन और आम जनता को मिलकर प्रयास करना होगा। जब तक नागरिक स्वयं जागरूक नहीं होंगे और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करेंगे, तब तक इन बीमारियों पर पूरी तरह से नियंत्रण पाना मुश्किल होगा। स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन यह तब ही सफल होगा जब आम जनता भी इसमें सहयोग करेगी।

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