2023-07-07 12:55:01
पूर्वी दिल्ली में स्थित स्वामी दयानंद अस्पताल में दिखा कुछ ऐसा सबके उड़ेंगे होर्स वहां सरेआम ओपीडी ब्लॉक के सामने जो गेट नंबर दो के बंद होने के कारण सरेआम गांजा भर के पी रहे है सिगरेट और वहां के गार्ड को कुछ नहीं दिखाई दे रहा वह लोग सिर्फ वहां से गुजरते हैं,तो अपने लिए गुटका पान मसाला लेने या किसी स्टाफ के लिए चाय लेने आते हैं।और उन लोगों को कुछ नहीं दिखाई देता वहां के परेशान पेसेंन्ट और जनता उन लोगों को ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है,क्या हॉस्पिटल का गेट इसलिए ही बंद करा रखा है, कि वहां सब खुले में सिगरेट पीए और सिगरेट भरके पिए नशा करें वह तो उन लोगों ने अपनी पार्किंग के लिए बनाया है ,या नशा मुक्ति केंद्र के लिए जबकि उस गेट के बंद होने के कारण वहां जो भी पेशेन्ट आता है उन्हें गेट नंबर 1से घूम कर आना पड़ता है।और काबिले गौर की बात है कि जो ओपीडी के सामने कैंटीन खोल रखी है वहां 5 रुपे की चीज के ₹10 रुपे और 10 के 15 लेते हैं ऐसे में आम जनता का क्या हाल होता होगा यह तो सोचना भी मुश्किल है।
अभी खास बात वहां की जो टॉयलेट बना रखे हैं स्टाफ के लिए वह बहुत साफ है और ताले लगा रखे हैं।और बिचारी आम जनता और पेसेंन्ट के लिए टॉयलेट इस प्रकार गंदे हुए पड़े हैं, की उसके अंदर जाने में तो वहां के लोग कहते हैं कि हम आत्मा हत्या करले।
ओपीडी के अंदर कुछ ऐसे ब्रांच बना रखे हैं जहां लोगों के बैठने पर ऐसी गर्मी में कोई पंखे नहीं लगे और पंखे लगे हैं तो कीमती कीमती जगह पर लगे हैं वहां जो गर्भवती महिला के लिए कुछ जांच करने वाली जगह पर नहीं है सब अपने लिए और वहां के स्टाफ डॉक्टरों के लिए एसी लगा हुआ है तो उन लोगों को वहां के मरीजों और आम जनता को क्या देखना। वहां के लोगों का कहना है कि वहां के डॉक्टर लोग तो मोबाइल को देख - देख कर पेशेन्ट को चेक करते हैं और उनका बेवकूफ कुछ इस प्रकार बनाते हैं की वह लोग कहते हैं सारी रिपोर्ट लेकर आओ कमरा नंबर 123, 117, 54, पुराना 54 ऐसे करके रिपोर्ट मंगवाते हैं प्रेग्मेन्ट लेडीज को परेशान करते हैं, फिर वह से लेडीस मजबूरन रिपोर्ट लेने जाती हैं तो कहीं से मिलती है तो कहीं से जवाब मिलता है कि हमने सब रिपोर्ट डॉक्टर को ऑनलाइन भेजती है, ऐसे वहां दिखा जब ब्लड की रिपोर्ट लेने गए तो वहां लेडीस ने बताया कि हमने सारी रिपोर्ट ऑनलाइन भेजती है जब उन लोगों के पास ऑनलाइन रिपोर्ट आ जाती है फिर भी वह लोग दौड़आते हैं परेशान करते हैं फिर बाद में कहते हैं अब समय खत्म हो गया कल आना जबकि पेशेन्ट को सुबह ही आना पड़ता है
वहां के लोग सुबह 7:00 बजे आकर पहले पर्चे की लाइन में दो-तीन घंटे समय लग जाते हैं उसके बाद बीपी और डेट की लाइन उसमें भी दो-तीन घंटे से पहले नंबर नहीं आता फिर डॉक्टर के पास जांच की लाइन में वहां भी दो-तीन घंटे से पहले नहीं आता ऐसे में वहां के लोग सुबह ही 7:00 बजे आ जाते हैं और ऐसे करते करते उन्हें शाम के 4:00 से 5:00 बज जाते हैं और 5:00 बजे ही डॉक्टरों की छुट्टी भी हो जाती है जिसका जांच हुआ हुआ जिसका नहीं हुआ वह कल आए वह भी अपनी तारीख़ पर तारीख से पहले जाओगे तो पर्चा फाड़ के फेंक देंगे ऐसा कहना है वहां की प्रेग्मेनट लेडीजो का यह कहना है खुद तो नाश्ता करने 11:00 बजे चली जाती हैं एक बार भी नहीं सोचती हैं कि बिचारी महिलाओं को सुबह से शाम तक उस लाइन में खड़े-खड़े समय बिता देती हैं और वहां के गॉड लोगों का बर्ताव इस प्रकार खराब है कि जो पैसा देता है उसको चुपचाप अंदर कर देती हैं जो नहीं देता वह लाइन में ही रहता है।
सबके प्रति एक नियम होना चाहिए चाहे पैसा दो या ना दो पेसेंट तो सभी हैं ऐसा दुर्भाव क्यों वहां की लेडीजो का यह कहना है।
ऐसे में वहां के डायरेक्टर कुछ करते हैं, या नहीं या अपना ऐसी का आराम लेकर जनता को नजरअंदाज कर देते हैं, यह देखना बाकी है।