भाषा के विकास में तकनीक का अहम योगदान कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार

हकेवि में नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के सहयोग से एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
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2025-04-10 21:03:02

महेंद्रगढ़। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में एक-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय नागरी लिपि संगोष्ठी का आयोजन गत दिवस किया गया। विश्वविद्यालय के हिंदी और संस्कृत विभाग तथा राजभाषा अनुभाग के सहयोग से आयोजित इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने की, जिसमें नागरी लिपि परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पतंजलि, महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल, रक्षा मंत्रालय के पूर्व हिंदी-अधिकारी आचार्य ओमप्रकाश, केंद्रीय हिंदी निदेशालय के डॉ. भगवतीप्रसाद निदारिया, सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के प्रोफेसर एवं डीन डॉ. रामनिवास मानव और हिंदी-प्रेमी मंडली, हैदराबाद (तेलंगाना) के चवाकुल रामकृष्ण राव की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर चवाकुल रामकृष्ण राव ने विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार को चवाकुल नरसिंहमूर्ति स्मृति नागरी-सम्मान से भी सम्मानित किया। दीप-प्रज्ज्वलन के उपरांत पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष तथा कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अशोक कुमार ने, संगोष्ठी में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए, कहा कि लिपियों का संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने, भाषा के महत्त्व और उसमें लिपि की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, बदलते समय में तकनीक के महत्त्व को रेखांकित किया और कहा कि आने वाला समय तकनीकी का है, इसलिए तकनीक के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में विलनिस (नीदरलैंड) से डॉ. रामा तक्षक, सिडनी (आस्ट्रेलिया) से डॉ. भावना कुंअर और प्रगीत कुंवर, मोका (मॉरिशस) से डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, चेन्नई (तमिलनाडु) से डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, डिबू्रगढ़ (असम) से ललित शर्मा, दिल्ली से डॉ. शिवशंकर अवस्थी, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से डॉ. राजमुनि तथा कोडरमा (झारखंड) से डॉ. अशोक अभिषेक ने विषय-विशेषज्ञ के रूप में ऑनलाइन अपने विचार प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किए। आयोजन में मुख्य वक्ता डॉ. प्रेमचंद पतंजलि ने लिपि के महत्त्व से प्रतिभागियों को अवगत कराया और बताया कि किस तरह से सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा में लिपि और भाषा का योगदान है। उन्होंने लिपि के विकास और उसमें उपलब्ध वैज्ञानिकता एवं एकात्मकता पर भी विस्तार से प्रतिभागियों को अवगत कराया। कार्यक्रम में डॉ. रामनिवास मानव, डॉ. हरिसिंह पाल, आचार्य ओमप्रकाश, डॉ. भगवतीप्रसाद निदारिया और चवाकुल रामकृष्ण राव ने भी प्रतिभागियों को लिपि के महत्त्व और उसकी भाषा के विकास में उपयोगिता से अवगत कराया। आयोजन के दौरान मंच का संचालन व संयोजन डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने किया। आयोजन के द्वितीय सत्र में सूचना प्रौद्योगिकी और नागरी लिपि विषय पर डॉ. श्यामसुंदर कथूरिया, डॉ. कमलेश कुमारी और डॉ. देवेंद्रसिंह राजपूत ने अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन के अंत में हिंदी-विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीरपालसिंह यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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