नसबंदी ही हिंदुओं की घटती हुई जनसंख्या का मुख्य कारण शंकराचार्य नरेंद्रानंद

राजनीतिक दल कह रहे जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी
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2025-01-02 18:32:09

गुरुग्राम। काशी सुमेरु पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि भारत देश के विभिन्न प्रांत अथवा राज्यों में हिंदू अथवा सनातन के अनुयायियों की संख्या घटते हुए एक प्रकार से अल्पसंख्यक श्रेणी में आती जा रही है। सीधे-सीधे शब्दों में यह भी बोल सकते हैं कि हिंदू और सनातनी विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यक हो रहे हैं । इसका मुख्य कारण नसबंदी को ही ठहराया जा सकता है। कांग्रेस सरकार के द्वारा 1977 में नसबंदी पर जोर देते हुए दो ही बच्चे पैदा किया जाने के लिए कहा गया । परिणाम स्वरुप मौजूदा समय में हिंदुओं अथवा सनातन के अनुयायियों की संख्या 98 प्रतिशत से घटकर अब 70 प्रतिशत तक सिमट कर रह गई है । दूसरी तरफ विभिन्न राजनीतिक दल के नेता और राजनीतिक दल यह वकालत करने लगे हैं कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी ,उतनी ही भागीदारी भी होनी चाहिए । यह बात उन्होंने मानिकपुर विस्सू में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान के अल्पविराम के दौरान अपने संबोधन में कही। यह जानकारी शंकराचार्य के निजी सचिव के द्वारा मीडिया के साथ साझा की गई है।

अपनी बात को खुलकर और बेबाक और तर्कपूर्ण तरीके से कह देने के लिए चर्चित शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने कहा पड़ोसी देश बांग्लादेश में जिस प्रकार के हालात बने हुए हैं ,वह निश्चित ही सनातन प्रेमियों और अनुयायियों के लिए विचलित करने वाले हैं। बांग्लादेश जैसे जो भी हालात बने हुए हैं ,इस प्रकार के हालात आने वाले समय अथवा भविष्य में भारत देश में देखने के लिए मिलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इस प्रकार की गंभीर हालत और स्थिति पर हिंदू विचारवादी सनातन प्रेमियों को गंभीरता के साथ चिंतन और मंथन करना ही होगा । इतना ही नहीं उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि अब समय आ गया है परिवार में बच्चों की संख्या भी बढ़ने पर गंभीरता से विचार करते हुए इस पर अमल किया जाने की जरूरत है । उन्होंने कहा हमें अपनी वाणी और कहे जाने वाले शब्दों का सही प्रकार से चयन करना चाहिए। कई बार बोलते समय वाणी पर नियंत्रण नहीं होना से और शब्दों का चयन नहीं किया जाने के कारण अर्थ का अनर्थ होने में भी अधिक समय नहीं लगता है।

जगद्गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने बेहद व्यथित शब्दों में कहा बांग्लादेश के हिंदुओं के नरसंहार और अत्याचार पर किसी भी राजनीतिक दल ने किसी भी प्रकार की गंभीरता नहीं दिखाई और नहीं खुलकर प्रतिकार दर्ज करवाया। बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के आतंक को देखते हुए भी हमारे अपने राजनीतिक दल और नेताओं के द्वारा खुला कर विरोध करना भी उचित नहीं समझ गया और नहीं आवाज उठाई गई। यह बेहद गंभीर और चिंताजनक स्थिति है । इसी कड़ी में शंकराचार्य महाराज ने कॉलेजियम सिस्टम पर भी सवाल उठाते हुए कहा इस व्यवस्था में भी सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है । कोर्ट अथवा न्यायालय में प्राथमिकता बहस, चर्चा और सुनवाई के साथ ही न्याय दिया जाना प्राथमिकता होना चाहिए। लेकिन अक्सर देखने में यही आता है कि कोर्ट या फिर न्यायालय में तारीख पर तारीख ही अधिक मिलती है रहती है।

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