गौरव ग्रन्थ ही नहीं जीवन सूत्र है श्री रामचरितमानस

श्री रामचरितमानस वह पवित्र महाकाव्य ग्रन्थ है जो न केवल हिन्दू धर्म अपितु सम्पूर्ण मानव समाज को यह सिखाता है
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2025-04-06 17:34:52

श्री रामचरितमानस वह पवित्र महाकाव्य ग्रन्थ है जो न केवल हिन्दू धर्म अपितु सम्पूर्ण मानव समाज को यह सिखाता है कि जीवन को किस प्रकार जिया जाये।वैसे भी भारतवर्ष मूलतःएक संस्कृति प्रधान देश है।संसार की समस्त संस्कृतियों में भारतीय सनातन संस्कृति की यह विशिष्टता रही है कि यहां जगदाधार भगवान् विष्णु समय-समय पर मनुष्य शरीर में अवतरित हुए हैं।इस पवित्र धरा का यह परम सौभाग्य भी रहा है कि जब-जब धरती पर अनाचार, अत्याचार और दुष्कृत्यों का प्रसार हुआ है तब-तब उनका विनाश करके सर्वजन हिताय,बहुजन हिताय की मंगल भावना के लिए श्रेष्ठ महापुरुषों मुनिगणऔर देवगण ने जन्म लिया है। इस प्रकार भारतीय इतिहास के पन्नों पर दृष्टिपात करें तो त्रेतायुग में चैत्र मास की नवमी तिथि को अयोध्या में रघुकुल वंश में भगवान श्री राम का प्रादुर्भाव हुआ था। मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्री राम की इसी जन्म तिथि का पावन पर्व श्रीरामनवमी आज सम्पूर्ण देश के साथ-साथ विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी हुई रामायण यानी रामचरितमानस में भगवान् श्रीराम की लिलाओं का सटिक व सुन्दर गुणगान पढ़ने और सुनने को मिलता है।यह तुलसी रामायण दुनिया का ऐसा दुर्लभ व अद्वितीय गौरव-ग्रन्थ है,जिसका अनुवाद भारत की सभी भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी और रूसी भाषा सहित दूसरी अनेक भाषाओं में हो चुका है।रामचरित मानस ऐसा लोक-प्रिय साहित्य है,जो हमें यह बताता है कि भगवान श्रीराम का जीवन एक मर्यादा पुरुषोत्तम महामानव का जीवन है,जो ईश्वर के अवतार हैं।उनके जीवन की मानवीय घटनाओं से मानव जाति और समाज के लिए उच्च कोटी के आदर्श स्थापित किए गए हैं।गोस्वामी जी ने अपनी रचना रामचरित मानस में भारतीय समाज को आदर्श बनाने के लिए आदर्श राजा,आदर्श प्रजा,आदर्श सेवक,आदर्श स्वामी,आदर्श पिता, आदर्श माता,आदर्श भ्राता,आदर्श पत्नी,आदर्श पुत्र,आदर्श मित्र इत्यादि सर्वत्र आदर्श पात्रों की सृष्टि की है। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में नई चेतना और नई शक्ति फूंकने का प्रयास किया है। अपनी रामायण और राम-कथा में उन्होंने भगवान् श्रीराम के धनुर्धारी स्वरूप को प्रदर्शित किया है, जो शक्ति का प्रतीक है।रामचरितमानस से मानव जाति को उत्साह,प्रेरणा तथा साहस का संदेश देने का प्रयास किया गया है।उनकी रामकथा में सत्य की असत्य,न्याय की अन्याय पर विजय दिखाकर रामराज्य की कामना की गई है। रामचरितमानस का धर्म और साहित्य दोनों ही दृष्टियों में बहुत बड़ा महत्त्व है। भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में अपनी अमिट छाप छोड़ने तथा घर-घर तक राम नाम पहुँचाने का श्रेय भी रामायण को ही जाता है। इसमें किया गया भगवान् श्रीराम के आदर्श व प्रेरणामयी जीवन का सजीव वर्णन भक्ति भावना में कर्म प्रधानता को प्रकट करता है।आज श्रीरामनवमी के महान् पावन पर्व के अवसर पर हम सब भगवान् श्रीराम की कीर्ति एवं उनके शौर्य का स्मरण करते हुए स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करें। भारत-भूमि का कण-कण सदा मंगलमय हो तथा विवेक-अविवेक, सत्य-असत्य,न्याय-अन्याय, नीति-अनीति की विवेचना करने की शक्ति हर भारतीय में जागृत हो,ऐसी मंगल कामना हम सब करते हैं।देश से आततायियों व देशद्रोहियों के विनाश और समस्त विश्व के लिए सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,सर्वे सन्तु निरामया की भावना के लिए काम करने का प्राणपण करके अपनी सभ्यता,संस्कृति,मर्यादा और भगवान् श्रीराम के आदर्शों को कायम करने का प्रयास करेंगे।निःसंदेह प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।श्रीरामनवमी के पावन पर्व की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।जय श्री राम!

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