2024-10-23 15:42:05
पीलीभीत ज़िला संवाददाता सबलू खा पूरनपुर। सरकार किसानों के फायदे को पहले ही धान खरीदने का समर्थन मूल्य की घोषणा कर चुकी है, लेकिन सरकारी धान क्रय केन्द्रों पर किसानों को अनाज बेचने के मानक बताकर पूरा करने को कहा जाता है लेकिन किसान जिन मानकों को पूरा नहीं कर पाता है और मजबूरी में किसान अनाज बेचने को राइस मिलों पर पहुंच रहे है। सूत्रों की माने तो राइस मिल सस्ते में धान खरीद कर किसानों को क्षति पहुंचाने से नहीं चूक रहे हैं । राइस मिल वाले किसान से सस्ते दामों में खरीदे धान को उसी किसान के कागजों के आधार पर गलत तरीके से सरकारी क्रय केंद्र पर बेचकर सरकारी रेट ले रहे हैं। सरकार की फाइलों में किसान को समर्थन मूल्य मिल रहा है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पूरनपुर तहसील क्षेत्र की बात की जाये तो यहां अनगिनत राइस मिल संचालित किये जा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को उनका फसल का वाजिब मूल्य मिले उसके लिए समर्थन मूल्य तय किया है, सरकार ने बिचौलियों पर अंकुश लगाने को प्रशासन को जिम्मेदारी दी है। किसानों का सस्ते में धान बिचौलिया ना खरीदें उसके लिए सीधी खरीद पर रोक लगाई गई है। सूत्रों की माने तो सीधी खरीद पर प्रतिबंध होने के बाद भी पूरनपुर में राइस मिलर किसानों से सीधी खरीद कर रहे हैं । किसानों का कहना है कि राइस मिलों के द्वारा किसानों से धान खरीदने की जानकारी प्रशासन के अधिकारियों को भी है, लेकिन लोगों का कहना है कि प्रशासन के अधिकारी जाने क्यों राइस मिलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, कहीं ना कहीं इसमें प्रशासन की सीधी खरीद में संलिप्तता जरूर है । पूरनपुर के राइस मिलरो ने सीधी खरीद करने के लिए कुछ ही दिनों पहले एक नेता जी को चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया था। कहीं ना कहीं सीधी खरीदने पर कार्रवाई ना हो उसके लिए अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए पहले से ही तैयारी कर ली गई थी। जिसका फल आज राइस मिलर ले रहे हैं । सरकारी फाइलों में किसान का अनाज समर्थन मूल्य में खरीदा जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। किसान बिचौलियों के कारण कंगाल हो रहे तो राइस मिल मालामाल हो रहे है। कहां चले गए किसानों को खुद को मसीहा बताने वाले नेता किसानों का कहना है कि पूरनपुर में किसान का हमदर्द बताने वाले नेता और कई यूनियन है, उसके बाद भी किसानों का सस्ते में धान खरीद कर राइस मिलर मालामाल हो रहे हैं। किसान फसल का बाजिव दाम नहीं मिलने से बर्बाद हो रहा है। किसानो को सरकारी क्रय केंद्र पर खरीद के मानक बताकर परेशान किया जा रहा है। ऐसे में किसानों की यूनियन और ना ही कोई किसान नेता सामने आ रहा है। लोगों का कहना तो यह भी है कि यह लोग सिर्फ अधिकारियों पर किसान नेता बनकर दबाव बनाना जानते हैं, और अपना काम करा लेते हैं। अब जब वास्तव में किसानों का शोषण हो रहा है तो कोई किसान नेता नहीं दिखाई दे रहा है ।