जाने माने कवि, गीतकार और फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने पुस्तक दो पलकों की छांव में का किया विमोचन

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की अंग्रेजी विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉ. हेमा जोशी ने लिखी है पुस्तक
News

2023-11-17 17:49:58

जाने-माने कवि लेखक और गीतकार प्रसून जोशी ने डॉ. हेमा जोशी द्वारा लिखित पुस्तक दो पलकों की छांव में का विमोचन किया। इस पुस्तक में अपने स्वयं के जीवन के एक काल्पनिक विवरण के आधार पर लेखिका डॉ हेमा जोशी ने अपने साहित्यिक स्वभाव को दो भारतीय शहरों,अल्मोडा जहां उनका जन्म हुआ और प्रयागराज जहां उन्होंने अपने बाद के वर्ष बिताए, के प्रति अपने प्यार के साथ जोड़ा है। एक प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि पर आधारित, यह किताब डॉ. जोशी के उन दो दुनियाओं के साथ आंतरिक संघर्ष के बारे में है, जिसमें वह रहती थीं - एक रोमांटिक रमणीय परिस्थिति जिसमें वह बड़ी हुईं, दूसरी उनका संघर्ष जो लचीलापन और चरित्र का निर्माण करता है।

पुस्तक विमोचन के मौके पर बोलते हुए, मुख्य अतिथि प्रसून जोशी ने कहा कि डॉ हेमा जोशी की पुस्तक जब पढ़ते हैं तो इसके चरित्र से जुड़ते चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशन पहले हो जाना चाहिए था। यह धीमी आंच पर पका हुआ लेखन है। इसमें कच्चापन बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के चार-पांच पन्ने पढ़ने पर ही पता चल जाता है कि लेखन पका हुआ है। इंग्लिश की प्रोफेसर डॉ हेमा जोशी के हिंदी में लेखन पर कहा कि इंग्लिश की नदी में डुबकी लगाई है। लेकिन इनकी अंजुलि हिंदी की है। इस मौके पर पहाड़ को लेकर भी उन्होंने चर्चा की। पहाड़ की खान-पान से लेकर संस्कारों की बात की। कहा पहाड़ आपको छल नहीं सिखाता है। उन्होंने कहा कि डॉ हेमा जोशी के लेखन में पहाड़ की साफगोई और पहाड़ की पारदर्शिता है। उन्होंने कहा कि डॉ हेमा जोशी जी का साहित्य बांसुरी है। इसके लिए समय निकालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि डॉक्टर हेमा जोशी का व्यक्तित्व ऐसा है कि वह दूसरों के लिए जीती हैं। और जो दूसरों के लिए जीते हैं उनकी रचनाएं बहुत देर में आती हैं।

डॉ हेमा जोशी ने अपनी पुस्तक को लेकर कहा है कि उन्हें इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा खुद अपने अंदर से ही मिली। हालांकि इस पुस्तक को लिखने में उन्हें 10 वर्ष का समय लग गया। उन्होंने इसमें अपनी लव स्टोरी को बयां किया है। पहाड़ की पृष्ठभूमि से होने के नाते प्रयागराज आने पर किस तरह का उन्हें द्वंद झेलना पड़ा। इसके बारे में भी उन्होंने बताया है। उन्होंने बताया है कि उनके दौर का प्रेम कितना मर्यादित था। इस मौके पर प्रोफेसर एलआर शर्मा ने इसका वर्णन इस प्रकार किया... उन्होंने कहा कि डॉक्टर जोशी बहुत ही दयालु महिला रही हैं। अपने क्लास में बच्चों के साथ उनका जुड़ाव रहता था और जमीन से जुड़ी रही हैं। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की अंग्रेजी विभाग की साहित्यिक परंपरा को उन्होंने अपनी क्रिएटिव राइटिंग से आगे बढ़ाया है। प्रसिद्ध लेखिका और विश्वविद्यालय में पूर्व सहकर्मी नीलम सरन गौड़ ने उनके लेखन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बगैर सोच के लेखन नहीं किया जा सकता।

उनकी पुस्तक में जीवन का दर्शन दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि डॉ हेमा जोशी जी की पुस्तक में प्रेम और उसकी गहराइयां दिखाई देती है। वास्तव में यह उनके जीवन की गाथा है। वहीं प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी ने डॉक्टर हेमा जोशी की पुस्तक दो पलकों की छांव में को लेकर कहा है कि पुराने अतीत को नए कलेवर में पेश किया गया है। जबकि तारा दत्त शर्मा ने भी डॉक्टर हेमा जोशी से अपनी 40-45 साल पुरानी संबंधों की यादें ताजा की।उन्होंने बताया कि किस तरह से इनका जीवन बेहद सादगी और सहजता से भरा हुआ है। इनमें कोई बनावटीपन नहीं है।उन्होंने बताया कि किस तरह से वह उनके परिवार के अंग बन गए और आज यह पुस्तक सामने आई है उन्हें बेहद खुशी हो रही है। प्रोफेसर अनामिका राय ने डॉ हेमा जोशी के साथ अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने पुस्तक में कैरेक्टर के बारे में भी उनसे जानकारी ली। जिस पर डॉक्टर हेमा जोशी ने बहुत ही साफ गोई से बताया कि यह खुद के उनके जीवन अनुभवों पर आधारित पुस्तक है। पुस्तक विमोचन के इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध लेखिका और विश्वविद्यालय में पूर्व सहकर्मी नीलम सरन गौड़, डॉ हेमा जोशी की बड़ी बहन प्रोफेसर नलिनी पंत के अलावा पारिवारिक और करीबी लोग मौजूद रहे।

Readers Comments

Post Your Comment here.
Characters allowed :
Follow Us


Monday - Saturday: 10:00 - 17:00    |    
info@anupamsandesh.com
Copyright© Anupam Sandesh
Powered by DiGital Companion