2024-12-19 11:38:26
नई दिल्ली: हौसले बुलंद होते हैं तो विपरीत परिस्थितियों में भी कामयाची मिल हो ही जाती है। गरीबी के अंधकार से निकलकर जीवन खुशहाली के उजाले से रोशन हो जाता है। पुडुचेरी से आए दिव्यांग राजवेल और अवप्पन का जीवन इसकी मिसाल है।दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, भारत सरकार के सौजन्य से इन्हें इनके द्वारा निर्मित आर्टिफिशियल ज्वैलरी और कपड़े के उत्पादों का प्रदर्शन करने के लिए स्टॉल नंबर 32 उपलब्ध कराना गया है। अयप्पन ने वर्ष 2010 में मात्र 10 हजार की पूंजी से काम शुरू किया था। पहले अयप्पन और उसकी दिव्यांग पत्नी ने मिलकर आर्टिफिशियल ज्वेलरी का काम शुरू किया था। उस समय घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से हो पाता था। बयाद में ये दिव्यांगजन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से जुड़े और और फिर काम को बढ़ाने के लिए एक लाख का ऋण प्रदान किया गया। दिव्यांग अयप्पन तथा राधिका ने इसके लिए पुड्डुचेरी में ट्रेनर मंजुला से ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण लेकर स्वयं की प्रतिभा को निखारा। पहले मुंबई, हैदराबाद, राजस्थान से आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने के लिए मोती खरीदते है। पुडुचेरी से लेदर लेते हैं। अपनी प्रतिभा व सोच को नेकलेस, इयररिंग, पायल व चूड़ियां बनाने में उतारती है। अय्यपन के अनुसार वे पहले छोटी-मोटी दुकानों पर अपने उत्पाद बेचा करते थे. बाद में उस काम का विस्तार हुआ तो देश के अलग-अलग शहरों में आयोजित होने वाले मेले और प्रदर्शनों में अपने उत्पादों की बिक्री करने जाने लगे। आज उनको आर्थिक स्थिति ठीक है और उन्हें इस बात की खुशी है कि मेहनत के दम पर पहले से बेहतर जीवन जी रहे हैं। अयप्पन तथा राजवेल मेले में मौका मिलने के लिए एनडीएफडीसी का भी आभार व्यक्त करना नहीं भूलते। ये दिव्यांग मेले में भारत सरकार के जेम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा कर बहुत खुश हैं।