भारत में अंडरवियर नहीं खरीद रहे लोग

महंगाई की मार से अन्डरवियर व इनर की बिक्री हुई प्रभावित
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2023-10-23 16:03:35

आलेख विनोद तकियावाला स्वतंत्र पत्रकार

भारत में एक महशुर कहावत है कि - एक दिन तुम्हारा बनियान व कच्छा तक बिक जायेगा । तुम्हारी स्थिति ऐसी हो जायेगी क़ि तुम अपने व अपने परिवार के लिए एक अन्डर बीयर(कच्छा) व बनियान (गंजी) तक भी नही खरीद पाओगे।हमारा देश एक ओर घरती से चाँद पर चन्द्रयान 3 का सफल प्रक्षेपण कर लिया है, महासूर्य पर आदित्या एल 1भेज कर देश का तिरंगा फहराया गया !जी 20 सम्मेलन में सम्मलित होने राष्ट्राध्यक्षो के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में स्वर्ण व चाँदी के बर्तनो में राज शाही व्यंजन परोसे गए है।उसी देश की जनता पर महंगाई व बेरोजगारी सें कहरा रहे है।विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र वाला देश विश्व गुरु बनने जा रहे देश अपनी जनता को 5 किलो अनाज देने के लाईन में खडा कर दिया है।उसी देश की जनता मँहगाई से इतनी लाचार है उन्होने अपने अन्डर बीयर तक खरीद नही पा रहें है।

यह मै नही कह रहा हुँ बल्कि पिछले दिनों के इस उद्दोग से जुड़े हुए कम्पनी के मालिको का कहना है कि इन दिनोंअंडरवियर की खरीददारी में भारी गिरावट दिखी गई है।इस इंड्रस्टीज से जुड़ी महसूर र्निमाता जॉकी से लेकर डॉलर और रूपा की ब्रिकी में भारी कमी देखी गई है।ऐसे मे है दबी जुबान से चर्चा हो रही है की क्या लोगों ने महंगाई बढ़ने के चलते अंडरवियर खरीदने बंद कर दिए हैं?आने वाले त्योहारों के सीजन में एक बार फिर लोग कपड़ों की शॉपिंग पर निकल पड़े हैं,इस बीच एक चौंकाने वाली बात सामने आ रही है। एक तरफ लोग शादी व पार्टी वियर से लेकर नार्मल और ऑफिस आने-जाने के सभी तरह के कपड़े,जूते और अपने सौंदर्य प्रसाधन सामग्री (ब्यूटी प्रोडक्ट्स) खरीद रहे हैं ।

लेकिन वेअंडरवियर या इनरवियर नहीं खरीद रहे हैं।जिस कारण इनरवियर के शीर्ष ब्रांड्स जॉकी,डॉलर,रूपा तक की सेल गिर गई है। नवरात्रि दिवाली आदि पर्व -त्योहार के इस मौसम की शॉपिंग के दौरान फैशनेबल कपड़ों की बिक्री तो बढ़ी है लेकिन अंडरवियर की बिक्री नही बढ़ी।चाहे वह.बच्चों,महिलाओं और पुरुषों सभी सेगमेंट में इस केटेगरी के कपड़ों की सेल न के बराबर है।क्यों अंडरवियर नहीं खरीद रहे लोग?भारत में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोगों ने अपने इनरवियर ही लेने बंद कर दिए हैं।हमारे पास उपलब्ध आकडे के अनुसार विगत वर्ष के दिसंबर 2022 की आखिरी तिमाही में अंडरवियर के इस्तेमाल में 55 फीसदी तक की कमी आ गई।वहीं वितीय वर्ष 24 की पहली तिमाही में जॉकी का टोटल रेवेन्यू 28%और वॉल्यूम वृद्धि 31% तक हुई है।इस तिमाही के दौरान, मैक्रो प्रतिकूल परिस्थितियों और बाजार की स्थितियों ने कुछ चुनौतियों का सामना किया.जिसके कारण साल-दर-साल अंडरवियर की खरीद में मामूली गिरावट आई।

जो पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में रेवेन्यू में 7.5% की गिरावट और क्वांटिटी में 11.5%की गिरावट के रूप में उभरी है। बिक्री में गिरावट का कारण ये भी हो सकता है की बढ़ती महंगाई से लोगों के पास खर्च करने योग्य रकम नहीं बच रही हो. .साथ ही भारतीय ऑनलाइन मार्केटिंग को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।इसका कारण है की उन्हें ऑनलाइन स्टोर्स पर ज्यादा डिस्काउंट मिल रहा है ।वहीं,लोकल दुकानदारों का कहना है कि मल्टी ब्रांड आउटलेट (एमबीओ)उतना स्टॉक नहीं खरीद रहे जितना वो पहले खरीदते थे।जो खरीद रहे हैं उसका भुगतान भी देरी से कर रहे हैं जिससे उत्पादकों की वर्किंग कैपिटल पर भी असर पड़ रहा।

दिसंबर 2022 में समाप्त तिमाही में जॉकी और लक्स इंडस्ट्रीज की पैरेंट कंपनी पेज इंडस्ट्रीज की बिक्री में तिमाही आधार पर कमी देखने को मिली. वहीं, रूपा & कं० ने वॉल्यूम में 52 फीसदी कमी की सूचना दी है। पिछले डेढ़ साल में रूपा का शेयर 52 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. पेज इंडस्ट्रीज के वॉल्यूम में 11 फीसदी और शेयर के भाव में पांच फीसदी तक की कमी आई है।अगर आने वाले समय में भी अंडरवियर की बिक्री में कमी जारी रहती है तो इससे इस बात के संकेत मिलेंगे कि इकोनॉमी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आम तौर पर जॉकी के अंडरवियर की बिक्री शहरी मार्केट में होती है।ऐसे में इस मार्केट में जब बिक्री के ट्रेंड में गिरावट देखने को मिलती है तो संकेत मिलते हैं कि आने वाला समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है।यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के मुताबिक,भारत में इनरवियर का मार्केट 5.8 बिलियन डॉलर या 48,123 करोड़ के होने का अनुमान है।

पुरुष और महिला केटेगरी के इनरवियर का इसमें कंट्रीब्यूशन 39% और 61% है | ऐसे मुझे भारतीय सिनेमा का एक दृश्य में फिल्माये गए गाने याद रहे है।जो यहा पा100% सटीक बैठता है।फिल्म पीपली लाईफ में कलाकार- रघुबीर यादव- सैया तो बहुत कामात है,मंहगाई डायन सब खाय जात है ।हालाकि विपक्ष द्वारा इसी गीत के बोल का सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया जाता रहा है।इस वर्ष पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव व अगले साल 2024 में लोक सभा के आम चुनाव होने वाले है।त्योहारों के इस मौसम में केन्द्र सरकार नें महंगाई की मार पर महरम पट्टी लगाने का कार्य केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते में 4% बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है।केद्र सरकार की इस घोषणा से केद्र सरकार के सरकारी कर्मचारी खुश हो गए हैं लेकिन दुसरी ओर निजी क्षेत्र में क्राम करने कामगारों व कर्मचारीयों में नाराजगी है। केन्द्र की सता के सिंघासन पर आसीन भाजपा सरकार कारपेट जगत का ख्याल तो करती है।उनका लाखों करोड़ों का कारपेरेट टेक्स तो एक झपके में माफ कर देती है।उनका अरखों खरबों का माप कर देती है, लेकिन गरीब असहाय पीडित किसान मजदुर पर कोई ध्यान नही देती है।जिस राज्य में भाजपा की सरकार नही है और उस राज्य की सरकार-जनता को कुछ सुविधाए उपलब्ध करा रही है।

तो उन्हे ये मुफ्त की रबड़ी कलचर कर आलोचना करते हुए थकते नही है।खैर मुझे क्या।फिलहाल आप सभी से यह कहते हुए विदा लेते है- ना ही काहुँ से दोस्ती,ना ही काहुँ से बैर।खबरीलाल तो माँगें,सबकी खैर। अलविदा।

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