लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं को समाप्त करने का कुचक्र पीआरजीआई नियम डॉ इन्दु बंसल

छोटे और मझौले अखबारों के प्रकाशक को और कितना गुलाम बनाया जाएगा ?
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2025-04-13 21:33:44

गुरुग्राम । श्रमजीवी पत्रकार संघ हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष व भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ,नई दिल्ली की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ इन्दु बंसल ने कहा कि पीआरजीआई द्वारा अभी हाल ही में नए नियमों के द्वारा प्रिंट मीडिया को समाप्त करने का कुचक्र रचा गया है उन नियमो को श्रमजीवी पत्रकार संघ हरियाणा पूर्वत रखने की मांग करता है। डॉ बंसल ने बताया कि समाचार पत्र और पत्रिकाओं को कहा गया है कि वह अपने प्रकाशित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का फोटो खींचकर पीआरजीआई के पोर्टल पर अपलोड करें । समझ में नहीं आता है कि इससे सरकार को क्या हासिल होगा ? उस खींचे गए फोटो को पढ़ा भी नहीं जा सकता । इसके स्थान पर पीडीएफ फाइल अपलोड कराई जाती तो वह पढ़ी भी जा सकती थी। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि पीआरजीआई, सीबीसी और पीईबी के कार्यालय प्रदेश की राजधानियों में ही है । जनपदों से अखबार के प्रकाशकों को प्रदेश की राजधानियों में पीआईबी के कार्यालय में ही अखबार जमा कराने जाना पड़ता है । यह व्यय साध्य कार्य है । प्रकाशक रोजाना जिला सूचना कार्यालय में अखबार जमा करते है साथ ही राज्यों के सूचना निदेशालय में भी अखबार जमा कराए जाते है । प्रकाशको को प्रत्येक माह पीईबी में भी अखबार जमा कराने जाना पड़ता है । डॉ बंसल ने कहा कि आखिर छोटे और मझौले अखबारों के प्रकाशक को और कितना गुलाम बनाया जाएगा ? आख़िर सरकार इन लघु समाचार पत्रों को क्या दे रही है इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। डॉ बंसल ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अपनी बनाई विज्ञापन नीति का स्वयं अनुपालन नहीं करती। राष्ट्रीय पर्वों तक पर मिलने वाले विज्ञापन भी चुनिंदा अखबारों को जारी किए जा रहे है । निर्धारित अनुपात में भी अखबारों को सीबीसी विज्ञापन जारी नहीं किये जाते । कलर के नाम पर भी अनियमित रूप से छोटे व मझौले अखबारों को उत्पीड़ित किया जा रहा है । डॉ बंसल ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली के 13 मई 2015 को (कॉमन काज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया) दिए गए निर्णय का भी सरकार द्वारा अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है । इस निर्णय के अनुसार सभी समाचार पत्रों को बिना किसी भेदभाव के समानता के आधार पर विज्ञापन जारी किए जाने चाहिए । डॉ बंसल ने कहा पीआरजीआई को समाचार पत्र/पत्रिकाओं के नियमित प्रकाशन की पुष्टि जनपदों के सूचना कार्यालयों एवं प्रदेश के सूचना निदेशालय से करनी चाहिए । सभी समाचार पत्र और पत्रिकाएं की कॉपियां इन कार्यालयों में अनिवार्य रूप से भेजी जाती है । डॉ बंसल ने पीआरजीआई के नियमों को पूर्व की तरह रखने की मांग करते हुए कहा कि बहुत से छोटे और मझौले अखबारों पर अपने निजी संसाधन ही नहीं होते । वह जॉब वर्क कराते है । वर्ष 2016 से भारत सरकार निरंतर छोटे और मझौले अखबारों का शोषण कर रही है । पीआरजीआई वर्षों से शीर्षक, पंजीयन आदि के हजारों प्रकाशकों के प्रकरण निस्तारित नहीं कर सकी है । पीआरजीआई में मानव शक्ति तक का अभाव है । अनेकों प्रकरण इस कारण लंबित है । प्रसार जांच के नाम लाखों रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है । जो अनुचित है । जब प्रसार जांच सरकार करा रही है तब प्रकाशक से यह शुल्क क्यों लिया जा रहा है । काफी लंबे समय से विज्ञापन दरों का निर्धारण नहीं हुआ है । जबकि मूल्य सूचकांक के आधार पर विज्ञापन दर निर्धारित होनी चाहिए । डॉ बंसल ने कहा सरकारी नौकरी करने वालों का वेतन प्रत्येक वर्ष बढ़ाया जाता है । फिर समाचार पत्रों के साथ यह भेदभाव क्यों किया जाता है डॉ बंसल ने सरकार से मांग की है कि उपरोक्त तथ्यों पर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करके पीआरजीआई की पूर्ववत व्यवस्था बनाए। साथ ही अविलंब बीबीसी को विज्ञापन दर पुनरीक्षित करने के लिए निर्देश जारी करें । डॉ बंसल ने कहा कि श्रमजीवी पत्रकार संघ हरियाणा सरकार से मांग करता है कि सरकार लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं के हित में अतिशीघ्र निर्णय ले।

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