2023-11-27 13:40:43
कटकमदाग प्रखंड क्षेत्र मे नृसिंह स्थान मंदिर में जिला प्रशासन के आदेश अनुसार सुरक्षा व्यवस्था किया गया है वही कटकमदाग अंचल अधिकारी प्रशांत कुमार एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी एकता वर्मा ने नृसिंह स्थान मंदिर में पूजा अर्चना किया साथ ही साथ क्षेत्र का मंदिर परिसर एवं मेला आयोजन एवं मंदिर के पूजारी उपेन्द्र कुमार मिश्रा से मुलाकात कर विधि बेवस्था कि जानकारी प्राप्त किया वही कटकमदाग थाना प्रभारी धंनजय कुमार प्रजापति ने दलबल के साथ सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने की बात कही किसी भी तरह की शरारती तत्वों को बक्सा नही जायेगा ।वही मुखिया राजेश कुमार गुप्ता ने सभी कार्तिक पूर्णिमा के बधाई देते हुये मेले में सहयोग की अपील पूर्व मुखिया मंजू मिश्रा ने बधाई देते हुए शांति बेवस्था कि अपील की समाज सेवी किशोर सावंत एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष भवेश कुमार मिश्रा एवं सभी सदस्यों ने भी मेला मे विधि बेवस्था का सहयोग की अपील किया। नृसिंह स्थान मंदिर जिले का प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक है। यह प्राचीन धरोहर को लगभग पांच सौ बर्ष के इतिहास को संजोए हुए है।
मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश शासन और वर्तमान लोकतंत्र का साक्षी भी रहा है। यहां भगवान श्रीहरि विष्णु के चौथे अवतार नृसिंह की पाँच फीट की प्राचीन प्रतिमा है। जो काले रंग के ग्रेफाइट पत्थर की बनी है यहां गर्भ गृह में भगवान विष्णु के साथ शिव साक्षात विराजमान है। यहां स्थापित शिवलिंग जमीन से तीन फीट नीचे है। गर्भ गृह में शिव के साथ विष्णु भगवान के विराजमान रहने का का अद्भुत संयोग है। जो वैष्णव और शिव भक्तों को अपनी ओर बरबस ही आकर्षित करता है। इसके अलावा भगवान सूर्य देव, नारद, शिव पार्वती और नवग्रह के प्रतिमा दर्शनीय है।गर्भ ग्रह के बाहर हनुमान जी की प्रतिमा है। सालों भर दर्शन पूजन करने श्रद्धालु आते हैं। यहां मुंडन, जनेउ, शादी विवाह व अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजन किए जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नृसिंह मेला लगता है। जो झारखंड में प्रसिद्ध है। मंदिर से कुछ दूरी पर मां सिद्धेश्वरी का मंदिर है जिसे नकटी महामाया मंदिर भी कहते हैं। यह सिद्ध पीठ है। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के दशा अवतार के मंदिर हैं। जिसमे मत्स्य, कुर्म, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम,कृष्ण बुद्ध और कल्कि अवतार के मंदिर शामिल है। इसके अलावा यहां काली मंदिर और लक्ष्मी नारायण का भी मंदिर है।
इतिहास
श्री नृसिंह मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इसकी स्थापना 1645 विक्रमी संवत में महर्षि दामोदर मिश्र ने की थी। जो संत सिरोमणी तुलसीदास के सखा थे। वह संस्कृत और ज्योतिष के विद्वान के होने के साथ-साथ तांत्रिक भी थे। संस्कृत में उन्होंने कई रचनाए लिखी है। कहां जाता है कि श्रीहरि इनके कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर इन्हें वरदान स्वरूप विग्रह रूप में इनके साथ रहने का वचन दिया था वहीं विग्रह मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हैं।
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेले की सारी तैयारियां पुरी हो चुकी है मेला मे अनेक तरह झूला गीत संगीत मनोरंजन व मनमोहक के साथ साथ ईख (केतारी ) का बहुत बडा मेला में बाजारलगता है। जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद विधायक प्रतिनिधि सासंद प्रतिनिधि मुखिया प्रतिनिधि पंचायत समिति सदस्य के साथ मंदिर समिति सदस्य ने भी सहयोग के अपील किया।साथ ही उपाध्यक्ष ओमप्रकाश मिश्रा सचिव अजय कुमार मिश्रा कोषाध्यक्ष अनुराग कु मिश्रा सर्वे न्द कुमार मिश्रा कामेश्वर मिश्रा जितेन्द्र कुमार मिश्रा अजीत कुमार मिश्रा अभिषेक कुमार मिश्रा