अब पैरामिलिट्री विरांगनाएं सम्भालेगी जंतर मंतर धरना प्रदर्शन की कमान

पैरामिलिट्री जवानों के गढ़ नाहड़ कोसली रेवाड़ी में अर्धसैनिकों के परिवारों द्वारा 6 अप्रैल जंतर-मंतर पर होने वाले धरना प्रदर्शन हेतु
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2025-03-09 14:48:57

रेवाड़ी। पैरामिलिट्री जवानों के गढ़ नाहड़ कोसली रेवाड़ी में अर्धसैनिकों के परिवारों द्वारा 6 अप्रैल जंतर-मंतर पर होने वाले धरना प्रदर्शन हेतु मीटिंग आयोजित कर नई रणनीति का ऐलान किया। अपनी जायज मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर होने वाले शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन की कमान पैरामिलिट्री विरांगनाएं शहीद परिवारों की विधवाएं संभालेंगी। अलॉइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि अलॉइंस में काश्मीर से केरला तक की एक्स पैरामिलिट्री वेलफेयर एसोसिएशन एफिलिएट हैं और इस बार पुलवामा, छत्तीसगढ़ नक्सली हमले व अन्य आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की विधवाओं, विरांगनाओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। 6 अप्रैल को ताड़मेटला छत्तीसगढ़ में शहीद हुए 76 जवानों को श्रध्दा सुमन अर्पित किए जाएंगे। पूर्व एडीजी सीआरपीएफ श्री एचआर सिंह अलाइंस अध्यक्ष द्वारा जारी अपील के हवाले से राज्यों की विभिन्न पैरामिलिट्री वेलफेयर एसोसिएशन पदाधिकारियों से कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में जंतर मंतर पर भागीदारी निभाएं साथ ही अपने इलाकों में रहने वाले शहीद परिवारों के आश्रितों को भी साथ लाएं। जब हर पैरामिलिट्री परिवार के घर से एक सदस्य जंतर मंतर धरना प्रदर्शन में शामिल होगा तो मोदी सरकार पर दवाब बनेगा और माननीय प्रधानमंत्री जी पूर्व अर्धसैनिकों के प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए साउथ ब्लॉक कार्यालय में बुलाएंगे। महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि देश की एक मात्र एसोसिएशन जो कि पिछले 9 सालों से जंतर मंतर, राजघाट, संसद मार्ग पर शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन कर सरकार के संज्ञान में पैरामिलिट्री भलाई संबंधित मुद्दों को पहुंचा रहे हैं। कुंभ मेले की तरहां आइए 6 अप्रैल जंतर-मंतर पर उन सिपाहियों की आवाज उठाएं जिनकी पुरानी पैंशन बंद कर दी गई जो सरहदों की चाक चौबंद चौकसी के अलावा राज्य की कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं जो कि अक्सर नक्सली बीहड़ों में बारूदी सुरंगों की चपेट में आ रहे हैं जिनके लिए ना पुरानी पैंशन ना ओआरओपी, ना पैरामिलिट्री सर्विस पे ना कोई कल्याण बोर्ड, ना झंडा दिवस कोष, ना बेहतर शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाएं तो फिर जंतर मंतर के सिवाय जाएं कहां

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