मोदी के मेक इन इंडिया का बड़ा कमाल, डिफेंस प्रोडक्शन का किंग बना भारत

बीते कुछ वर्षों में भारत ने खुद को पूरे विश्व के डिफेंस इकोसिस्टम में ख़ुद को ‘की प्लेयर’ के तौर पर स्थापित किया है
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2025-04-11 17:35:50

बीते कुछ वर्षों में भारत ने खुद को पूरे विश्व के डिफेंस इकोसिस्टम में ख़ुद को ‘की प्लेयर’ के तौर पर स्थापित किया है। इसके बाद भारत दुनिया में डिफेंस प्रोडक्शन के क्षेत्र में किंग के तौर पर देखा जा रहा है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण और स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करके, भारत अपनी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाते हुए विदेशी आयात पर अपनी निर्भरता को लगातार कम कर रहा है। यह उल्लेखनीय वृद्धि नीतिगत सुधारों, निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी, नवाचार और प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल व लीडरशिप के स्पष्ट विजन का परिणाम है। रक्षा उत्पादन महाशक्ति के रूप में भारत का उदय एक बड़ी लकीर खींच चुका है। स्वदेशी उत्पादन से राष्ट्रीय सुरक्षा को मिला बढ़ावा भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल ने भारत के रक्षा क्षेत्र को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहित करके और आयात पर निर्भरता को कम करके, इन कार्यक्रमों ने एक मजबूत घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा दिया है। लड़ाकू जेट, पनडुब्बी, टैंक और मिसाइलों सहित कई प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म अब भारत में डिज़ाइन किए जा रहे हैं, जिससे आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिल रहा है। इसी क्रम में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 जैसी पॉलिसी की शुरुआत भारतीय वेंडर्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वदेशी खरीद को बढ़ावा देती है। बाय इंडियन (आईडीडीएम) जैसी कैटेगरी से यह सुनिश्चित हुआ कि भारतीय वेंडर्स को प्राथमिकता मिले। डिफेंस एक्सपोर्ट में वृद्धि भारत के रक्षा निर्यात में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में देश का निर्यात 21,000 करोड़ रुपये को पार कर गया, जो 2016 में केवल 1,500 करोड़ रुपये से अभूतपूर्व वृद्धि है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आर्टिलरी सिस्टम और रडार तकनीक सहित भारतीय रक्षा उत्पादों को फिलीपींस, आर्मेनिया और कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को निर्यात किया जा रहा है। प्रमुख सौदे: ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के लिए फिलीपींस का 375 मिलियन डॉलर का सौदा वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती विश्वसनीयता को दर्शाता है। नीतिगत बदलावों और सुव्यवस्थित निर्यात प्रक्रियाओं ने भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि को सुगम बनाया है, जिससे भारत उन्नत रक्षा उपकरणों का एक विश्वसनीय निर्यातक बन गया है। निजी क्षेत्र की भागीदारी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी सुनिश्चित कर इनोवेटिव और कॉम्पिटिटिव माहौल बनाया है। स्थापित सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के साथ-साथ 300 से अधिक निजी कंपनियां अब भारत के रक्षा उत्पादन में योगदान दे रही हैं। प्राइवेट प्लेयर्स की उपस्थिति ने गुणवत्ता मानकों में जबरदस्त सुधार किया है, लागत कम की है और फास्ट डिलीवरी समय सीमा भी सुनिश्चित की है। रक्षा क्षेत्र में FDI सीमा में वृद्धि ग्लोबल इन्वेस्टमेंट और तकनीकी विशेषज्ञता को ज्यादा से ज्यादा हासिल करने के लिए, सरकार ने रक्षा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट के जरिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% और सरकारी अनुमोदन के साथ 100% तक बढ़ा दिया है। इस कदम ने विदेशी डिफेंस कंपनियों को भारत में प्रोडक्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया है, इस वजह से मेक इन इंडिया का लोहा दुनिया मान रही है। एडवांस्ड प्लेटफॉर्म का विकास भारत ने स्वदेशी एवांस्ड डिफेंस प्लेटफॉर्म विकसित कर दुनिया में डिफेंस एक्सपोर्टर के तौर पर अपना मजबूत स्थान बना लिया है। ये प्लेटफॉर्म न केवल भारत की रक्षा क्षेत्र में क़ाबिलियत का दुनिया को परिचय करा रहे हैं बल्कि प्रौद्योगिकी-संचालित रक्षा शक्ति के रूप में देश की छवि को भी मजबूत करते हैं। दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले स्वदेशी जेट-टैंक तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA): उन्नत एवियोनिक्स और लड़ाकू क्षमताओं वाला 4.5-पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर जेट। अर्जुन मेन बैटल टैंक (MBT): स्वदेशी रूप से विकसित तीसरी पीढ़ी का बैटल टैंक। INS विक्रांत: भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत, जो समुद्री शक्ति को बढ़ाता है। धनुष आर्टिलरी सिस्टम: एक स्वचालित होवित्जर प्रणाली जिसने भारत की तोपखाने की क्षमताओं को मजबूत किया है। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना डिफेंस प्रोडक्शन को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने के लिए, भारत ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर स्थापित किए हैं। इन कॉरिडोर का उद्देश्य रक्षा उद्योगों के समूह बनाकर, रोजगार पैदा करके और नवाचार को बढ़ावा देकर भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को और बढ़ाना है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर ने पहले ही 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश आकर्षित किया है और निवेश पाइपलाइन में है। इनोवेशन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा भारत ने उभरते वैश्विक परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर जबरदस्त काम किया है। रक्षा बजट अब आरएंडडी के लिए एक बड़ा हिस्सा आवंटित रहता है, जिसमें एआई, साइबर सुरक्षा, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) और एडवांस्ड मटेरियल जैसी उभरती तकनीकों का किया जा रहा है। इतना ही नहीं ‘इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस(iDEX)’ प्रोग्राम रक्षा उद्योग और स्टार्टअप के बीच तालमेल को बढ़ावा दे रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिला है। आयात पर डिपेंडेंसी खत्म रक्षा मंत्रालय ने स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों के आयात को प्रतिबंधित करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। लाइट वेट टैंक, आर्टिलरी गन, मिसाइल और कम्युनिकेशन सिस्टम सहित 500 से ज्यादा डिफेंस आइटम का अब भारत में ही निर्माण करना अनिवार्य है। इसका उद्देश्य भारत के डिफेंस निर्माताओं के लिए अवसर पैदा करके और आयात पर निर्भरता कम करके भारत के डिफेंस इकोसिस्टम को मजबूत करना है। एमएसएमई और स्टार्टअप पर जोर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और स्टार्टअप भारत के डिफेंस प्रोडक्शन इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।‘डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (DISC)’ और ‘SRIJAN’ जैसे प्रोग्राम एमएसएमई और स्टार्टअप को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। लगभग 8,000 एमएसएमई अब रक्षा क्षेत्र को क्रिटिकल कंपोनेंट्स की सप्लाई कर रहे हैं। अन्य देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बीते कुछ वर्षों में अपनी बढ़ती डिफेंस प्रोडक्शन की ताक़त के साथ ही भारत ने दुनिया भर के कई देशों के साथ मजबूत रक्षा संबंध स्थापित किए हैं। जिससे अत्याधुनिक तकनीक तक हमारी पहुंच सुनिश्चित हुई है और भारत की रणनीतिक स्थिति का विस्तार हुआ है। मौजूदा दौर में अमेरिका, रूस, इजराइल और फ्रांस भारत के शीर्ष रक्षा साझेदार बन गए हैं, जो टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और जॉइंट वेंचर्स में योगदान दे रहे हैं। साथ ही क्वाड और मालाबार नौसेना अभ्यास जैसी डिफेंस एक्टिविटी में भारत की भागीदारी ने इसकी रक्षा कूटनीति को और मजबूत किया है। ग्लोबल लीडरशिप की तरफ़ बढ़ता आत्मनिर्भर भारत डिफेंस प्रोडक्शन में भारत की उपलब्धि एक तरफ नेशनल सिक्योरिटी को मजबूत कर रही है वहीं भारत को ग्लोबल लीडर के तौर पर स्थापित कर रही है। डिफेंस एक्सपोर्ट में आत्मनिर्भर भारत इंटरनेशनल पार्टनरशिप को भी मजबूत कर रहा है। आज के समय में दुनिया के लिए भारत एक प्रमुख डिफेंस सेंटर बन चुका है। सरकार रक्षा क्षेत्र में इनोवेशन, निजीकरण और निवेश को प्रोत्साहित करना जारी रखती है, भारत की डिफेंस प्रोडक्शन क्षमता देश के रणनीतिक भविष्य को विश्व पटल पर शक्ति के एक नए केंद्र के तौर पर स्थापित। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की गति को आगे बढ़ाते हुए, भारत का रक्षा उद्योग न केवल राष्ट्र की सुरक्षा कर रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाज़ार में भी अपनी पहचान बना रहा है।

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