किसानो की मेहनत पर बिचौलियों का डाका, धान खरीद में गड़बड़ी का आरोप

बिचौलियों से औने पौने दामों में खरीदे गए धान का समर्थन मूल्य पाने के लिए दौड़ाएं जा रहे कागजी घोड़े
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2024-10-24 13:59:28

पीलीभीत ज़िला संवाददाता सबलू खा पीलीभीत : पीलीभीत में धान का सीजन शुरू होते ही किसानों से मनमाने दामों पर धान खरीदने का खेल शुरू हो गया है। धान में नमी होने का बहाना बनाकर, किसानों से 1500 से 1700 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदा जा रहा है, जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 2300 रुपये तय किया गया है। इसके बावजूद अफसर इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। 1अक्टूबर से धान खरीद का सीजन शुरू हुआ है, लेकिन सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों का धान ज्यादा नमी वाला बताकर वापस कर दिया जा रहा है। ऐसे में किसान मजबूरी में अपना धान मंडी और खुले बाजार में राइस मिल मालिकों को कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं। राइस मिल मालिकों के सिंडिकेट के आगे किसान झुकने को मजबूर हैं, जबकि अधिकारी इस पर कोई कदम नहीं उठा रहे। जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, सरकार ने धान के लिए 2300 रुपये का समर्थन मूल्य तय किया है।लेकिन क्रय केंद्रों पर नमी के बहाने धान नहीं खरीदा जा रहा है। ऐसे में किसान अपना धान कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं। इसके बाद वही धान सरकारी खरीद के रूप में दिखाया जाता है, जिससे करोड़ों रुपये की हेराफेरी होती है। खुले बाजार में धान की कीमत सरकारी समर्थन मूल्य से करीब 600 रुपये कम है। जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही, खेतों से सीधे धान खरीदने के कारण मंडी शुल्क की चोरी भी हो रही है, लेकिन मंडी के अधिकारी भी इस पर चुप हैं। क्रय केंद्रों पर धान खरीद न होने से किसान हाईवे के किनारे कई जगह पर फड लगाए बैठे बिचौलियों के हाथों अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं।जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।इसके चलते किसानों में खासा रोष देखा जा रहा है। कोतवाली क्षेत्र में बिभिन्न एजेंसियों के लगे क्रय केंद्रों पर किसानों को धान की फसल का वाजिव मूल्य नही मिल पा रहा है। सरकारी धान खरीद केंद्रों पर आखिरकार बिचौलिया हावी होने लगे हैं। राइस मिलों पर सीधी खरीद कर किसानों का आने-पौने दामों में धान लिया जा रहा। पीलीभीत, पूरनपुर, कलीनगर, बीसलपुर, अमरिया, बरखेड़ा, जहानाबाद, बिलसंडा, न्यूरिया सहित नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में लगी राइस मिलों पर धान भरा वाहनों की कतार देखी जा रही है। इसका सीधा असर क्रय केंद्रों पर भी देखा जा रहा है। जबकि क्रय नीति में राइस मिलों को मंडी में आने वाले धान की बोली लगाकर खरीदने का नियम है।ग्रामीण क्षेत्रों में लगे अधिकतर केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। अभी तक इन क्रय केंद्रों के बारे में जानकारी भी नहीं लग सकी है। यहां केंद्र प्रभारियों के न पहुंचने से सरकारी धान खरीद में पलीता लग रहा है। देखा जाए तो केद्रों पर कागजों में ही धान खरीद दर्शाई जा रही है। अधिकतर केंद्र राइस मिलर के बताए जा रहे हैं। बिचौलियों से औने पौने दामों में खरीदे गए धान का समर्थन मूल्य पाने के लिए कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। क्रय केंद्रों पर माफिया सक्रिय हो गए हैं। कई केंद्रो के प्रस्ताव कराकर अपने खास लोगों को केंद्र प्रभारी बना दिया है। जबकि बिभाग द्वारा ठेकेदार नियुक्त किए गए हैं। लेकिन उनको काम नहीं करने दिया जा रहा है। क्रय केंद्रों पर किसानो का धान नहीं खरीदा जा रहा है। तमाम कमिया बात कर उनको वापस किया जा रहा है। राइस मिलरों से मिलकर फर्जी खरीद दिखाकर योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं। किसानों ने जिलाधिकारी से शिकायत कर नियुक्त किए गए ठेकेदारों से केंद्र संचालित कराए जाने की मांग की है। जिससे किसानों का उचित मूल्य मिल सके।

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