2025-03-26 21:50:18
सोनीपत जिले के खरखौदा क्षेत्र में नकली दवाओं का निर्माण करने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। यह फैक्ट्री डेढ़ महीने पहले शुरू की गई थी, जहां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और मुंबई की कंपनियों के नाम पर नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की टीम ने छापा मारकर भारी मात्रा में नकली टैबलेट और कैप्सूल बरामद किए। जांच में पाया गया कि इस फैक्ट्री में बिना किसी गुणवत्ता नियंत्रण और वैज्ञानिक निरीक्षण के दवाओं का उत्पादन किया जा रहा था। मंगलवार को एफडीए को सूचना मिली थी कि खरखौदा के फिरोजपुर बांगर में नकली दवाओं की फैक्ट्री संचालित हो रही है। वरिष्ठ औषधि नियंत्रक राकेश दहिया, डीआई संदीप हुड्डा, मुंशीराम और पानीपत के डीआई पवन की टीम ने फैक्ट्री पर छापा मारा। मौके से भारी मात्रा में टैबलेट, कैप्सूल बनाने की मशीनें और पैकेजिंग सामग्री बरामद हुई। फैक्ट्री में मौजूद सिरसा निवासी मैनेजर योगेश को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि फैक्ट्री मालिक मनोज फरार हो गया। फैक्ट्री और मशीनों को सील कर जब्त की गई दवाओं को पुलिस के हवाले कर दिया गया। यह अवैध फैक्ट्री पूरी तरह गुप्त तरीके से चलाई जा रही थी। यहां पर मुंबई की मैक्स सेल लाइफ केयर, हिमाचल प्रदेश की पैराडॉक्स फार्मास्युटिकल और उत्तराखंड की रेक्सट्यूस फार्मास्युटिकल्स के नाम पर नकली एंटीबायोटिक दवाएं बनाई जा रही थीं। जांच में सामने आया कि इन नामों से कोई असली कंपनी मौजूद ही नहीं थी। फैक्ट्री मालिक मनोज राजस्थान का रहने वाला है और उसने यहां नकली दवाओं का पूरा सेटअप तैयार किया था। जब्त की गई दवाओं में पेंटाप्राजोल, सिफेक्सिन-200 (माइकोसेफ-एलबी 200), एजिथ्रोमाइसिन-200 (रिक-200) और एमोक्सी प्लस नामक नकली टैबलेट शामिल थीं। इनकी पैकिंग पर महाराष्ट्र के मुंबई और हिमाचल के जिला सोलन में स्थित पैराडॉक्स फार्मास्युटिकल्स का नाम दर्ज था। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इन दवाओं में बीमारी ठीक करने वाला कोई भी सक्रिय तत्व (साल्ट) नहीं था। इनमें सिर्फ स्टार्च और अन्य मिश्रण पाए गए, जो रोगों के उपचार में किसी भी तरह से प्रभावी नहीं होते। ड्रग कंट्रोल टीम ने फैक्ट्री से जब्त नकली दवाओं के छह सैंपल लैब परीक्षण के लिए भेजे हैं। गिरफ्तार मैनेजर योगेश से पूछताछ जारी है कि इन नकली दवाओं की सप्लाई कहां-कहां की जा रही थी और इस रैकेट में कौन-कौन शामिल है। जब जांच दल ने योगेश से ड्रग मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस और अन्य आवश्यक दस्तावेज मांगे, तो वह कोई वैध कागजात पेश नहीं कर सका। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। ड्रग कंट्रोलर अधिकारी राकेश दहिया ने बताया कि फैक्ट्री मालिक मनोज फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें लगाई गई हैं। प्रारंभिक जांच में दवाओं में कोई चिकित्सीय तत्व नहीं पाया गया है, सिर्फ स्टार्च मिला है। आरोपी से मिली जानकारी के आधार पर जल्द ही पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की नकली दवाएं मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती हैं। बिना असली साल्ट वाली दवाएं न केवल बीमारी को ठीक करने में असफल होती हैं, बल्कि मरीज की स्थिति को और भी खराब कर सकती हैं। जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क को जल्द ही बेनकाब करने के लिए तेजी से काम कर रही हैं।