विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने विजेता एवं उपविजेता पहलवानों का किया सम्मान

दंगल कुश्ती युद्ध कला का एक प्रारूप है वह भारतीय संस्कृति की मुख्य पहचान- नरेंद्र सिंह कुशवाह
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2025-04-01 21:07:40

भिण्ड। स्वर्गीय हरि किशन दास जी भुता की सरस्वती में वर्ष 2025 के व्यापार मेला एवं भिण्ड उत्सव के तहत, स्वर्गीय जैन काली की स्मृति मे अखिल भारतीय दंगल कुश्ती के समापन अवसर पर जिला केसरी के रूप में बल्लू सुकांड पहलवान, ने जिला गुछ को जीता। जिनका मुकाबला गोहद के पहलवान सलमान से हुआ। क्षेत्रीय विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने दोनों पहलवानों का सम्मान करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी।। दो दिवसीय दंगल कुश्ती आयोजन में कई राज्यों के पहलवानों ने भाग लिया और उन्होंने अखाड़े में पहुंचकर आकर्षित कुश्ती, का ऐप दर्शन करते हुए इनाम जीता। दो दिवसीय भिण्ड मेले में आयोजित दंगल कुश्ती के उद्घाटन अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने कहा कि की दंगल हमारी भारतीय संस्कृति की मुख्य पहचान है जो कि आज भी बराबर कुश्ती का प्रदर्शन भारत में आयोजित किया जाता है। विधायक कुशवाह ने कहा कि दंगल कुश्ती क्यों है इतनी प्रसिद्ध, जानिए पहलवानी के इस रोचक खेल के बारे में दंगल कुश्ती का रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में साफ उल्लेख किया गया है।दंगल कुश्ती को मल्ल युद्ध के तौर पर भी जाना जाता है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी देखने को मिला है। जहां रामायण में रावण और बाली के युद्ध का वर्णन है,वहीं महाभारत में भीम-दुर्योधन युद्ध और भीम-जरासंध युद्ध का बखान किया गया है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख किए गए इन वर्णन से साफ हो जाता है कि दंगल कुश्ती प्राचीन काल से ही लोकप्रिय है। दंगल कुश्ती युद्ध कला का एक प्रारूप है। जहां पहलवान मिट्टी पर इस खेल का अभ्यास करते हैं, जिसे अखाड़ा कहा जाता है। पहलवान यहां पर अपने गुरू के नेतृत्व में रहकर प्रशिक्षण हासिल करते हैं और पहलवानी के दांव पेच सीखते हैं। दंगल कुश्ती भारत के उत्तर प्रदेश,हरियाणा, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में काफी प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि दंगल कुश्ती का इतिहास कुश्ती,फारसी शब्द कोश्ती से लिया गया है। जिसका मतलब रेसलिंग/किलिंग होता है। कुश्ती खेलने वाले खिलाड़ियों को पहलवान कहा जाता है और प्रशिक्षण देने वाले को उस्ताद कहा जाता है। आपको बता दें कि ये दोनों फारसी शब्द हैं।ऐसा माना जाता है कि कुश्ती की शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई। जब उस समय उत्तरी भारत पर मुगलों का कब्जा था। जब मुगलों का आगमन हुआ तब भारतीय उपमहाद्वीप में पहले से ही अलग-अलग रूपों में कुश्ती का अभ्यास किया जा रहा था। विशेष रूप से मल्ल युद्ध शैली का, जिसका कम से कम 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू होने का अनुमान है। इन शैलियों को मिलाकर कुश्ती का ईजाद हुआ।भिण्ड मेले में दो दिवसीय दंगल कुश्ती आयोजन में दिल्ली हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश महाराष्ट्र एवं क्षेत्रीय पहलवानों ने भाग लिया। वहीं क्षेत्रीय विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने अखाड़े में पहुंचकर दोनों पहलवानों से परिचय प्राप्त करते हुए हाथ एवं मिलवाया और फाइनल कुश्ती का उन्होंने शुभारंभ कराया। विजेता पहलवान को विधायक जी द्वारा सम्मान उनके गधा बैठ करते हुए केसरी के रूप में सम्मानित किया। इस अवसर पर नगर पालिका के उपाध्यक्ष भानु भदौरिया, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नगर अध्यक्ष पवन जैन विधायक के प्रतिनिधि देवेंद्र जैन दाढ़ी छत्रसाल सिंह चौहान पार्षदों में मनोज जैन वीरेंद्र कौशल मनीष पुरोहित अमित सोनी विमल जैन प्रमुख पार्षद गण शामिल। देर रात तक चलने वाले दंगल में आखिरी कुश्ती 111000 की बोली लगाई गई।

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