2023-08-26 13:45:48
भारत अब दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने चंद्रमा पर अपना चंद्रयान 3 दक्षिणी ध्रुव पर उतार कर एक विराट सफलता पाई है। दूसरी तरफ भारत ने दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में दक्षिण अपने बुलंद हौसलों के साथ चीन से आंख से आंख मिलकर शांति और सद्भावना के प्रस्ताव को दिलरी से रखा और सफलता पाई है। चंद्रयान-3 की इस विराट सफलता के साथ भारत का हौसला अब विश्व के आसमान पर है।इसमें कोई दो मत नहीं की 2019 में चंद्रयान 2 की असफलता के बाद इसरो की पूरी टीम ने अध्यक्ष एस सोमनाथ के नेतृत्व में जिसमें भारतीय महिला वैज्ञानिक भी शामिल है ने अथक परिश्रम कर इस अभियान को सफल बनाया है।
वैज्ञानिकों के साथ पूरे देश को इस बात के लिए अनेक अनेक बधाई तथा साधुवाद तो दिया ही जाना चाहिए बल्कि उन्हें भविष्य में अन्य योजनाओं के लिए भी हर तरह से प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिएl इसरो ने दक्षिणी ध्रुव पर उतरे 1752 किलो ग्राम के वजनी विक्रम लेंडर को उतारकर भारत की क्षमता ऊर्जा और वैज्ञानिक प्रतिभा ने पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा दिया है अब भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा चांद पर लहरा रहा है ।अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चौथा देश है जिसने अपने चंद्रयान को चंद्रमा पर उतार कर एक विराट सफलता पाई है । चंद्रयान 2 को चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव की धरती पर पहुंच कर भारत विश्व का पहले और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महान राष्ट्र बन गया है। चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर के साथ चार प्रमुख उपकरण लगाए गए हैं जिसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण 26 किलो वजन का प्रज्ञान रोवर भी हैl
विक्रम ब्लेंडर के साथ पांच महत्वपूर्ण उपकरण 1,शेप (स्पेक्टरों पोलिरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ) 2,एल्सा इंस्ट्रूमेंट पर लूनर सीस्मिक एक्टिविटी )3, रंभा रेडियो एनाटॉमी ऑफ़ मून बाइन्ड हाइपर सेंसेटिव आइनोस्फीयर एन्ड एटमॉस्फेयर4, चास्टे( चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट)5,एलआरऐ( लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टर) यह चारों उपकरण चंद्रमा पर उपस्थित तमाम तत्व, पानी, ऑक्सीजन और वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु उपयोगी तत्वों की खोज करेंगे। इसके अलावा इसरो कि इस महान सफलता की खुशियां मनाते हुए अध्यक्ष है सोमनाथ में बताया कि इसके आगे 2 सितंबर को इसरो द्वारा ही सूर्य के लिए एक मिशन रवाना किया जाएगा
यह मिशन आदित्य L1 भारत का पहला सूर्य मिशन होगा और इसे भेजने की सारी तैयारी में इसरो एकजुट होकर तैयार भी है इस मिशन को लेकर बची हुई तैयारी पूरी की जा रही है इसके साथ ही सितंबर या अक्टूबर में ही एक और बड़ा काम इसरो गगनयान मिशन को लेकर करेगा। इसमें क्रू मॉड्यूल और क्रू को सुरक्षित निकालने का परीक्षण भी किया जाएगा जो 2025 में प्रस्तावित पहले गगनयान मिशन के प्रक्षेपण के लिए बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं एस सोमनाथ ने दावा किया है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव मैं मानव बस्ती बसाने की क्षमता भी है और यही वजह है कि भारत में चंद्रमा पर विक्रम को उतारने का निर्णय लिया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में कई विशेषताएं हैं जो उसे सूर्य से कम प्रकाशित होने की वजह से मिली है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में वैज्ञानिकों के लिए
अनुसंधान हेतु अपार संभावनाएं छिपी हुई है। यह महत्वगत संयोग है कि भारत ने चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में भेज कर अपना वैज्ञानिक परचम पूरे विश्व में लहराया है दूसरी तरफ भारत ने ब्रिक्स सम्मेलन में चीन के साथ आपसी सहयोग एवं शांति की सहमति भी प्रस्तावित की है जिसमें दोनों देश सहमत भी हुए। भारत में ब्रिक्स की अपार सफलता भी भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचाने में सक्षम हुआ है। ब्रिक्स की सफलता को देखते हुए विश्व में 40 से ज्यादा देशों ने इस आर्गेनाइजेशन मैं शामिल होने की इच्छा जताई है इसके अलावा 22 देशों ने इसकी सदस्यता के लिए औपचारिक अनुरोध भी किया है। ब्रिक्स में अभी पांच देश ही शामिल हैं जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत ,चीन तथा साउथ अफ्रीका ही है। साउथ अफ्रीका के जोहँसबर्ग में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था यह सम्मेलन इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि कोरोना के बाद यह सदस्य देश के नेता पहली बार आमने-सामने एकजुट हुए हैं बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में आ रहा है
बदलाव के संकेत भी इसमें देखने को मिले हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के विस्तार पर आम सहमति को आगे बढ़ाने के प्रस्ताव का स्वागत भी किया है और आपस में अंतरिक्ष शिक्षा, तकनीकी सहयोग शेर तथा चीता इत्यादि प्रजातियों के संरक्षण और परंपरागत शिक्षा संबंधी सुझावों को लेकर अनेक सुझाव दिए हैं। दरअसल ब्रिक्स का विस्तार के पीछे भारत और भारत के प्रधानमंत्री की स्पष्ट सोच है की विकास शील और अल्प विकसित देशों की जरूरत के प्रति ज्यादा और विशेष ध्यान देने एवं बहु ध्रुवी व्यवस्थाओं में सुधार लाने की आवश्यकताओं पर बल दिया था। विकसित देशों के समूह G7 के आर्थिक वैश्विक राजनीतिक मॉडल का विकल्प ब्रिक्स संगठन तलाश में था। इस संदर्भ में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने ठीक फरमाया ब्रिक्स संगठन G7 या g20 अथवा अमेरिका का विरोध नहीं करता बल्कि वह अपने सदस्यों को स्वयं व्यवस्थित करना चाहता है और संगठन का विस्तार वर्तमान समय की मांग है और ब्रिक्स के विस्तार को सही दिशा तथा सही सिद्धांतों के लिए किया जाएगा।
यह तो तय है कि भारत के चंद्रयान की सफलता ने भारत के लिए ब्रिक्स के सम्मेलन में भारत तथा भारत के प्रधानमंत्री का दर्जा बहुत ऊंचा कर दिया है। अब भारत की बातों को कोई नजर अंदाज नहीं कर सकता है। भारत का चंद्रयान 3 जहां चंद्रमा के साउथ पोल में परचम लहरा रहा है वहीं भारत के प्रधानमंत्री और भारतीयता का परचम आसमान में लहरा रहा है। भारत के सभी वैज्ञानिकों और उनकी पूरी टीम तथा समस्त 140 करोड़ भारतवासियों को इस विराट सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई अनंत शुभकामनाएं।