2024-11-29 17:03:41
नयी दिल्ली( नागेश्वर कुमार): भविष्य में भारत के प्रमुख शहरों के बीच जापान की बुलेट ट्रेन के बजाए स्वदेशी बुलेट ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी। जापान की तकनीक और वित्तीय सहायता से चल रही मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना अंतिम होगी। इसके पश्चात भारतीय रेल की स्वदेशी तकनीक से निर्मित बुलेट ट्रेनें चलेंगी। इसके लिए पृथक एलिवेटेड हाई स्पीड कॉरिडोर बनाए जाएंगे और बुलेट ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 250 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। रेलवे मंत्रलाय के सूत्रों ने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर परियोजना से सबक लेते हुए सरकार ने उपरोक्त फैसला किया है। यह परियोजना न सिर्फ अपने तय लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है बल्कि इसकी लागत कई गुना (दो लाख करोड़ से अधिक) बढ़ गई है। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 300 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन का परिचालन खर्च चार से पांच गुना बढ़ जाता है। वहीं हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने का खर्च बहुत अधिक होता है। अत: रेलवे बोर्ड देश के प्रमुख शहरों के बीच 250 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर स्वदेशी बुलेट ट्रेन चलाने का फैसला किया है। विदित हो कि पूर्व में जापान, चीन व अन्य यूरोपियन देशों की सहायता से 300 से 350 किलोमीटर प्रतिष्घंटा की रफ्तार पर बुलेट ट्रेनों को चलाने योजना बनाई थी। अधिकारी ने बताया कि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ), चैन्नई ने स्वदेशी बुलेट की डिजाइन को विकसित करने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने के लिए दिल्ली-वाराणसी (865 किमी), दिल्ली-अहमदाबाद (886 किमी), नागपुर-वाराणसी, दिल्ली-चंडीगढ़, चैन्नई-मैसूर, हैदराबाद-बेगुलरू के बीच फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। रेलवे उक्त सभी शहरों के बीच ऐलिवेटेड हाई स्पीड कॉरिडोर का निर्माण करेगी। अधिकारी ने बतया कि बुलेट ट्रेन की डिजाइन व कॉरिडोर निर्माण के लिए चार से पांच साल का लक्ष्य रखा गया है।