2025-03-26 17:19:11
भारत इस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है, जो 2026 तक 300 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने आज बुधवार को कहा कि यह सफलता ‘मेक इन इंडिया’ और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के चलते संभव हो रही है। जहां 2014-15 में केवल 26% मोबाइल फोन भारत में बनाए जाते थे, वहीं दिसंबर 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 99.2% हो गया। 2014 में भारत में सिर्फ 2 मोबाइल निर्माण इकाइयां थीं, वहीं अब इनकी संख्या 300 से अधिक हो गई है। भारत से मोबाइल फोन का निर्यात 2014-15 में 1,566 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया, यानी इसमें 77 गुना वृद्धि हुई है। भारत का सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार ने 1.52 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाले 5 प्रमुख सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने कहा, “भारत 2026 तक 300 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। मजबूत नीतियां और कुशल कार्यबल देश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रमुख खिलाड़ी बना रहे हैं।” मोबाइल फोन निर्माण का मूल्य भी 2013-14 में 18,900 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 4,22,000 करोड़ रुपये हो गया है। हर साल भारत में 325-330 मिलियन (32.5-33 करोड़) मोबाइल फोन बनाए जा रहे हैं और देश में 1 अरब से अधिक मोबाइल फोन उपयोग में हैं। भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात इस वित्तीय वर्ष (FY25) में पहली बार 3 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर सकता है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 2.87 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष (FY24) की समान अवधि में 2.11 लाख करोड़ रुपये था। इसमें 35% की वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि में स्मार्टफोन निर्यात 1.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54% अधिक है। स्मार्टफोन इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में सबसे बड़ा योगदान दे रहे हैं। सरकार ने PLI योजना के तहत घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए बजट में भी बड़ा इजाफा किया है। 2024-25 में 5,747 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) की तुलना में 2025-26 में 8,885 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। भारत सरकार के इस कदम से देश का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिल रही है।