गीतकार डॉ.अवनीश राही के गीतों में

ष् नीरज ष् की खुशबू- भाग्यश्री
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2025-01-18 19:56:12

अलीगढ : क्यूएसओ फेयर्स इन्टरनेशनल ऑर्गनाइजेशन एण्ड थ्री फिंगर्स एंटरटेंमेंट लिमिटेड मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में विश्व हिन्दी दिवसष् के साहित्यिक पखवाड़े में एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन नई दिल्ली स्थित ईरॉस पांच सितारा होटल में रखा गया। जिसमें देश-विदेश की विविध प्रतिभा सम्पन्न शख्सियतों ने भाग लिया। अलीगढ कला और साहित्यकारों की जननी रही है, जिसने अलीगढ़ को बड़े-बड़े मूर्धन्य कलमकार दिये हैं जैसे शहरयार, रविन्द्र जैन और नीरज। अब उसी राह पर ष्राहीष् भी निकल पडे हैं। और अपने 40 वर्षों की मैराथन लेखन यात्रा पार कर, नित् नये परवान चढ़ रहे हैं। यहां तक कि सुपरहिट फिल्म ष्मैंने प्यार कियाष् की बॉलीवुड अभिनेत्री भाग्यश्री ने भी कहा कि हमें मेलोडी किंग कुमार सानू और अनुराधा पौड़वाल के स्वरों से सजा गीतकार डॉ. अवनीश राही का बहुचर्चित म्यूजिक एलबम महाकारुणिक दा लॉर्ड बुद्धा बेहद पसंद है। इसे सुनकर मन को एक अलग ही सुकूनों-शांति की अनुभूति होती है।अलीगढ के विद्यावाचस्पति डॉक्ट्रेट की मानद् उपाधि से विभूषित साहित्यकार भारत विभूषण डॉ.अवनीश राही को उनके द्वारा साहित्य व बॉलीवुड दोनों ही विधाओ में निरन्तर व समान रूप से उत्कृष्ट गीत-सृजन में अतुलनीय योगदान हेतु ष्साहित्य शिरोमणि शब्द सम्मान-2025 के राष्ट्रीय पुरस्कार से विभूषित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर रहीं बॉलीवुड अभिनेत्री भाग्यश्री ने गीतकार डॉ.अवनीश को शॉल ,मेडल पहनाकर, स्मृति-चिन्ह सहित ष्साहित्य शिरोमणि शब्द सम्मान-2025ष् की उपाधि से विभूषित किया। और कहा कि गीतकार डॉ.अवनीश राही सस्ती लोकप्रियता के लिए अपने गीतों में और गीतकारों की तरह फूहड़ता नहीं परोस रहे बल्कि मानवीय मूल्यों को ऊपर रख, जन मानस की पीड़ा को लिख रहे और गा रहे हैं।और यही एक सच्चे गीतकार और साहित्यकार का धर्म भी है। हीरालाल बारहसैनी कालेज में व्याख्याता पद पर आसीन गीतकार डॉ.अवनीश राही ने कहा कि यह सम्मान समस्त साहित्य प्रेमियों को समर्पित करता हूं। अभी तक ये जितने भी सम्मान या पुरस्कार मिले हैं उनसे मैं बहुत ही अभिभूत हूँ और उसके लिए मैं अपने अलीगढ वासियों के साथ-साथ अपने तमाम चाहने वालों का भी आभार व अभिवादन व्यक्त करता हूँ। लेकिन ये भी सच है कि इन पुरस्कारों और सम्मानों के मिलने से मेरी जिम्मेदारी पहले से कहीं और ज्यादा बढ गयी है। और आगे कहा कि ये सम्मान व पुरस्कार मेरे पिता साहित्यकार अमर सिंह राही द्वारा दी गयी शिक्षा और संस्कृति का ही प्रतिफल है जो सदैव मेरे ह्दय के करीब रहेंगे।

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