2024-11-11 15:50:08
राँची(मुजफ्फर हुसैन संवाददाता): अब्दुल कय्यूम अंसारी उर्दू मिडिल स्कूल, इरबा गांव में राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने कांके विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार बैठा और खिजरी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राजेश कच्छप के समर्थन में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे, जिनमें लगभग 300 स्थानीय लोग और 700 बाहरी मुस्लिम समुदाय के सदस्य शामिल थे। इरबा, झारखंड राज्य के रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड में स्थित एक मुस्लिम बहुल गांव है। यह गांव राज्य की राजधानी रांची से 21 किलोमीटर और ओरमांझी से 6 किलोमीटर दूर स्थित है। इरबा की मुस्लिम आबादी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यही वजह है कि इस क्षेत्र में आयोजित चुनावी जनसभा ने राजनीतिक हलकों में खासा ध्यान आकर्षित किया है। जनसभा का उद्देश्य और नेताओं का संदेश: यह चुनावी जनसभा कांग्रेस पार्टी के कांके विधानसभा प्रत्याशी सुरेश कुमार बैठा और खिजरी विधानसभा प्रत्याशी राजेश कच्छप के समर्थन में आयोजित की गई थी। जनसभा में मुख्य वक्ता के रूप में राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने भाग लिया। नेताओं ने इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए अपनी पार्टी की योजनाओं का उल्लेख किया। पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने कहा, मुसलमानों के बीच मैं समझता हूं कि राजनीतिक बातचीत, और वह भी कांग्रेस पार्टी में गठबंधन के लिए बहुत छोटी बात हो जाती है। आप पूरी तरह से सेक्युलर हैं। जब कोई कहता है कि मुसलमान गैर-सेक्युलर हैं, तो मैं कभी-कभी इस पर सोचता हूं। 140 करोड़ की आबादी में आप लगभग 18 से 20 करोड़ हैं। जब मैं मजलिस की बात करता हूं, तो मजलिस में जाने वाले लोग कभी हिंदुस्तान, लोकतंत्र, संविधान के इस जन्म में, क्या सात जन्मों में भी विरोधी नहीं हो सकते। मुसलमानों की राजनीति में मेरा कोई लेना-देना नहीं। आप मजबूत रहें, मुस्कुराते रहें, जिसकी ताकत इस्लाम और हदीस हो, जिसकी ताकत हजरत हुसैन की कुर्बानी हो, जिसकी ताकत मुहब्बत का रास्ता हो, वह कभी डरता नहीं है। वह दुनिया को बनाता है। आपको दुनिया को बनाने की जरूरत है। आदिवासियों और गरीबों को लेकर चलिए, डरिए नहीं, दूसरों को लेकर चलिए। इन शब्दों के साथ मैं अपनी मां-बहनों से एक तरफ कांके विधानसभा के लिए 13 नवंबर और एक तरफ खिजरी विधानसभा के लिए 20 नवंबर को इंडिया गठबंधन को वोट देने की अपील करता हूं। राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, आने वाली 13 तारीख को पहला चरण विधानसभा चुनाव का फैसला करना है और 20 तारीख को दूसरा चरण विधानसभा चुनाव का फैसला करना है। मैं झारखंड में भारत देश का नक्शा लेकर जनता के बीच जा रहा हूँ, मुझे बतायें कि झारखंड की कौन सी सीमा है जो किसी दूसरे देश से जाकर मिलती है और इसपर घुसपैठ कैसे हो सकती है। जब किसी देश में दूसरे देश की सीमा लगती ही नहीं है तो किसी दूसरे देश से घुसपैठ कैसे हो सकती है। झारखंड के लोगों को अपमानित करना बंद करिये। भाजपा नेताओं का हर नारा झूठा है, झारखंड में इनका हर प्रोपेगंडा विफ़ल हो गया है। आइए, नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोलते हैं। यह लड़ाई मुहब्बत और नफरत के बीच है। इस बार इस लड़ाई में अगुवा राहुल गांधी हैं, हेमंत सोरेन हैं, लालू यादव, तेजस्वी यादव, पप्पू यादव, इमरान प्रतापगढ़ी हैं, और दूसरी तरफ वे लोग खड़े हैं जिनकी भाषा में नफरत की भाषा है। लड़ाई सिर्फ विधायक बनाने की नहीं है, बल्कि यह लड़ाई झारखंड को नफरत वाली ताकत से बचाने की है। अगर छोटी-छोटी नाराजगियां भी हों, तो उन्हें नजरअंदाज कीजिए, क्योंकि जब लड़ाई बड़ी होती है, तो छोटी-छोटी मतभेद और शिकायतें मायने नहीं रखतीं। इसलिए मैं आपसे गुजारिश करता हूं कि कांग्रेस की जो गारंटी है, वह आपके सामने है। कांके विधानसभा से इंडिया गठबंधन प्रत्याशी सुरेश कुमार बैठा और खिजरी विधानसभा से इंडिया गठबंधन प्रत्याशी राजेश कच्छप के पक्ष में वोट करने की अपील करता हूं। मुस्लिम समुदाय की तादाद और इसका राजनीतिक प्रभाव: इरबा और इसके आसपास के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की तादाद का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव है। इस इलाके में मुस्लिम वोटिंग पैटर्न पर राजनीतिक दलों की निगाहें रहती हैं। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र के मुस्लिम वोट इस बार चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। अगर मुस्लिम समुदाय अपने वोट का सही तरीके से इस्तेमाल करता है, तो इसका सीधा असर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है। मतदाताओं की चिंताएँ: कुछ मतदाताओं ने इस जनसभा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि यह चुनावी जनसभा मुस्लिम समुदाय को लुभाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। उनका कहना था कि ऐसी जनसभाएं सिर्फ एक विशेष समुदाय को रिझाने के लिए होती हैं। कुछ स्थानीय मुस्लिम मतदाताओं ने अपनी चिंताओं का इज़हार किया और कहा कि वे चुनावी वादों से अधिक अपने इलाके के विकास और बुनियादी जरूरतों को लेकर चिंतित हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, हम चाहते हैं कि हमें सिर्फ वोट बैंक के रूप में न देखा जाए। हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अन्य बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है। हम चाहते हैं कि इन मुद्दों पर सच्चे तरीके से काम हो। मुस्लिम बहुल इलाकों में आयोजित चुनावी जनसभाएं न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा होती हैं, बल्कि यह समाज के विभिन्न समुदायों के बीच राजनीतिक और सामाजिक समीकरण को भी प्रभावित करती हैं। इरबा की इस जनसभा ने यह साबित किया कि मुस्लिम वोटों का रुझान चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, यह देखना होगा कि इस जनसभा का मतदान के दिन क्या असर होता है, और मुस्लिम समुदाय के वोट किस दिशा में जाते हैं।