2025-04-28 19:57:08
पटौदी। लिंगानुपात में सुधार के साथ-साथ जन्म दर में वृद्धि लेकर आना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता में शामिल है । विवाह के उपरांत गर्भ धारण करने से लेकर प्रसव के बाद शिशु के जन्म का समय जननी के लिए चुनौती के साथ-साथ एक भावनात्मक क्षण भी होते हैं । बिगड़ा लिंगानुपात निश्चित रूप से सामाजिक संरचना और स्वस्थ समाज सहित पारिवारिक संतुलन के लिए चुनौती बनता हुआ दिखाई दे रहा है। पहला बच्चा बेशक से कन्या ही क्यों ना हो, फिर से गर्भधारण किया जाने पर लिंग जांच करवाने से पूरी तरह परहेज किया जाना मानवीय प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने और बचाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। यह बात सीएमओ डॉक्टर अलका सिंह ने सोमवार को पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य सखी और सुरक्षित प्रसव के संदर्भ में एसजीटी के सौजन्य से आयोजित कार्यशाला में कही। इसी मौके पर एसजीटी यूनिवर्सिटी की नर्सिंग टीम के द्वारा भावनात्मक पारिवारिक नाटिका का प्रस्तुतीकरण करते हुए लिंगानुपात सुधार से लेकर शिशु के जन्म (कन्या अथवा लड़का) का पारिवारिक सामाजिक परिवेश में महत्व बताया । इसी नाटक में बताया गया कि किसी भी परिवार की वंश वृद्धि के लिए आशा वर्कर आंगनवाड़ी वर्कर एमपीएचडब्ल्यू के द्वारा क्या और किस प्रकार का सहयोग करते हुए कार्य किया जा रहे हैं । गर्भकाल से लेकर शिशु के जन्म लेने तक और उसके बाद शिशु के स्वास्थ्य- आहार को बनाए रखने में आशा के योगदान को भी विस्तार से बताया गया । इस मौके पर मुख्य रूप से गुरुग्राम की सीनियर डॉक्टर नीलिमा, पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव , गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति डबास, मेडिकल ऑफिसर आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा, एसजीटी यूनिवर्सिटी से नर्सिंग हेड डॉ भानु प्रिया, फैकल्टी डीन डॉ सुदेश गोयल, हेली मंडी अस्पताल के एससएमओ राजेश जिंदल, बोहड़ाकला सामान्य अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर जिंदल राजेश, नर्सिंग स्टाफ में उर्मिला सहित अन्य विभिन्न स्वास्थ्य कर्मी विशेष रूप से मौजूद रहे। लिंगानुपात और जन्मदर सुधार के साथ-साथ शिशु के स्वास्थ्य को केंद्र में रखकर इस विशेष कार्यशाला में विभिन्न डॉक्टर विशेषज्ञों के द्वारा बताया गया कि मौजूदा समय में बेटा और बेटी में किसी भी प्रकार का भेदभाव या अंतर नहीं रह गया है। सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव ने इसी कड़ी में कहा हमारे जिला की मुख्य चिकित्सा अधिकारी महिला है, हरियाणा प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री भी महिला ही है, देश की राष्ट्रपति भी महिला ही है । आज के समय में महिलाओं अथवा बेटियों ने अपनी योग्यता और क्षमता की बदौलत विभिन्न क्षेत्रों में अपनी काबिलियत को साबित कर दिखाया है ।इसी मौके पर इस बात को लेकर भी चिंता सामने आई की पटौदी क्षेत्र में 1000 लड़कों पर 700 लड़कियों का जन्म लेना अथवा लिंगानुपात चुनौती बनता जा रहा है । गर्भ में पल रहा शिशु लड़का हो या लड़की, उसका मुख्य रूप से सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में ही जन्म लेना सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है। मौजूदा समय में सरकार के द्वारा भी सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।