2025-02-21 16:44:13
रेवाड़ी। इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर के कुलपति प्रोफेसर जयप्रकाश यादव ने भारतीय शिक्षा संस्कृति की तरफ से आयोजित हुए ज्ञान महाकुंभ 2081 में भाग लिया। यह ऐतिहासिक आयोजन दिनांक 10 जनवरी से 10 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में आयोजित हुआ। इसमें विश्वविद्यालय के 30 छात्र-छात्राओं ने भी भागीदारी की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करना और शिक्षा को आत्मनिर्भरता एवं राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ना था जिसमें 100 से अधिक केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद, नीति आयोग के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 07 कुलपति, 44 शिक्षकों और देशभर से 10,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि ज्ञान महाकुंभ भारतीय शिक्षा प्रणाली को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करना समय की मांग है। इसके अतिरिक्त भारत की बहुत सी जानी पहचानी हस्तियां भी इस कार्यक्रम की साक्षी बने जिसमें इसरो अध्यक्ष वी. नारायण ने कहा कि भारत सदियों से ज्ञान का केंद्र रहा है। उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि ब्रिटिश शासन ने शिक्षा को बढ़ावा दिया। बल्कि, उन्होंने इसे भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक आक्रमण बताया और जोर देकर कहा कि हमें अपनी प्राचीन शैक्षिक विरासत को पुनः स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए शिक्षा को मुख्य आधार बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल रोजगार के लिए नहीं, बल्कि समग्र विकास और सांस्कृतिक उत्थान के लिए होनी चाहिए। उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रयासों की सराहना करते हुए समाज की भागीदारी को अनिवार्य बताया। महाकुंभ के दौरान ‘भारत बनाम इंडिया’विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयोजक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ने कहा कि इंडिया केवल एक नाम है, जबकि भारत हमारी संस्कृति, परंपरा और पूर्वजों की विरासत का प्रतीक है। इस सत्र में निर्णय लिया गया कि इस विषय पर 10 लाख से अधिक हस्ताक्षर एकत्र कर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा ताकि ‘भारत’ को आधिकारिक रूप से मान्यता मिले। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली समग्र थी, जबकि आज की वैश्विक शिक्षा प्रणाली एकांगी हो गई है। उन्होंने समाज में भारतीय ज्ञान परंपरा की चेतना को पुनः जागृत करने का आह्वान किया। ज्ञान महाकुंभ के अंतर्गत ‘हरित महाकुंभ 2025’ का भी आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण पर गहन विचार-विमर्श हुआ। MNNIT के निदेशक प्रोफेसर आर. एस. वर्मा ने सतत विकास (Sustainable Development) की आवश्यकता पर जोर दिया और प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से सावधान रहने की अपील की। विद्यार्थियों के लिए वैदिक गणित, योग अभ्यास और संस्कृत कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिससे उनकी जड़ों से जुड़ने की प्रक्रिया सशक्त हो सके। कार्यक्रम के समापन पर राष्ट्र निर्माण के लिए विभिन्न संकल्प पारित किए गए, जिन्हें आगामी एक माह तक विशेष अभियान के रूप में पूरे देश में प्रचारित किया जाएगा। इस महाकुंभ ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया, जिससे भविष्य की शिक्षा नीति में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की गई।