2025-01-02 16:13:05
नई दिल्ली : गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जेलों के भीतर जाति-आधारित भेदभाव को संबोधित करने और आदतन अपराधी की मौजूदा परिभाषा को बदलने के लिए मॉडल जेल मैनुअल, 2016 और मॉडल जेल और सुधार सेवा अधिनियम, 2023 में संशोधन किया। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परिवर्तनों पर ध्यान देने और सभी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। यह कदम 2023 की रिट याचिका (सिविल) संख्या 1404, सुकन्या शांता बनाम भारत संघ और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के 3 अक्टूबर, 2024 के ऐतिहासिक फैसले के बाद उठाया गया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे एक पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि कैदियों के साथ किसी भी जाति-आधारित भेदभाव के मुद्दे को मॉडल जेल मैनुअल, 2016 और मॉडल जेल और सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के जरिए संबोधित किया जाए। संशोधन किया गया है। मैनुअल में नए जोड़ के अनुसार, जेल अधिकारियों को सख्ती से यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी जाति के आधार पर कैदियों के साथ कोई भेदभाव, वर्गीकरण, अलगाव न हो। मॉडल कारागार और सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के विविध में धारा 55 (ए) के रूप में एक नए शीर्षक जेलों और सुधार संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव का निषेध के साथ भी बदलाव किए गए हैं। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का जेलों और सुधार संस्थानों में भी बाध्यकारी प्रभाव होगा।