2023-10-30 12:39:11
हमीरपुर। जिला पंचायत का ठेका लेने के बाद जिला पंचायत के लगे बैरियरो में बैठे गुर्गे जमकर अवैध वसूली कर रहे है। वही ठेका का अंतिम माह होने व उच्चाधिकारियों के चुनाव में व्यस्त होने के कारण राशिदों में सरकारी शुल्क लिखे बिना ही ट्रक चालको से जमकर वसूली करने के लिए गुंडागर्दी पर भी उतारू हो जाते है। वही बैरियर के ठेका संचालक जिला प्रशासन को भी हिस्सा दिए जाने की बात कर अपने गुर्गों से वसूली करवा रहे है। वाहनों को गुजरते समय बिना रेट लिखी पर्चियां देकर वसूली होती है। यदि कोई चालक रेट को लेकर विरोध करता है तो गुर्गों द्वारा अभद्रता कर मारपीट करने लगते है। जिला पंचायत बैरियरों से प्रति ट्रक 60 व ट्रैक्टर 10 रुपए शुल्क निर्धारित है। इसके साथ ही शासन के निर्देशानुसार रेट बोर्ड लगाना अनिवार्य है।
जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा सभी खदानों में एक एक पंचायत का बैरियर लगाने का ठेका मार्च माह में होता है। जिससे 2021-22 में बैरियर के नाम का ठेका भी जिला पंचायत ने किया था। जिससे सभी खदानों में जिला पंचायत के नाम से ठेकेदार द्वारा एक एक बैरियर संचालित किए गए। जिसमे नियमानुसार एक रेट भी निर्धारित किया जाता है। और बैरियर में रेट बोर्ड भी लगाना आवश्यक किया जाता है। लेकिन ठेका मिलने के बाद ठेकेदार सारे नियम व आदेश को एक तरफ रख देते है। उसके बाद बैरियार में अपने गुर्गे बैठा कर जमकर वसूली करने लगते हैं। वहीं ठेके का अंतिम माह होने के चलते ठेका संचालक अपने गुर्गों से जमकर वसूली करने का आदेश दिए है।
लेकिन जिला पंचायत के बैरियर में लगे कर्मचारी पूरी तरह से मनमानी पर उतारू है। जो वाहन चालकों को बैरियर से गुजरते समय बिना रेट लिखी पर्ची देकर मनमानी वसूली करते हैं। जब भी इस बात का कोई भी वाहन चालक विरोध करता है तो बैरियर में तैनात कर्मचारियों द्वारा अभद्रता करते हुए मारपीट करते है। जिससे ट्रक चालक मुंहमांगी रकम चुकाने को तैयार हो जाते हैं। खदान से मौरंग लेकर जा रहे ट्रक चालक अरविंद, हरिमोहन, रामकेश, घनश्याम ने बताया कि जिला पंचायत बैरियर में उनसे 250 से 300 तक रुपए जिला पंचायत के नाम पर वसूले जाते है। कहा कि पर्ची में रेट लिखने को कहने पर बैरियर में बैठे गुर्गे उनके साथ अभद्रता व मारपीट करने लगते है। जिससे उन्हें मनचाहा शुल्क देना पड़ता है। वही बैरियर के ठेकेदार भी गुर्गों से मनमानी वसूली करने की बात करते है। इस सम्बंध में जानकारी करने पर पता चला कि सभी को जेब खर्च देने में पैसा लगता है। इसलिए कोई भी अधिकारी इन बैरियर पर नजर नही डालता। इस वसूली से उच्चाधकारी सहित थाना, कोतवाली सहित सभी को दिया जाता है।