ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस एचएमपीवी के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य मंत्री का बयान

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने वर्चुअल मोड में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की अध्यक्षता की
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2025-01-07 12:22:03

नई दिल्ली : गौरतलब हो कि अब तक स्वास्थ्य मंत्रालय ने एचएमपीवी के दो मामलों की पुष्टि की ही। इसके साथ गुजरात से एक ओर तमिलनाडु से भी मामले मिले है।इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि एचएमपी कोई नया वायरस नहीं है। इसकी पहचान सबसे पहले 2001 में हुई थी और यह कई वर्षों से पूरी दुनिया में फैल रहा है। चीन में एचएमपीवी के मामलों की हालिया रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय, ICMR और NCDC चीन के साथ-साथ अपने पड़ोसी देशों में स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं,डब्लू एच ओ ने स्थिति का संज्ञान लिया है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट हमारे साथ साझा करेंगे। वहीं आज हुई बैठक में चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) मामलों में उछाल की मीडिया रिपोर्टों के बाद एचएमपीवी मामलों की स्थिति और उनके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की गई। बैठक में डॉ. राजीव बहल, सचिव (डीएचआर); डॉ. (प्रो) अतुल गोयल, डीजीएचएस; राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और अधिकारी, एनसीडीसी, आईडीएसपी, आईसीएमआर, एनआईवी और आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञ शामिल हुए। स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि एचएमपीवी से जनता के लिए चिंता का कोई कारण नहीं है। यह वायरस 2001 से वैश्विक स्तर पर मौजूद है। उन्होंने राज्यों को आईएलआई/एसएआरआई निगरानी को मजबूत करने और समीक्षा करने की सलाह दी। उन्होंने दोहराया कि आमतौर पर सर्दियों के महीनों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में किसी भी संभावित उछाल के लिए अच्छी तरह से तैयार है। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) कई श्वसन वायरस में से एक है जो सभी उम्र के लोगों में विशेष रूप से सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों में संक्रमण का कारण बन सकता है। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) कई श्वसन वायरस में से एक है जो सभी उम्र के लोगों में विशेष रूप से सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों के दौरान संक्रमण का कारण बन सकता है। वायरस का संक्रमण आमतौर पर हल्का और स्व-सीमित स्थिति होता है और अधिकांश मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं। यह बताया गया कि आईसीएमआर-वीआरडीएल प्रयोगशालाओं के पास पर्याप्त नैदानिक ​​सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्यों को वायरस के संचरण की रोकथाम के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई। इसमें साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना; बिना धुले हाथों से अपनी आँखें, नाक या मुँह को छूने से बचना; ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना जिनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे हों; खाँसते और छींकते समय मुँह और नाक को ढकना आदि शामिल है।

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