हैवअस एरोटेक का भारत में MRO क्रांति का बिगुल बजाया, कोलकाता और मुंबई में विशाल पैमाने पर विस्तार की योजना

हैवस एरोटेक ने कोलकाता में जमीन खरीदी, MRO प्रोजेक्ट के विस्तार की दिशा में बड़ा कदम
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2025-01-29 17:15:27

नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर हैवस एरोटेक यह घोषणा करते हुए बेहद उत्साहित है कि कंपनी ने कोलकाता के बैरकपुर में अपने अगले एमआरओ (मरम्मत, रखरखाव और ओवरहॉलिंग) प्रोजेक्ट के लिए दो एकड़ जमीन खरीदी है। इस दो एकड़ एकड़ जमीन में से, कंपनी सबसे पहले 10,000 वर्ग फुट के पूरी तरह वर्ड क्षेत्र में विमानों की मरम्मत, रखरखाव और ओवरहॉलिंग के लिए एमआरओ सेंटर बनाएगी। इस एमआरओ सेंटर में विमान के पहिए और ब्रेक की जांच होगी। उनकी मरम्मत और रखरखाव किया जाएगा। विमान के नेविगेशन और संचार उपकरणों की मरम्मत और उन्हें अपग्रेड किया जाएगा और विमान में मौजूद इमरजेंसी उपकरण, जैसे लाइफ जैकेट्स, ऑक्सीजन सिस्टम को तैयार और ठीक किया जाएगा। यह जगह नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से केवल 11.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इससे विमान के पार्ट्स और अन्य सामग्रियों को हवाई अड्डे तक लाना-ले जाना बहुत आसान होगा। मरम्मत के लिए जरूरी सामान और उपकरणों की डिलीवरी समय पर हो सकेगी, जिससे काम में देरी नहीं होगी। हवाई अड्डे के पास होने से एयरलाइंस आसानी से इस जगह अपने विमानों के हिस्सों की मरम्मत और रखरखाव इस जगह पर करवा सकती हैं। दो एकड़ जमीन में से 10,000 वर्ग फुट का हिस्सा पहले चरण में इस्तेमाल होगा, इसके बाद बची हुई जमीन पर बाद में एक और परियोजना विकसित की जाएगी। इस परियोजना के तहत जटिल और बड़े विमान के हिस्सों, जैसे रेडोम्स, ऑक्सीलरी पावर यूनिट्स और लैंडिंग गियर्स की मरम्मत की जाएगी। रेडोम्स विमान के आगे लगे गोल आकार के कवर होते हैं, जो रेडार को सुरक्षित रखते हैं। ऑक्सीलरी पावर यूनिट्स (एपीयू) छोटे इंजन होते हैं, जो विमान के मुख्य इंजन के बंद होने पर बिजली और हवा की आपूर्ति करते हैं। लैंडिंग गियर्स विमान के पहिए और उससे जुड़े सिस्टम होते हैं, जो लैंडिंग और टेक-ऑफ के समय महत्वपूर्ण होते हैं। हैवस एरोटेक ने भारत में अपनी सर्विसेज को तेजी से बढ़ाने की योजना बनाई है। हाल ही में दिल्ली में नया ऑफिस खोलने के बाद, कंपनी ने संकेत दिया था कि वह भारत के अलग-अलग हिस्सों में विस्तार करेगी। इसमें कोलकाता पर खास ध्यान दिया गया है। कंपनी की यह योजना खासतौर से विमानों की मरम्मत, रखरखाव और औवरहॉलिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत (मेक इन इंडिया) के दीर्घकालीन लक्ष्य से जुड़ी है। कंपनी पूरे भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है। आइए कोलकाता में विकसित की जा रही नई आगामी एमआरओ परियोजना की शेषताओं पर नजर डालें यह एमआरओ केंद्र शुरुआत में विमान के पहिए, ब्रेक, नेविगेशन और संचार उपकरण पर काम करेगा। धीरे-धीरे इसे विमान के अन्य पुर्जों की मरम्मत और रखरखाव के लिए भी विकसित किया जाएगा। आगे आने वाले समय में एमआरओ सेंटर में कुछ रक्षा परियोजनाओं, सैन्य उपकरणों और तकनीकों पर भी काम होगा। कंपनी एमआरओ सेंटर के लिए 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करने की योजना बना रही है। इस परियोजना का मकसद भारत को विमानन और रक्षा क्षेत्र में मरम्मत और रखरखाव की आधुनिक सुविधाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। हैवस एरोटेक ने अपनी नई परियोजना के लिए 100 से 150 उच्च कौशल से लैस एयरोस्पेस इंजीनियरों, टेक्नीशियनों और अन्य विशेषज्ञों को भर्ती करने की योजना बनाई है। यह भर्ती इसलिए की जा रही है, ताकि कंपनी इस नए एमआरओ सेंटर को विकसित कर सके और कर्मचारियों की जरूरतों को पूरी कर सके। जैसे-जैसे कंपनी का काम बढ़ेगा और नए प्रोजेक्ट शुरू होंगे, वैसे-वैसे अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। कंपनी अपने नए प्रोजेक्ट्स के लिए लिए बड़ी संख्या में योग्य कर्मचारियों को नौकरी पर रखेगी। हैवस एरोटेक के संस्थापक और एमडी अंशुल भार्गव ने नया एमआरओ सेंटर बनाने के लिए कोलकाता का चुनाव करने पर कहा, भारत के पूर्वी हिस्से में एमआरओ (मरम्मत, रखरखाव और ओवरहॉलिंग) सुविधाओं की बहुत कमी है। यह एक ऐसा बाजार है, जिसका अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया है।कंपनी अब इस मौके का फायदा उठाने की योजना बना रही है हमारा उद्देश्य यहां उन विमानों की मरम्मत और रखरखाव करना है जो म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी एशियाई देशों से आते हैं। कंपनी का उद्देश्य न केवल भारत के विमानों की मरम्मत करना है, बल्कि पड़ोसी देशों के विमानों को भी सेवा देना है, और इसे कम कीमत पर उपलब्ध कराना है, जिससे अधिक एयरलाइंस और विमान सेवा ले सकें। बैरकपुर का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक लंबा और महत्वपूर्ण इतिहास है। 1857 में यहां से ही महान मंगलपांडे के नेतृत्व में भारत की पहली क्रांति की शुरुआत हुई थी। इससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी गई थी। बैरकपुर के इस ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए करते हुए अंशुल भार्गव ने कहा कि कोलकाता में हैवअस एमआरओ पहली एमआरओ क्रांति लाएगा। हैवअसएरोटेक का उद्देश्य भारत में सस्ती एमआरओ सेवाएं प्रदान करना है। इस समय पूर्वी एशिया से आने वाले विमान मरम्मचत, रखरखाव और ओवरहॉलिंग की प्रक्रिया के लिए अक्सर चीन, सिंगापुर या पश्चिमी देशों में जाते हैं। हैवअसएरोटेक का उद्देश्य पूर्वी एशिया की विमान कंपनियों को भारतीय धरती पर किफायती एमआरओ सेवाएं प्रदान करना है। कंपनी बैरकपुर में नया एमआरओ सेंटर बनाएगी, जो न सिर्फ विमान के रखरखाव की प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि भारत में इसे सस्ती कीमत पर उपलब्ध भी कराएगा। हैवअसएरोटेक इस नए एमआरओ प्रोजेक्ट को सफल बनाने और कोलकाता को अगले बड़े एमआरओ हब के रूप में विकसित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों और पश्चिम बंगाल सरकार का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। कंपनी का मानना है कि सरकार और स्थानीय अधिकारियों के समर्थन से कोलकाता को पूर्वी भारत का एक बेहतरीन एमआरओ केंद्र बनाया जा सकता है। कंपनी इस परियोजना को सफल बनाने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन से मदद चाहती है । हैवस एरोटेक अपनी विस्तार योजना के अगले चरण में मुंबई में विमानों की मरम्मत, रखरखाव और ओवरहॉलिंग के लिए विशाल केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। कंपनी कोलकाता के बाद मुंबई में भी एक बड़ा एमआरओ हब बनाएगी, जिससे भारत के पश्चिमी हिस्से में भी विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉलिंग की सेवाओं का विस्तार होगा।

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