2025-04-03 20:10:28
राष्ट्र भक्ति और माता पिता की सेवा सबसे बड़ी भक्ति है तथा देश प्रेम सबसे बड़ा प्रेम है। देश और माता पिता से बड़ा कोई नहीं है। जो व्यक्ति इनसे प्यार करता है, उसे आजीवन सुख और सम्मान मिलता है। यह उद्गार श्री आद्यशक्ति पीठ मां संतोषी आश्रम में चल रहे आध्यात्मिक प्रवचनों के पंचम दिवस पर महामंडलेश्वर संतोषी माता ने प्रकट किए। उन्होंने कहा कि शुभ कर्म करने वालों के सामने अनेक बाधाएं व विघ्न आते हैं, परंतु मनुष्य को इन बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए और सद्कर्म करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलिकाल में तप का बहुत महत्व है। तप के बिना मनुष्य को कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि तप का अर्थ घर या जंगलों में समाधि लगाकर मंत्रों का जाप करने तक ही सीमित नहीं है। अपितु आत्म संयम, सात्विक भोजन, पर सेवा, गरीबों की सहायता, सादा जीवन व दान पुण्य आदि भी मनुष्य को तपस्वी बनाते हैं। माता श्री ने धर्म आध्यात्म व शक्ति के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि धार्मिक होना अलग बात है और आध्यात्मिक होना अलग बात है। धर्म से आचरण पवित्र होता है और मन निर्मल व निष्पाप होता है। शक्ति शरीर में ऐसे व्याप्त है जैसे फूल में सुगंध व लकड़ी में अग्नि व्याप्त है। यदि शरीर में प्राण शक्ति न हो तो चलना फिरना, उठना बैठना, खाना पीना, पढ़ना लिखना और कोई भी कार्य संभव नहीं है। व्यास पीठ पर विराजमान होने पर हिसार के जाने-माने व्यापारी एवं पीठ कमेटी के प्रधान महासचिव एवं उद्योगपति सुशील बुडाकिया ने माता श्री को तिलक करके व माल्यार्पण करके पीठ कमेटी की तरफ से उनका स्वागत किया। माता जी के शिष्य दिल्ली निवासी जयप्रकाश मित्तल, होंदाराम ढाबा के स्वामी राधेश्याम, सुशीला बंसल, सुभाष जिंदल व श्यामलाल जिंदल ने भी माता श्री को माल्यार्पण करके आशीर्वाद ग्रहण किया। प्रवचनों के शुभ अवसर पर राजमल काजल, रमेश चुघ, अनिल मेहता, सुभाष बंसल, सीता देवी अग्रवाल व सुनीता गर्ग सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।