2025-03-28 22:58:55
अलीगढ़। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के द्वारा लगातार बच्चों के माता-पिता को राहत देने की कोशिश की जा रही है । लेकिन उसके बाद भी प्राइवेट स्कूलों पर नाम मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ा है । बावजूद इसके कि कोई अभिभावक कितने भी मध्यम वर्गीय परिवार से क्यों ना हो, लेकिन प्राइवेट स्कूलों को अपनी कमीशनखोरी से मतलब रह गया है। कमीशनखोरी के चलते प्राइवेट स्कूलों की सीजन में बल्ले बल्ले हो जाती है और अभिवावकों को जेब ढीली होने के साथ-साथ तंगी का भी सामना करना पड़ता है । ऐसा नहीं है कि यह सब कुछ किसी से छिपा हुआ है, लेकिन बार-बार आदेश करने के बाद भी क्यों प्राइवेट स्कूलों की कमीशन खोरी से बच्चों के माता-पिता को राहत नहीं मिल पा रही है। छोटी कक्षाओं के कोर्स ही छह से आठ हजार रुपए में मिल रहे हैं, जिनमें मोटी कमीशनखोरी छिपी हुई है। वही बात करें स्कूल ड्रेस की तो दो - ढाई सौ वाली ड्रेस पांच सौ रुपए के आसपास दुकान से मिल रही है । ड्रेस में सबसे बड़ा खेल स्कूलों के द्वारा अपना लोगो या स्लोगन लगाकर किया जाता है। जिससे कि अभिभावक स्कूल के निर्धारित रंग की ड्रेस किसी और दुकान से ना खरीद लें। बात कमीशनखोरी की सांठगांठ की करें , तो कुछ स्कूलों ने दो-तीन दुकानों पर अपने कोर्स उपलब्ध करवा रखे हैं, तो वहीं कुछ स्कूलों ने तो सिर्फ एक ही दुकान को अपना जरिया बना रखा है। ऐसा भी नहीं है कि यह सब कुछ अधिकारियों से छुपा हो ,क्योंकि स्वयं उच्च और निम्न स्तर के अधिकारियों के बच्चे भी इन्हीं प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं, जिनमें कमीशनखोरी का खेल चल रहा है । बात करें शिकायत और कार्रवाई की तो शिकायत करने से अभिभावक इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि उनके बच्चों को शिक्षा इन्हीं स्कूलों में लेनी है।