केंद्र सरकार वस्त्र और परिधान के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 3.9 प्रतिशत

भारत में वस्त्र और परिधान उत्पादों का आयात लगभग 15 प्रतिशत कम हुआ है। यह जानकारी भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने गुरुवार को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है।
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2025-01-02 15:33:17

नई दिल्ली : आधिकारिक बयान के अनुसार भारत के कुल निर्यात में हस्तशिल्प सहित वस्त्र और परिधान (टीऔरए) की हिस्सेदारी वर्ष 2023-24 में उल्लेखनीय 8.21प्रतिशत है। वस्त्र और परिधान के ग्लोबल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 3.9 प्रतिशत है। भारत वर्ष 2023 में दुनिया में वस्त्र और परिधान का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत के लिए प्रमुख वस्त्र और परिधान निर्यात गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं। कुल वस्त्र और परिधान निर्यात में इनकी हिस्सेदारी लगभग 47 प्रतिशत है। भारत एक प्रमुख वस्त्र और परिधान निर्यातक देश है आयात का बड़ा हिस्सा पुनः निर्यात या कच्चे माल की उद्योग आवश्यकता की पूर्ति के लिए होता है। वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान कुल 21,358 मिलियन डॉलर के निर्यात में से 8,733 मिलियन डॉलर के निर्यात के साथ रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) का कुल निर्यात में सबसे बड़ा हिस्सा (41 प्रतिशत), सूती वस्त्र (33 प्रतिशत, 7,082 मिलियन डॉलर), मानव निर्मित वस्त्र (15 प्रतिशत, 3,105 मिलियन डॉलर) का स्थान है। वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि ( 21,358 मिलियन डॉलर) के दौरान कपड़ा और परिधान (हस्तशिल्प सहित) के समग्र निर्यात में वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि ( 20,007 मिलियन डॉलर) की तुलना में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। गौरतलब हो, वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान सभी प्रमुख वस्तुओं के निर्यात में वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि की तुलना में वृद्धि देखी गई है। वहीं, सिवाय ऊन और हथकरघा के, जिनमें क्रमशः 19 प्रतिशत और 6 प्रतिशत की गिरावट आई है। आपको बता दें भारत द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 ( 8,946 मिलियन डॉलर) के दौरान वस्त्र और परिधान उत्पादों का आयात वित्त वर्ष 2022-23 ( 10,481 मिलियन डॉलर) की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत कम हुआ है। दरअसल आयात में जो वृद्धि हुई है, उसमें यह मुख्य रूप से सूती वस्त्रों में देखी गई है, जिसका मुख्य कारण लंबे रेशे वाले कपास फाइबर का आयात है। आयात दर्ज कमी, बढ़ती खपत और आत्मनिर्भरता के बीच देश में उत्पादन क्षमता में वृद्धि की ओर संकेत करती है।

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