2024-01-10 17:36:03
बांदा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बांदा के लाल की होगी अहम भूमिका। प्रोफेसर रामनारायण ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर में पीएम से शिलान्यास पूजन करवाया था।
बांदा, । राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन की तैयारियों में जोर-शोर से लगा है। देश के हजारों साधु-संतों समेत देश के प्रधानमंत्री और अलग-अलग क्षेत्रों की नामचीन हस्तियां आगामी 22 जनवरी को इस कार्यक्रम में शामिल होंगी।
ट्रस्ट के सचिव चंम्पत राय की ओर से इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने को काशी के धर्माचार्यों समेत काशी विद्वत परिषद के महामंत्री व प्रोफेसर पं.रामनारायण द्विवेदी को भी निमंत्रण पत्र भेजकर अयोध्या आने का अनुरोध किया गया है। अयोध्या के श्रीराम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूजन करवाने में भी बांदा जनपद के रहने वाले प्रोफेसर द्विवेदी की अहम भूमिका रही है।
बांदा जनपद के अछरौंड़ ग्राम में जन्मे प्रोफेसर पं.रामनारायण द्विवेदी पिता शिवनाथ प्रसाद द्विवेदी और माता रामप्यारी द्विवेदी के पुत्र हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अछरौंड़ में पाई और इसके बाद वे अध्ययन के लिए वर्ष 1992 में काशी चले गये।आपने संस्कृत वांड्मय का अध्ययन करके भारतीय ज्ञान परम्परा एवं सनातन संस्कृति में अनेक मान बिंदुओं को स्थापित कर बांदा का मान बढ़ाया है।
आपके पास संस्कृत साहित्य शास्त्र संरक्षण के क्षेत्र में वैदिक सनातन परंपरा के संवर्धन में अत्यंत प्राचीन संस्था श्रीकाशी विद्वत परिषद् और उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति के महामंत्री का दायित्व भी है।
वर्तमान में वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय व्याकरण विभाग के अध्यक्ष भी हैं। वे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ एवं दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय समेत अनेक विश्वविद्यालयों में एकेडमिक काउंसिल सदस्य हैं। शिक्षा साहित्य और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए कर्नाटक, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
राष्ट्रपतति और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी उन्हें विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के विकास में मंदिरों और मूर्तियों को शास्त्रों के अनुसार संरक्षित करने के लिए सरकार का मार्गदर्शन करने में भी उनकी अहम भूमिका रही।
रामजन्म भूमि पूजन का मार्गदर्शन भी आपने ही किया।
आप रामजन्म भूमि प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में भी काशी विद्वत परिषद् साक्षी/मार्गदर्शन की भूमिका में हैं।आपने समय-समय पर सनातन संस्कृति के लिए शास्त्रार्थ संगोष्ठी के माध्यम से सनातन विधोरियो तथा कम्युनिस्टों को चुनौती भी दी है।
प्रभु राम और शंकर हैं एक दूसरे के आराध्य।
संस्कृत के उदभट विद्वान प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने बातचीत में बताया कि शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने भगवान शंकर को अपना आराध्य माना था, वहीं भगवान शंकर ने भी प्रभु श्रीराम को अपना आराध्य ही स्वीकार किया था। काशी भगवान शंकर की नगरी है और अयोध्या प्रभु श्रीराम की। यह प्रसंग भी काशी और अयोध्या में एक अटूट रिश्ता स्थापित करता है!