2025-03-31 19:51:49
प्रदेश के मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा आशा वर्करों की मानी गई मांगों को लागू करने में हो रही देरी से आशा वर्करों की नाराजगी बढ़ रही है जिसको लेकर यूनियन ने आंदोलन की घोषणा की है। जाट धर्मशाला में यूनियन के सातवें द्विवार्षिक प्रतिनिधि सम्मेलन में बोलते हुए प्रदेश महासचिव सुनीता ने कहा कि प्रदेश की आशा वर्कर आगामी 20 मई को हड़ताल करके सरकार से मांगों के जल्द समाधान की मांग करेंगी।सीआईटीयू की प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा व यूनियन की महासचिव सुनीता तथा आंगनवाड़ी वर्कर एवं हैल्पर्स यूनियन की प्रदेश महासचिव उर्मिला रावत की देख रेख में संपन्न जिला कमेटी के सांगठनिक चुनावों में जगबती डागर को जिला प्रधान तथा सविता रावत को सचिव व पूजा अल्लिका को सर्वसम्मति से वित्त सचिव चुना गया।सम्मेलन में जिला कमेटी द्वारा तैयार की गई सांगठनिक व वित्त रिपोर्ट पेश की गई जिसे सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने कुछ संशोधनों के बाद सर्वसम्मति से पास कर दिया।सम्मेलन में सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव योगेश शर्मा,संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रूपराम तेवतिया व मैकेनिकल वर्कर यूनियन के नेता राकेश तंवर ने शामिल होकर सम्मेलन की सफलता की शुभकामनाएं दीं।सम्मेलन में राजन हथीन,राजबाला व अनिता को उपप्रधान तथा रोशनी,पपीता व बाला को आगामी दो वर्ष के लिए सर्वसम्मति से सहसचिव चुना गया। सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा व महासचिव सुनीता ने कहा कि भारत सरकार ने देश में मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर को कम करने तथा स्वास्थ्य की तमाम सुविधाएं जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया था जिसे देश व प्रदेश की आशा वर्करों ने सफलता पूर्वक पूरा करते हुए समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया।प्रदेश की आशा वर्कर आज छोटे डॉक्टर के रूप में काम करती है।स्वास्थ्य विभाग के ज्यादातर कार्य आशा वर्करों से ही कराए जाते हैं।आशा वर्कर के ऊपर कर्मचारी से भी ज्यादा काम का बोझ डाल दिया है जबकि मानदेय व सुविधाओं के लिहाज़ से मजदूर से भी बदतर स्थिति है।उन्होंने आरोप लगाया कि 73 दिन की सफल हड़ताल के बाद मुख्यमंत्री के साथ हुए समझौते को भी लागू नहीं किया गया है जिसके कारण प्रदेश की 20 हज़ार से ज्यादा आशा वर्करों में भारी नाराज़गी पैदा हो रही है ।बेतहाशा बढ़ रही महंगाई के कारण आशा वर्करों को परिवार का गुजारा करने के लिए भी भारी संघर्ष करना पड़ रहा है। यूनियन नेताओं ने कहा कि कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी के समय जब सभी लोग डर के कारण अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे उस कठिन समय के ऊपर भी प्रदेश की आशा वर्करों ने अपनी जान की परवाह किए बिना घर घर जाकर स्वास्थ्य सुविधाऐं पहुंचाने का काम किया था।इस बेहतरीन काम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की आशा वर्करों को ग्लोबल हैल्थ लीडर की उपाधि से नवाज़ा गया था।लेकिन दुर्भाग्य से सरकारों ने आशा वर्कर की आर्थिक स्थिति को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया उल्टा उनके साथ ग़ुलामों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों को आने वाले संघर्षों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।यूनियन नेताओं ने घोषणा की कि 12 अप्रैल को दिल्ली में आशा वर्करों की राष्ट्रीय कन्वैंशन आयोजित करके तमाम मांगों व मुद्दों पर व्यापक चर्चा की जाएगी तथा 23-26 मई को फरीदाबाद में आयोजित होने वाली सीआईटीयू की राष्ट्रीय परिषद में आशा वर्कर यूनियन के प्रतिनिधि आंदोलन पर चर्चा करेंगे।