2025-01-13 19:58:13
किशनगंज : देश के आर्थिक विकास के लिए जहां पूर्वोत्तर में इन्फ्रास्टक्चार का विकास तेजी से हो रहा है। वहीं दूसरी ओर भारतीय रेल पूर्वोत्तर के विकास में सीमांचल उदय सहायक बना रही है। वहीं दूसर और भारत-चीन की सीमा पर आसान पहुंच बनाने के लिए सामरिक संरचनाओं को तेजी से विकसित कर रही है। इसीक्रम में अररिया गलगलिया नई रेल लाइन के 107.12 किमी लंबे इस रेलखंड को दिसंबर 2025 तक शुरू हो जायेगी। इस परियोजना को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने वित्तीय बजट सत्र 2006-07 में मंजूरी दी थी। जबकि इस रेलखंड पर 12 रेलवे स्टेशन व हॉल्ट बनाए जाएंगे और जिसमें 7 किशनगंज व 5 अररिया जिले में बने हैं। डोकलाम के समय में जून 2017 में जब चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम शुरू किया तो भारतीय सैनिकों ने उसे रोक दिया था। उसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के साथ काफी दिनों तक तनातनी रही है। इसी दौरान बाढ़ के कारण दालकोला बारसोई रेलखंड के तेलता और सुधानी के बीच एक रेलवे पुल ध्वस्त हो गया था और करीब एक माह तक आवागमन बाधित रहा। इसी दौरान सेना की टुकड़ी भी चालबाज ड्रैगन को जवाब 110 किलोमीटर लंबा अररिया गलगलिया (ठाकुरगंज) नई लाइन परियोजना रणनीतिक रूप से चिकन नेक कॉरिडोर को मजबूत करने और एक वैकल्पिक रेल मार्ग प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति है। इस रेलखंड को अप्रैल 2024 तक ठाकुरगंज-पोवाखाली ब्लॉक सेक्शन सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अररिया और रहमतपुर को जोड़ने वाला 8 किलोमीटर लंबा वाई लेग कनेक्शन भी पूरा हो चुका है, जो परियोजना का एक प्रमुख मील का पत्थर है। यह परियोजना उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के इतिहास में पहली बार 260 आर पैनलों की फ्लैश बट वेल्डिंग को लागू किया गया है। यह अत्याधुनिक तकनीक रेल फ्रैक्चर को कम करती है और रखरखाव की जरूरतों की घटाती है। इसके अलावा, ट्रैक डिजाइन में गोंद जोड़ों ग्लूड जॉइंट्स) का उपयोग नहीं किया गया है, जिससे ट्रैक की मजबूती और विश्वसनीयता बढ़ी है। कोशिश की जारही है कि जल्द से जल्द काम पूरा हो और परिचालन शुरू हो लेकिप अभी कोई टेंटेटिव डेट नहीं दिया जा सकता अगर सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर 2025 या जनवारी 2026 में इस रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन हो सकता है।कपिंजल किशोर शर्मा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनएफ रेलवे गुवाहाटी ने बताया कि परियोजना अप्रैल 2024 तक बड़े पैमाने पर पूरा होने के लिए तैयार है, जो क्षेत्रीय रेल बुनियादी ढांचे के विकास में एक परिवर्तनकारी कदम है। वहाँ दूसरी ओर इस नई रेल परियोजना से क्षेत्र का विकास होगा और रोजगार के नए अवसर प्रदान हो सकता है। साथ ही पूर्वोत्तर को आने जाने वाले यात्रियों और मालवाहक ट्रेनों के लिए एक वैकल्पिक रेल मार्ग भी खुलेगा। दीर्घकालिक दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य आधुनिक तकनीकों को भी शामिल किया जा रहा है। परियोजना का सबसे बड़ा पुल अपने अंतिम निर्माण चरण में है। उम्मीद किया जाता है एक महीने में उक्त कार्य सम्पन्न हो जायेगा।