2022-11-16 11:07:03
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बिच मचे सियासी घमासान के में कांग्रेस नेता अजय माकन ने राजस्थान प्रभारी का पद छोड़ दिया है. माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखकर अब राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम करने से मना कर दिया है. उन्होंने 8 नवंबर को एक बार फिर खड़गे को चिट्ठी लिखकर मौजूदा सियासी हालात में दूसरा प्रभारी खोजने की अपील की है. इस चिट्ठी के बाद अब माना जा रहा है कि माकन राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम नहीं करेंगे. माकन पहले ही बाकी पदाधिकारियों के साथ इस्तीफा दे चुके हैं.
अजय माकन बोले नया प्रभारी नियुक्त किया जाना जरूरी है
अजय माकन ने चिट्ठी में 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों की बगावत और उस पर एक्शन नहीं होने का मुद्दा उठाया है. उन्होंने लिखा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान आ रही है. 4 दिसंबर को उपचुनाव हो रहे हैं. ऐसे में राजस्थान का नया प्रभारी नियुक्त किया जाना जरूरी है. भारत जोड़ो यात्रा और उपचुनाव से पहले प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ना कांग्रेस की खींचतान में नया चैप्टर माना जा रहा है.सूत्रों ने कहा कि अजय माकन को उम्मीद थी कि पार्टी बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इससे उनके कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी का पद छोड़ने के फैसले में योगदान दिया. 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में मौजूदा अध्यक्ष खरगे के साथ अजय माकन पर्यवेक्षक बनकर जयपुर आए थे. गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था. इसके बाद खरगे ओर माकन ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी को रिपोर्ट दी थी.
बैठक का बहिस्कार
इस रिपोर्ट के आधार पर ही मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस जारी किए गए थे. तीनों नेताओं ने जवाब भी दे दिया, लेकिन अब मामला ठंडे हो गया है. तीनों नेताओं को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके धारीवाल के घर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार माना गया था. अजय माकन की चिट्ठी में 25 सितंबर के सियासी बवाल का जिक्र करते हुए अब तक कार्रवाई नहीं होने की तरफ इशारा किया है.
अजय माकन का इस्तीफा सचिन पायलट द्वारा राजस्थान में राजनीतिक अनिश्चितता को समाप्त करने के लिए मीटिंग बुलाए जाने के दो सप्ताह बाद आया है.Sachin Pilot ने 2 नवंबर को कहा था, अब राजस्थान में अनिर्णय के माहौल को समाप्त करने का समय आ गया है. गहलोत के प्रति वफादार विधायकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.