नसीबपुर के शहीदों का अपमान नहीं सहेगा अहीरवाल डॉ टीसी राव

शहीद स्मारक निर्माण को लेकर उठी मांग
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2025-03-28 23:27:01

रेवाड़ी। पहली स्वतंत्रता क्रांति में सबसे बड़ा बलिदान देने वाले गांव नसीबपुर के शहीदों की स्मृति में घोषित भव्य शहीद स्मारक का कार्य अब तक लंबित है, जिससे अहीरवाल क्षेत्र के लोग आहत हैं। राष्ट्रीय शहीद परिवार कल्याण फाउंडेशन के संयोजक मेजर डॉ. टी.सी. राव ने सरकार से आग्रह किया है कि इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण कार्य अविलंब शुरू किया जाए। मेजर डॉ. राव ने सवाल उठाया कि जब सरकार गुरुग्राम में रेजांग ला युद्ध स्मारक बना सकती है, तो नसीबपुर में शहीदों का स्मारक क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकारी खर्च पर रेजांग ला युद्ध स्मारक का निर्माण करवाया था, तो नसीबपुर के लिए भी सरकार को अपनी प्रतिबद्धता निभानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने स्वयं वर्ष 2016 में नसीबपुर में इस स्मारक की आधारशिला रखी थी, जिसमें 1857 के संग्राम में शहीद हुए 5000 से अधिक वीरों को श्रद्धांजलि देने की योजना थी। तब सरकार ने नसीबपुर और अंबाला कैंट में दो शहीद स्मारकों के निर्माण की घोषणा की थी। अब सरकार का यह कहना कि राज्य में एक जैसे दो स्मारक नहीं बनाए जा सकते न केवल ऐतिहासिक तथ्यों की अनदेखी है, बल्कि शहीदों के सम्मान का सीधा अपमान है। नसीबपुर, नारनौल के निकट स्थित एक ऐतिहासिक गांव, स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा है। वर्ष 1857 में राजा राव तुलाराम और राजा कृष्ण गोपाल के नेतृत्व में अहीरवाल के वीरों ने इस भूमि पर अंग्रेजों के खिलाफ भीषण युद्ध लड़ा था। अंग्रेजों ने स्वयं इस युद्ध को सबसे कठिन संघर्षों में से एक माना था। इतिहासकार बताते हैं कि इस युद्ध में इतना रक्त बहा कि नसीबपुर की धरती लाल हो गई थी। इस गौरवगाथा को स्मरण करते हुए, वर्ष 1957 में स्वतंत्रता संग्राम की शताब्दी पर संयुक्त पंजाब सरकार ने नसीबपुर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया था। मेजर डॉ. टी.सी. राव ने कहा, नसीबपुर का शहीद स्मारक सिर्फ एक ईमारत नहीं, बल्कि देशभक्ति, त्याग और बलिदान का प्रतीक है। इसका निर्माण रुकवाना शहीदों के सपनों और संघर्षों का निरादर है। अहीरवाल के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार को चाहिए कि वह राजनीति से ऊपर उठकर, इस राष्ट्रीय धरोहर को संरक्षित और सम्मानित करे। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि जो स्मारक पहले से प्रस्तावित था, उसे शीघ्र शुरू किया जाए और शहीदों की वीरता को सहेजने का कार्य पूर्ण ईमानदारी से किया जाए।

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