2025-03-06 22:14:47
रेवाड़ी । विधायक लक्ष्मण सिंह यादव की चेयरमैनी में गठित राज्य गीत चयन समिति के करीब सवा साल के कड़े परिश्रम व गहन मंथन के उपरांत हरियाणा के राज्य गीत को अंतिम रूप प्रदान कर दिया गया। राज्य गीत चयन समिति की गुरुवार को हुई बैठक में हरियाणा को अपना राज्य गीत मिल गया। रेवाड़ी विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने बताया कि हरियाणा की 15वीं विधानसभा सत्र के दौरान 19 नवंबर 2024 को संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा ने सदन में राज्यगीत प्रस्तुत किया था। गीत सुनने के उपरांत इसमें सुधार के लिए हरियाणा राज्य गीत चयन समिति के गठन पर सहमति बनी थी। 28 नवंबर 204 को गठित हुई इस कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई। प्रदेश गीत को बेहतरीन बनाने के लिए 17 दिसंबर 2024, 15 जनवरी 2025, 13 फरवरी 2025, 25 फरवरी को समिति की बैठकों का दौर चला। बैठकों में कैलाश खेर द्वारा गाए व संगीतबद्ध गीत को सुना गया व इसकी संपूर्ण यात्रा पर चर्चा की गई। इसके उपरांत आगामी बैठकों में संगीत विशेषज्ञ को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया। रेवाड़ी विधायक ने बताया कि 13 फरवरी को हरियाणा विधानसभा सचिवालय में हुई बैठक के दौरान राज्यगीत के संगीतबद्ध किए गए पांच नए प्रारुपों के साथ-साथ यूपी के राज्यगीत को भी सुना गया। बैठक में सर्वसम्मति से श्याम शर्मा द्वारा गाए गए गीत का चयन किया गया। 25 फरवरी को हुई बैठक में विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण व लोक कलाकार पदमश्री महावीर सिंह गुड्डु की मौजूदगी में आयोजित बैठक में डा. श्याम शर्मा द्वारा गाए, पारस चोपड़ा द्वारा संगीतबद्ध व सुश्री मालविका पंडित द्वारा निर्देशित तीन मिनट के गीत को सुना। जिसकी सभी ने सराहना की। रेवाड़ी विधायक व समिति चेयरमैन लक्ष्मण सिंह यादव ने बताया कि गुरुवार को हुई समिति की बैठक में सभी सदस्यों व वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में गीत की वस्तुवस्तु पर अंतिम निर्णय लेते हुए फाइनल कर दिया गया। उन्होंने बताया कि यह गीत जहां प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संबल प्रदान करेगा, वहीं प्रदेश के करण-कण में व्याप्त राष्ट्र गौरव के भाव को भी पुष्ट करेगा। राज्य गीत में प्रदेश की उत्सवधर्मी संस्कृति और हरियाणावासियों की सादगी जैसी मूल विशेषताओं को इंगित किया गया है। इसमें प्रदेश के आपसी भाईचारे, शिक्षा व व्यापार का भी विशेष वर्णन किया गया है। इसमें प्रदेश का गौरव बढ़ाते किसानों,वीर सैनिकों और खिलाडिय़ों के योगदान को भी विशेष रूप से रेखांकित किया गया है।