2025-04-06 19:28:54
रेवाड़ी। भारतीय वायुसेना के वीर योद्धा फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। वह जगुआर लड़ाकू विमान में गश्त पर थे, जब तकनीकी खराबी के कारण विमान असंतुलित हो गया और दुर्घटनाग्रस्त होने की कगार पर पहुंच गया। यह घटना अत्यंत घनी आबादी वाले क्षेत्र से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर हुई। जहाँ एक पायलट समय रहते सुरक्षित बाहर निकलकर अपनी जान बचा सके, वहीं फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव ने अपनी जान की परवाह किए बिना विमान को रिहायशी इलाके से दूर ले जाने का साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने अमूल्य समय को खुद के बचाव में न लगाकर विमान को सुरक्षित दिशा में मोड़ने में लगाया, जिससे सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सकी। यह उनके अदम्य साहस, मानवता और भारतीय वायुसेना की सर्वोच्च परंपरा का प्रतीक है। शहीद सिद्धार्थ यादव का परिवार अहीरवाल क्षेत्र से है। उनके दादा सुबेदार रहे हैं, उनके पिता मास्टर वारंट ऑफिसर के रूप में भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त हुए हैं। यह परिवार तीन पीढ़ियों से राष्ट्रसेवा में समर्पित रहा है। शहीद परिवार कल्याण फाउंडेशन के संयोजक मेजर डॉ. टी. सी. राव तथा अन्य सदस्यों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। शहीद फाउंडेशन के सदस्यों ने कहा कि हम सभी सैन्य वेटरन्स, देशभक्त नागरिक, एवं ‘शहीद सिद्धार्थ यादव’ के परिजनों के साथ मिलकर भारत सरकार से मांग करते हैं कि उन्हें मरणोपरांत “अशोक चक्र” से सम्मानित किया जाए, जिससे उनके अमर बलिदान को यथोचित मान्यता मिल सके और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा प्राप्त हो। माजरा भालखी में बनने वाले AIIMS के ओपीडी विभाग को शहीद फ्लाईट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव के नाम पर किया जाए तथा रेवाड़ी नारनौल से गांव तक जाने वाली सड़क का नाम भी उनके नाम पर किया जाए। इसके साथ ही रेवाड़ी बाईपास पर गढी बोलनी रोड पर जो चौराहा पड़ता है उसका नामकरण शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव के नाम पर किया जाए जिससे उनके अमर बलिदान को यथोचित मान्यता मिल सके और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा प्राप्त हो।