2025-03-13 15:50:05
नगीना।अंजुमन हुसुले अदब की ओर से एक तरहई निशस्त का आयोजन नगर के मुहल्ला शाहजहिर स्थित जावेद अहमद के निवास स्थान पर उमरदीन सहर की सदारत व मुहम्मद शाहिद की निजामत में किया गया।आगाज़ में शकील आदिल ने बारगाहे रिसालत में नाते पाक का नजराना पेश किया।`दर्द सीने में जो होठों पर हंसी रखते हैं’।इस तरहई मिसरे पर आयोजित नशिस्त में मुहम्मद असलम ने कहा_ज़िस्त में अपनी सुकू वो भी नहीं पाएंगे/अपने मां-बाप को जो लोग दुखी रखते है।इनाम मजीद शाद ने कहा_ उनके आने की खबर जब से मिली है यारों/घर ही क्या अपनी गली तब से सजी रखते है। मास्टर शादाब ने कहा_लोग ऐसे भी होते हैं।फटे हालों में जर नहीं रखते मगर बात बड़ी रखते है!मुहम्मद अशरफ बिजनौरी ने कहा_ जान भी अपनी हथेली पर वो ही रखते है/खौफ जो मौत का दिल में ना कभी रखते है।मुहम्मद शाहिद ने कहा_कोई जरदार हो मुफलिस हो के लाचार कोई/अपनी इज्जत तो जमाने में सभी रखते है।मुहम्मद यासीन रहबर ने कहा_अपनी औलाद की खिदमत से रहेगे महरूम/वह जो मां-बाप की खिदमत में कमी रखते है।मौलवी इकरार अहमद साहिल मेवानवादी ने कहा_देखती हैं। उन्हें इज्जत की नजर से दुनिया/राह चलते हुए आंखें जो झुकी रखते है।शकील अहमद आदिल ने कहा_वादा करके भी जो आते नहीं हम उनके लिए/राह में उनकी निगाहों को बिछी रखते है।उमरदीन सहर ने कहा_वो भी इंसान है। दुनिया में जो गुरबत के सबब/सैकडो ख्वाहिशें से सीने में दबी रखते है।देर रात तक चली निशस्त में शायरों ने जमकर वाह वाही लूटी। अगले मांह_हमारा कारवां गुजरा जहां से,!इस मिसरे पर निशस्त का आयोजन किया जाएगा।इस मौके पर मुहम्मद यूनुस, नफीस ठेकेदार, इकबाल अहमद, हसनैन,गुड्डू, वजाहत,विरासत अली,अब्दुल समी, लड्डन,विसाल अहमद, बब्बू आदि लोगों की मौजूदगी रही