2025-03-10 16:26:08
रेवाड़ी। विश्व शांति एवं जन कल्याण को लेकर घर-घर यज्ञ हर घर यज्ञ अभियान के तहत देश भर में भ्रमण पर निकले जगतगुरु त्रिपुरा पीठाधीश्वर चक्रवर्ती यज्ञ सम्राट एवं सनातन धर्म प्रचारक श्री श्री 1008 श्री हरि ओम जी महाराज ने रविवार को रेवाड़ी में नारनौल रोड स्थित सनग्लो इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित 11 कुंडीय यज्ञ हवन समारोह में पहुंचे।इस मौके पर उपस्थित लोगों को आमंत्रित करते हुए कहा कि 18 मार्च से 27 मार्च तक कुरुक्षेत्र में आयोजित 1008 कुंडिय जनकल्याण शिव शक्ति महायज्ञ में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर हवन यज्ञ में शामिल होकर जीवन को सफल बनाएं। यज्ञ सम्राट एवं सनातन धर्म प्रचारक हरिओम जी महाराज ने कहा कि देश में अगर प्रदूषण इसी प्रकार बढ़ता रहा तो योग और मेडिटेशन और मेडिसिन एक दिन सब कुछ फेल हो जाएगा। योग से बढ़कर यज्ञ है यज्ञ से पर्यावरण शुद्ध होता है जिसका लाभ हर जीव को मिलता है। इसलिए वह देश के 24 राज्यों में 108 यज्ञ करने का संकल्प लेकर भारत के भ्रमण पर निकले हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा देश ऋषि मुनियों का देश है तथा गीता में यज्ञ को कर्म बताया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि हरिद्वार के जल गया कैथल कुरुक्षेत्र धाम के जल नभ तीनों में मोक्ष है वह पत्र लेने से मुक्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता में यज्ञ को कर्मयोग का पर्याय माना गया है. गीता के मुताबिक, यज्ञ को जीवनदर्शन माना गया है और यह कर्म करने की शुभ प्रेरणा है. यज्ञ से जुड़ी कुछ खास बातेंः गीता में यज्ञ को आत्म शुद्धि की प्रक्रिया माना गया है. यज्ञ से जुड़े कर्मों को कर्तव्यकर्म माना गया है. यज्ञ से जुड़े कर्मों को करने से मनीषियों का पवित्र होना होता है. यज्ञ से जुड़े कर्मों से धन, सौभाग्य, वैभव, दीर्घायु, यश, कीर्ति, और अनेक अलौकिक शक्तियां मिलती हैं. यज्ञ से आस-पास के वातावरण का शोधन होता है, जिससे कई बीमारियां ठीक होती हैं. यज्ञ में चेतना निम्न स्वभाव से उच्चतर रूपों की ओर बढ़ती है. यज्ञ में आत्मिक प्रगति के साथ-साथ राष्ट्र की प्रगति भी होती है. गीता में यज्ञ के बारे में कुछ और बातेंः गीता के तीसरे अध्याय में यज्ञ की वैदिक रीति के बारे में बताया गया है. गीता के चौथे अध्याय में यज्ञ के 13 प्रकार बताए गए हैं. गीता में यज्ञ के कई अर्थ बताए गए हैं, जैसे कि दान, संगतिकरण, और देवपूजन, यज्ञ, दान, और तप को श्रेष्ठ मनुष्यों को पवित्र करने वाला माना जाता है. दान करने से पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और दान का फल कई जन्मों तक मिलता है. दान करने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं. दान करने का मन में पश्चाताप या अश्रद्धा होने पर वह दान नष्ट हो जाता है. दान में दी हुई वस्तु के बदले में किसी प्रकार का विनिमय नहीं होना चाहिए, दान करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व बेहतर होता है. दान करने से समाज में सुख-शांति और समृद्धि आती है. उन्होंने यह भी बताया कि उनके द्वारा पिछले कुछ वर्षों से 17 सितंबर यज्ञ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इस दिन पूज्य गुरुदेव से जुड़े शिष्य समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति यज्ञ प्रेमी पर्यावरण शुद्धि के लिए अपने-अपने घर यज्ञ करते हैं। भारत के 24 प्रांतों में जाकर यज्ञ कर चुके हैं, सभी 24 प्रांतों में गुरुदेव के शिष्य 17 सितंबर को यज्ञ दिवस के रूप में मनाते हैं। और हर वर्ष 17 सितंबर को विश्व यज्ञ दिवस के रूप में बनाए जाने की अपील करते हैं। इस मौके पर सनग्लो इंटरनेशनल स्कूल में हवन यज्ञ के साथ भंडारे का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर अनेक गणमान्य लोगों एवं स्कूल स्टाफ तथा साधु संत कार्यक्रम में शामिल हुए। स्कूल संचालक पूर्व अध्यक्ष वी पी यादव तथा उनकी पत्नी शारदा यादव सहित अनेक जोड़ों ने यज्ञ में शामिल होकर हवन में आहुति देकर साधु संतों का आशीर्वाद लिया।