धर्म और जातिआधारित सोच अलोकतांत्रिक

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं।
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2025-04-25 22:27:38

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान में भारत के समस्त जातियों, धर्मो , सम्प्रदायों , वर्गों समुदायों के लोगों का पूरा ध्यान रखा गया है।उन सभी के संरक्षण की उनके सर्वांगीण विकास की बात की गई है। भारतीय संविधान में सभी नागरिकों के लिए छह मौलिक अधिकार और ग्यारह मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं। अपराध खत्म करने और अपराधियों को सजा देने की पूरी व्यवस्था की गई है। दुर्भाग्यवश जबसे देश में संविधान लागू हुआ है, सरकार तो बदली गई। कार्य करने वाले व्यक्ति बदलते गए किंतु भारत में पूर्ववर्ती जातिवादी,धर्मादवादी, और निम्न स्तरीय सोच नहीं बदली, इसलिए भारत में जाति के नाम पर,धर्म के नाम पर आए दिन बड़े बड़े अपराध अत्याचार होते रहते हैं जो पूरी तरह संविधान अलोकतांत्रिक मूल्यों के पूरी तरह खिलाफ है। भारतीय संविधान के निर्माण के समय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि, यह संविधान दुनिया का सबसे श्रेष्ठ संविधान है यदि इसे चलने वाले श्रेष्ठ सोच के होंगे तो यह अच्छा साबित होगा और चलने वाले लोगों की सोच गलत होगी तब यह संविधान गलत साबित होगा। जब से राजनीति का अपराधीकरण हुआ है, अर्थात राजनीति का अपराधीकरण हुआ है और भारतीय राजनीति में धर्म और जाति के नाम पर राजनीति की जाती रही है तबसे देश में अपराध और अपराधी बेलगाम हो गये हैं। बेखोफ हो करके लोग अपराध करते हैं पैसे वाले या राजनीतिक पहुंच वाले तो अपराधी खुलेआम समाज में घूमते हैं और कमजोर बेकसूर लोगों की जिंदगी सलाखों के पीछे ही बीत जाती है। भारत में किसी भी प्रकार के अपराधों का बढ़ना राजनीतिज्ञों और समाज की सोचकर परिणाम है । जब तक समाज में लोगों की सोच नहीं बदलेगी , राजनीति में अपराधीकरण नहीं रुकेगा जब तक जब तक राजनीति में जाट और धर्म का वर्चस्व काम नहीं होगा तब तक अपराधों पर लगाम लगाना असंभव है मेरा देशवासियों से अनुरोध है कि वह सबसे पहले समाज की जातिवादी धमैंद सोच को बदलें जब वोट डालने का अवसर आए तो धर्म या जाति के नाम से इतर होकर वोट डालें व्यक्ति और उसके व्यवहार को देखकर वोट दें न कि जाति और पार्टी को देखकर । यदि ऐसा कर दिया तो देश से सभी प्रकार के अपराधों का अंत हो जाएगा। अपराधीकरण का भी अंत होगा । ऐसा नहीं कि अपराध रुकेंगे नहीं जरूर रखेंगे इसके लिए सरकार से ज्यादा समाज को आगे आना होगा पहले समाज अपनी सोच बदले सकारात्मक सोच उत्पन्न करनी होगी।जाति विहीन सोच उत्पन्न करें समाज में भाईचारा बढ़ाएं यदि ऐसा कर पाए तो न केवल समाज से और देश से अपराध खत्म होगा बल्कि अपराध करने वाले भी ध्वस्त हो जाएंगे। मैं ही क्या सभी वे लोग जो लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं वे सभी किसी भी प्रकार के अपराध की कठोर शब्दों में निन्दा करते हैं। भारत के समस्त सकारात्मक सोच रखने वाले लोग पहलगांव कश्मीर में धर्म पूछकर गोली मार दी गई की घोर विरोध और निन्दा करते हैं। भारत में समस्त धर्म, जाति, वर्ग या समुदायों को पूछकर या इनके नाम पर होने वाले अपराधों की कड़ी निन्दा करते हैं। यदि भारत के समस्त देशवासियों को समाज और देश से अपराध, अत्याचार और शोषण से मुक्ति प्राप्त करनी है तो भारत के समस्त नागरिकों को सकारात्मक, जातिविहीन और समतामूलक सोच उत्पन्न करनी होगी। फिर देश में यदि कहीं भी निम्नलिखित प्रकार की घटनाएं घटित होगी जैस- 1- जाति पूछ कर गोली मार दी जाति हैं। 2- जाति पूछकर ही बारात पीट दी जाति हैं। 3-जाति पूछकर ही रैप कर दिया जाता है। 4-जाति पूछकर ही सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है। 5-जाति पूछकर ही दाखिले किए जाते है। 6-जाति पूछकर ही इंटरव्यू में बाहर कर दिए जाते है। 7-जाति पूछकर ही खटिया पर बैठने दिया जाता है। 8-जाति पूछकर ही घोड़ी से उतारकर मार दिया जाता है। 9-जाति पूछकर ही अन्याय किया जाता है। 10-जाति पूछकर ही न्याय किया जाता है। 11-जाति पूछकर ही प्रमोशन ओर डिमोशन होते है। 12- जाति पूछकर ही पुलिस स्टेशनों में धाराएं बढ़ा दी या घटा दी जाती है। 13-जाति पूछकर ही राजनीति चमकाई जाती है। 14- जातीय शोषण पूछकर ही जहां बयान दिए और लिखे जाते हैं। 15- जाति पूछकर ही न्यायालय में फैसले पलट दिए जाते हैं। 16-जाति पूछकर ही पड़ोस में मकान नहीं खरीदने दिए जाते हैं। 17- जाति पूछते ही तय हो जाता है उसे जानवर समझें या इंसान। 18- जाति पूछकर ही पानी पिलाया या नहीं पिलाया जाता है। 19-जाति पूछकर ही मंदिर में आने दिया या नहीं आने दिया जाता है। 20- जाति, राजनीति दल या धर्म देखकर ही मीडिया तय करती हैं मुद्दा उठाएं या दबाएं 21- जाति या धर्म पूछकर ही मकान तुड़वा दिए जाते है या नहीं तोड़ा जाता है। 22-जाति पूछकर ही जमीनों पर कब्जे कर लिए जाते हैं। 23-जाति पूछकर ही नक्सली घोषित कर मरवा दिए जाते हैं । 24-जाति पूछकर ही वोट लिए जाते है दिए जाते है। 25-यहां तक कि मर जाने के बाद भी जाति पूछकर अंतिम संस्कार नहीं होने दिए जाते हैं। इत्यादि ऐसी प्रतिदिन हजारों घटनाऐं घटित होती हैं जो दिल झकझोर जाती हैं। ऐसी समस्त घटनाऐं जो अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और यह वो आतंक है जहां एक जाति दूसरी जाति पर हर दिन, हर घड़ी, हर गली मोहल्ले में पूरे देश में हजारों लाखों घटनाएं घटित होती हैं जो दुःखद और निन्दनीय है। आज समय आ गया है कि सरकार राज्यों की और केंद्र सरकार सबको मिलकर एक स्वर से जनता को विश्वास में लेकर ठोस और कठोर कदम उठाए। असंवैधानिक, औअलोकतांत्रिक कार्य करने हर हेवान अमानव को कठोर से कठोर सजा और जघन्य अपराध करने वालों को मौत की सजा भी दी जाये तो शायद भविष्य में अपराधों पर लगाम लायी जा सकती है। आज आवश्यकता है सरकार, समाज और समाज में रहने वाले हर नागरिक में अपराध, अत्याचार और आतंकवाद जैसी घटनाओं की समाप्ति के प्रति सकारात्मक सोच उत्पन्न करें। अत्याचारी,अपराधी, आतंकवादी, या व्यभिचारी को संविधान के दायरे में रहकर सजा दिलवायें। अपराधी, अत्याचारी या आतंकवादी चाहे भारत का हो या विदेशी उसके साथ केवल समानता के दायरे में रहकर ही सजा दी जाए, अपराधी, अत्याचारी या आतंकवादी सिर्फ आतंकवादी है उसके साथ कोई रिश्ता न निभाएं चाहे अपराध करने वाला किसी खास रशूकदार घर का हो या किसी राजनीतिक दल या पार्टी या धर्माधिकारी हो जब सभी के साथ एक जैसे कुकृत्य के लिए एक जैसी सजा दी जाने लगेगी तब ही देश से अपराध, अत्याचार, नक्सलवाद या आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है। अपराधी अपराधी होता है फिर चाहे बड़े घराने का हो या छोटे घर का अपराधी त शिर्फ अपराधी होता है। यह यह सोच जब सरकार और समाज के अंदर आ जाएगी तो अपराध अत्याचार आतंकवाद इलाहाबाद नक्सलवाद जैसी समस्याएं सता रही खत्म हो जाएंगे और बढ़ते राजनीतिक अपराधीकरण पर भी रोक लग पाएगी। तब सही महीना में सामाजिक और संवैधानिक लोकतंत्र स्थापित होगा । लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का सही रूप से विकास होगा और भारत विश्व में चरम पर होगा। लेखक सत्य प्रकाश ( प्राचार्य ) डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़

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