हेलमेट–ज़िंदगी की हिफ़ाज़त का सबसे आसान तरीका

हम सबकी ज़िंदगी अनमोल है
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2025-04-11 23:29:28

हम सबकी ज़िंदगी अनमोल है। घर में हमारे इंतज़ार में मां-बाप, बच्चे, भाई-बहन और जीवनसाथी होते हैं। एक छोटी सी लापरवाही, एक पल की जल्दबाज़ी, कई बार पूरी ज़िंदगी को बदल देती है। और इस लापरवाही का सबसे आम रूप है– बिना हेलमेट के बाइक या स्कूटर चलाना। हेलमेट सिर्फ एक कानून नहीं, एक ज़रूरत है। ये सिर्फ एक सुरक्षा उपकरण नहीं, बल्कि आपके अपनों की उम्मीद है कि आप सुरक्षित लौटेंगे। जब हम हेलमेट पहनते हैं, तो हम ये भरोसा जताते हैं कि हमें अपनी ज़िंदगी से प्यार है, और उन लोगों से भी जो हमारी ज़िंदगी का हिस्सा हैं।कभी सोचा है – अगर एक हादसे में सिर्फ हेलमेट ही आपको बचा सकता है, तो क्या वो सिर पर बोझ लगता है? नहीं, वो तो एक ढाल है, जो आपके हर सफर में आपके साथ है। कई बार देखा गया है कि लोग छोटे सफर में या पास की दुकान तक जाते हुए हेलमेट पहनना जरूरी नहीं समझते। लेकिन हादसे न दूरी देखकर होते हैं, न समय देखकर। वे अचानक आते हैं, और कई बार मौका भी नहीं देते संभलने का। इसलिए अगली बार जब भी आप बाइक या स्कूटर पर बैठें, खुद से एक सवाल ज़रूर करें — “क्या मैं अपनों के लिए सुरक्षित लौटना चाहता हूं?” और जवाब अगर हां है, तो हेलमेट ज़रूर पहनें। याद रखें –हेलमेट कोई बोझ नहीं, बल्कि आपकी ज़िंदगी का साथी है। सेफ्टी फैशन नहीं, समझदारी है। अपनी हिफाज़त को आदत बनाइए – हेलमेट हमेशा पहनिए।आपका एक छोटा सा कदम, आपको और आपके पूरे परिवार को सुकून दे सकता है। चलिए, एक जिम्मेदार नागरिक बनें, और दूसरों को भी प्रेरित करें। हेलमेट पहनिए –घर सुरक्षित लौटिए।

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