2025-04-14 18:36:16
जुल्म सहेगी ना अब नारी। मत समझो इसको बेचारी।। घर बाहर वह कभी न हारी। हर बाधा पर पड़ती भारी।। देश का अभिमान बढ़ायें। क्यों समुचित सम्मान न पायें।। भ्रात, तात से कुछ ना मांगे। हंस करके सारे सुख त्यागें।। पति से कहती कर आभास। हर पल सुखद तेरा विश्वास।। सफल तभी वह परिवार हुआ। जब घर नारी सत्कार हुआ।। निर्जन को घर-महल बनाती। हर मुश्किल का हल बन जाती।। भक्ति, शक्ति श्रृंगार हैं नारी। मत समझो इसको बेचारी।। •• राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका फतेहपुर (उ.प्र.)