सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ती महिलाएं

कई दिनों से जो भी मिलता है एक ही प्रश्न करता है तुम गई कुंभ में नहीं., जाना चाहिए था
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2025-03-06 22:24:53

कई दिनों से जो भी मिलता है एक ही प्रश्न करता है तुम गई कुंभ में नहीं., जाना चाहिए था.... हां जाना चाहिए तीन नदियों का संगम गंगा, यमुना ,सरस्वती तीनों माताएं कैसे करोडों लोगों के पापों का नाश कर रही हैं। ऊर्जा प्रदान कर रही है। उन्हें खुशी उत्साह महसूस करा रही हैं। 45 दिनों तक चले महोत्सव में इन्हीं तीन नदियों ने लोगों को संभाले रखा। वैसे ,नारी ही गलतियों को माफ करती है चाहे वह नदी के रूप में हो या मां बहन बेटी के रूप में..,! समर्पण, त्याग, सहनशीलता उसके आंतरिक गुण है। इसलिए तो ईश्वर ने तीनों प्रमुख क्षेत्र धन शिक्षा शक्ति महिलाओं को ही प्रदान किए हैं ।फिर वह लक्ष्मी माता ,सरस्वती माता या दुर्गा देवी के रूप में हो महिलाएं मल्टी टास्क कर सकती हैं और आज हर महिला कर रही है। महिला घर समाज देश को अच्छी तरह संभाल सकती हैं । खुद के सपनों इच्छाओं का त्याग कर वे बच्चों को समय व संस्कार दे रही हैं। जो आज के युग की एक बहुत बड़ी चुनौती है। इतनी असीम शक्ति,गुणों के बावजूद हमारा शोषण हो रहा है अधिकारों से, शिक्षा से वंचित किया जा रहा है , कारण गलत सोच व कुछ कुप्रथाएं है। इसलिए महिला दिवस की थीम इस साल महिला सशक्तिकरण है । सशक्तिकरण का अर्थ किसी व्यक्ति संगठन की शक्ति में सुधार करना है। सशक्तिकरण स -सब शक्ति - ताकत कारण -करना ,जगाना पुनः शक्ति को जागृत करना सशक्तिकरण है। प्रधानमंत्री की कई योजना है जो महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं। सुरक्षित मातृत्व, सिलाई प्रशिक्षण, उज्ज्वला योजना ,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला शक्ति केंद्र ,वोकल फॉर लोकल जैसे योजनाएं बड़े स्तर पर चल रही हैं जैसे मिट्टी के बर्तन, दिए ,गोबर से पूजन सामग्री, दोना पत्तल बनाना जैसे कई कार्य सिखाए भी जाते हैं। इन्हीं घरेलू उत्पादों से देश को 17 से 18% योगदान महिलाएं देती है और शहरी और व्यावसायिक महिलाओं की बात करते हैं तो स्टार्टअप मामले में दुनिया में तीसरे बड़े इकोसिस्टम में 10% नेत्तृत्व महिला संस्थापकों ने किया है। शिक्षा व आजादी के चलते कई बड़े परिवर्तन हुए हैं जिसमें महिला खुद को,नौकरी को व बच्चों की उच्च शिक्षा को महत्व देने लगी है ।आज हर शहर में पार्लर, टेलर, आर्ट क्लासेस, ट्यूशन ,योगा सेंटर चला कर महिला परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं। मेडिकल व शिक्षा के क्षेत्र में मोर्चा महिलाओं ने ही संभाल रखा है कहना गलत नहीं होगा। हमने कोविड के समय में भी देखा कि महिलाएं घर के छोटे छोटे कामों से लेकर वैक्सिन बनाने में भी सहयोगी रही। भारतीय महिला ऊर्जा से भरपूर दूरदर्शिता, जीवन उत्साह व प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है ।भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी है बल्कि इस रोशनी की लौ भी हैं। अनादि काल से महिलाएं मानवता की प्रेरणा स्रोत रही है।कहते हैं जब एक आदमी शिक्षित होता है तो केवल एक आदमी शिक्षित होता है मगर जब एक नारी शिक्षित होती है तो एक पीढ़ी शिक्षित होती है । आज महिलाएं हर क्षेत्र मे तो है मगर आरक्षण के बावजूद राजनीति में महिलाएं कम है हालांकि कुछ वर्षों से संख्या बढ़ी है और कुछ दिन पूर्व ही चुनाव के नतीजे आए जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता बनी व मेरे अपने शहर बिलासपुर में मेयर पूजा विधानी व कई महिलाएं पार्षद बनीं। यह अच्छा संकेत है कि महिला राजनीति में आ रही है। पद में रहकर काम सरलता से किया जा सकता है। महिलाओं ने धरती से लेकर आकाश तक परचम लहरा लिया। चांद में पहुंच गई मगर आज भी कुछ चुनौतियां हैं हर महिला के लिए जिसे हम खुद के विश्वास त्याग और नैतिक शिक्षा के द्वारा ही सुधार कर सकते हैं। एक महिला चाहे वह मां, बहन, बेटी,सास,भाभी रूप में अगर दूसरी महिला का साथ दे और उसे आगे बढ़ाऐ व परिवार का हर सदस्य मानसिक रूप से भी उसे संबल प्रदान करे तो समाज बहुत गति से आगे बढ़ सकता है । मैने देखा है ब्रह्माकुमारीज संस्था मात्र एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था है जहां पर बहने माताएं ही प्रशासिका के रूप में पूरा कार्य संभालती हैं। लोग मानसिक रूप से वहां जाकर मजबूत होते हैं आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हैं। समाज देश में संस्थाएं बड़े स्तर पर सहयोग दे रही हैं ।यह एक तमाचा उन लोगों के लिए जो कहते हैं महिला महिलाओं की दुश्मन है मगर संस्था आज हर शहर ,हर राज्य, देश ,विदेश तक बेहतरीन संचालन कर रही है। इसे यह महिला एकता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण मानती हूं। अगर हम चुनौतियों की बातें करें तो बड़ी चुनौती है। भ्रूण हत्या ,दहेज, यौन प्रताड़ना ,घरेलू हिंसा ,पौष्टिक भोजन व चिकित्सा सुविधाओं का अभाव ,अधिकारों से वंचित रखना मगर इन सभी समस्याओं का समाधान संभव है शिक्षा, आध्यात्मिकता,आत्म विश्वास के द्वारा। हमारे आसपास या हमारे साथ कभी कुछ गलत हो तो उसका विरोध करें। गलत चीज को सहना भी गलत को बढ़ावा देना है। साथ ही हमेशा अपने कानून की जानकारी व अधिकारों की जानकारी रखें पाश्चात्य संस्कृति व दिखावे की होड़ में हम पथभ्रष्ट हो गए हैं इसलिए जरूरी है कि युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोडें, नशे से दूर रखें। हम साल में दो बार नवरात्रि मनाते हैं ताकि महिलाएं अपनी शक्ति को जान सके फिर हर भगवान के नाम के पहले स्त्री का नाम आता है राधा कृष्ण, सीताराम यह दर्शाता है कि स्त्री प्रथम है और रहेगी। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ महिला दिवस की बहुत-बहुत बधाई कुछ पंक्तियां--- *बिना गौरी की मूरत के अधूरा हर शिवाला है। यशोदा ने तो गोद में ईश्वर को पाला है। सुकोमल दिख रही नारी की शक्ति कम नहीं आके जिन आंखों में हाला है उन्हें आंखों में ज्वाला है।*

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